ग्वालियर। परिवार डेयरी के डायरेक्टर राकेश नरवरिया को मुरैना कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के मामले बड़ी चूक सामने आई है। मुरैना कलेक्टर ने उसे चिटफंड का कारोबार करने के आरोप से क्लीन चिट दे दी थी और उसी आदेश के आधार पर आरोपी को जिला सत्र न्यायालय मुरैना से अग्रिम जमानत मिल गई। एक अन्य आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान राकेश को अग्रिम जमानत मिलने का मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में आया, तो हाईकोर्ट की युगल पीठ ने आदेश दिया कि पुलिस 22 अप्रैल तक जिला कोर्ट से उसकी जमानत पुर्नविचार कराए। 25 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान मुरैना के पुलिस अधीक्षक केस डायरी व जांच की स्टेट्स रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट में हाजिर रहें।
चिटफंड कंपनी परिवार डेयरी के डायरेक्टर राकेश नरवरिया के खिलाफ वर्ष 2011 में चिटफंड का कारोबार करने के आरोप में मुरैना कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें प्रदीप शर्मा को भी आरोपी बनाया गया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रदीप शर्मा ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि राकेश नरवरिया को जिला कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है। उसका भी नाम उसी एफआईआर में हैं। इसलिए उसे भी जमानत दी जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस व प्रशासन से जवाब मांगा। जवाब में बड़ी चूक सामने आई कि कलेक्टर ने 30 अगस्त 2013 को एक आदेश पारित किया था और राकेश नरवरिया का मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हित के संरक्षण अधिनियम 2002 के तहत दर्ज केस में नाम विलोपित कर दिया था। इसी आदेश का हवाला देते हुए जिला कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई, तो शासन की ओर से पैरवी कर रहीं उप शासकीय अधिवक्ता अंजली ज्ञानानी ने कोर्ट को बताया कि राकेश नरवरिया को अग्रिम जमानत मिली है। उसे निरस्त कराने के लिए जिला कोर्ट में आवेदन पेश कर दिया है। इस पर अप्रैल में फैसला आना है।
कलेक्टर ने संपत्ति भी मुक्त कर दीं
राकेश नरवरिया ने कलेक्टर के यहां एक आवेदन पेश किया कि उसने कंपनी के संचालक पद से 2008 में इस्तीफा दे दिया था। केस 2011 में दर्ज किया गया। इसके ऊपर कोई आरोप नहीं बनता है, जो संपत्ति कुर्क की गई है, उसे मुक्त किया जाए। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में 30 अगस्त 2013 को उसका नाम विलोपित कर दिया। माना कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। साथ ही उनकी जितनी संपत्ति कुर्क की गई है, उसे मुक्त किया जाए। 23 सितंबर 2013 को संपत्ति को भी मुक्त कर दिया गया।
कोर्ट से छिपाए तथ्य
23 अप्रैल 2015 को कलेक्टर के आदेश को पेश कर राकेश नरवरिया ने जिला कोर्ट मुरैना से अग्रिम जमानत ले ली। तथ्यों को छिपा लिया गया, जबकि मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों के संरक्षण अधिनियम 2002 के तहत अग्रिम जमानत का प्रावधान ही नहीं है।