रांची - झारखंड में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में संलिप्त बहुचर्चित चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ की कार्यशैली पर ही सवाल उठ रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सीबीआइ ने केवल छह मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज की। बाकी बचे करीब 189 मामलों में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। जबकि हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीएन पटेल की अदालत ने चिटफंड मामले में 11 मई 2015 को आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि तिलैया, देवघर, जादूगोड़ा, घाटशिला, महगामा और राजमहल थाने में दर्ज छह केसों के अलावा इस तरह के अन्य केसों को झारखंड पुलिस से टेकओवर कर सीबीआइ अगले चार सप्ताह में प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान की कार्रवाई करते हुए जांच पूरा करे। लेकिन ऐसा सीबीआइ ने नहीं किया। झारखंड के विभिन्न जिलों में चिटफंड से जुड़े करीब 195 मामले दर्ज हैं।
कोर्ट के आदेश के करीब साढ़े पांच माह बाद भी जांच एजेंसी इस मामले में शिथिल पड़ी हुई है। पूर्व में किसी मामले में प्राथमिकी के बाद एजेंसी मामले से जुड़े ठिकानों पर दबिश देती थी, लेकिन इस मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि कंपनियों के निदेशक देश के कई दूसरे राज्यों में रहते हैं और ऐसी संभावना है कि पैसे का निवेश दूसरे राज्यों और अन्य देशों में किया होगा इसलिए इसकी जांच सीबीआइ को दी गई है। मामले में जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं।
न कैंप आफिस बनाया, न ही एसआइटी
सीबीआइ ने अब तक न तो कोई कैंप आफिस बनाया है और न ही विशेष जांच दल (एसआइटी) ही गठित किया है। जबकि कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि छापेमारी के दौरान वाहन सहित अन्य सुविधाएं, कैंप कार्यालय खोलने आदि में जो भी जरूरत होगी वह झारखंड सरकार मुहैया कराएगी। लेकिन सीबीआइ ने अभी तक मामले में झारखंड सरकार से कोई सहायता नहीं मांगी हैं।
अब तक सुप्रीम कोर्ट भी नहीं गई सीबीआइ
चिटफंड मामले में संसाधनों की कमी या अनुसंधानकर्ताओं की कमी का हवाला दे जांच से पल्ला झाड़ने के लिए सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती थी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के तीन माह बीत जाने के बाद भी एजेंसी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। जबकि समान्यत: हाईकोर्ट के आदेश को तीन माह के अंदर शीर्ष अदालत में चुनौती देनी होती है।
इन कंपनियों के खिलाफ दर्ज हैं मामले
सुराहा माइक्रो फाइनांस, सनप्लाट एग्रो, प्रयाग इनफोटेक, साई प्रसाद प्रोप्रटीज, फेडरल एग्रो कॉमर्शियल, गुलशन निर्माण इंडिया, तिरु बालाजी, अलेमिस्ट, इंफ्रा धनोल्टी डेवलपर्स, कोलकाता वीयर, संकल्प ग्रुप, वीयर्ड इंफ्रा, रुफर्स मार्केटिंग, सनशाइन ग्लोबल एग्रो, रामल इंडस्ट्रीज, इनोमर्स इंडस्ट्रीज, एक्सेल इंफ्रास्ट्रक्चर, गीताजलि उद्योग, एमपीए एग्रो एनीमल, युगातर रियल्टी, एटीएम ग्रुप, केयर विजन, मातृभूमि मैन्यूफैक्चरिंग, रोजवैली होटल्स, बर्धमान सुर्माग, अपना परिवार एग्रो और वारिस ग्रुप। फिलहाल अलकेमिस्ट के खिलाफ कोर्ट के आदेश से कार्रवाई पर रोक है।
सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी
1. कोडरमा के तिलैया कांड संख्या 69/13
2. देवघर टाउन थाना कांड संख्या 543/13
3. जमशेदपुर के जादूगोड़ा थाना कांड संख्या 67/13
4. जमशेदपुर के घाटशिला थाना कांड संख्या 26/13
5. गोड्डा के महगामा थाना कांड संख्या 36/13
6. साहिबगंज के राजमहल थाना कांड संख्या 111/13
See Also: चिटफंड कंपनियों पर नकेल की तैयारी