बालाघाट - जिले समेत पूरे देश में चिंटफंड कम्पनियों की झूठे प्रलोभनों वाली योजनाओं के फैलते कारोबार पर नकेल कसने की दिशा में आरबीआई ने कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसके लिए कानून भी बनेगा। शीर्ष बैंक ने इसके लिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों तथा वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेने का फैसला लिया है। साथ ही मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सम्बंधित राज्यों के कलेक्टर्स से इनकी जानकारी भी मंगाई है।
जानकारी के अनुसार जिले में भी डेढ़ दर्जन से अधिक चिटफंड कम्पनियों ने अपना जला बिछाया हुआ था। इनमें से अधिकांश कम्पनियों के खिलाफ प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई है। जिनमें से करीब चार-पांच कम्पनियों के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। हालांकि, इस मामले में प्रशासन अभी साक्ष्य जुटा रही है। ताकि चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर सकें।
ये जानकारी मांगी
आरबीआई के पत्र के आधार पर मध्य प्रदेश सरकार ने कलेक्टर से पूछा है अब तक कितनी चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ उन्हें शिकायतें मिलीं और किस पर, क्या कार्रवाई हुई। यह भी बताने को कहा है कि कम्पनियों ने कितने निवेशकों को ठगा है और निवेश के तौर पर ली गई राशि कितनी है।
बजट में की गई थी घोषणा
उल्लेखनीय है कि चिटफंड कम्पनियों पर नियंत्रण के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी बजट में कानून लाने की घोषणा की थी। अभी यह कम्पनियां रजिस्ट्रेशन ऑफ कंपनी एक्ट के तहत कंपनी के रूप में खुद को रजिस्टर्ड करा लेती हैं और झूठा प्रलोभन देकर लोगों से निवेश करा लेती हैं। आरबीआई की इस पहल को नया कानून बनाने की दिशा में उठाया गया कदम भी माना जा रहा है।
इकना कहना है
प्रशासन द्वारा करीब डेढ़ दर्जन चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
कुछ कम्पनियों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है। शासन को जानकारी भेजी जा रही है। - कामेश्वर चौबे, एसडीएम बालाघाट व जांच अधिकारी