इन कंपनियों की हो रही जांच
...इसलिए पड़ी एसआईटी के गठन की जरूरत
झारखंडमें 25 हजार करोड़ से अधिक के नन बैंकिंग घोटाले की विस्तृत जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। मंत्रालय की स्वीकृति के बाद सीबीआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय ने झारखंड-बिहार के संयुक्त निदेशक एके सिंह को एसआईटी गठन संबंधी पत्र अग्रसारित किया है। पत्र के अनुसार एसआईटी के लिए फिलवक्त एक डीआईजी, दो एसपी, छह डीएसपी और ग्यारह इंस्पेक्टरों के पद सृजित किए गए हैं। दारोगा और कांस्टेबल स्तर के पदों की गणना जारी है।
नवसृजित पदों पर सीबीआई के ही तेजतर्रार अधिकारियों की पदस्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एसआईटी को नन बैंकिंग कंपनियों की जांच, उनके कर्ता-धर्ताओं की धरपकड़ के साथ निवेशकों के पैसों की वसूली के लिए वैधानिक प्रक्रिया अपनाने का टास्क सौंपा गया है। एसआईटी का हेडक्वार्टर रांची में बनाया जाना है। मुख्यालय की निर्देश के आलोक में अब धनबाद और रांची सीबीआई चिटफंड कंपनियों की बाबत किए गए अब तक के अनुसंधान, छापे के दौरान जब्त कागजात और जांच अधिकारियों के प्रगति प्रतिवेदन जल्द एसआईटी को सौंप देंगी।
फिलवक्त धनबाद सीबीआई के पास चिटफंड कंपनियों के चार, रांची एंटी करप्शन विंग और पशुपालन कोषांग के दो-दो केस हैं। 53 नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ दर्ज केसों को सीबीआई ने आठ मुकदमों में तब्दील कर अनुसंधान कर रही है। धनबाद सीबीआई के एसपी पीके मांझी ने बताया कि उच्चस्तर पर नन बैंकिंग मामले में एसआईटी गठन का प्रस्ताव जोनल स्तर से मुख्यालय भेजा गया था। वहां से एसआईटी गठन की मंजूरी की सूचना है। मुख्यालय के निर्देश पर आगे की कार्यवाही होगी।
एकीकृत बिहार में 950 करोड़ के चारा घोटाले की जांच के लिए सीबीआई ने एसआईटी का गठन किया गया था। उस एसआईटी को नाम दिया गया था-पशुपालन कोषांग। चारा घोटाले की जांच पूरी होने के बाद भी पशुपालन कोषांग पूरी तरह से बंद नहीं हुआ। अभी इस कोषांग में एसपी स्तर के अधिकारी की तैनाती है। हाल में इस कोषांग को एक और नाम दिया गया है-इकॉनोमिक्स ऑफेंस विंग। चारा घोटाले के बाद पहली बार झारखंड-बिहार में सीबीआई की किसी एसआईटी की स्थापना हुई है।
^चिटफंड कंपनियों के कर्ता-धर्ताओं का नेटवर्क व्यापक है। कई राज्यों में इनके तार फैले हैं। छापेमारी में जब्त दस्तावेज की तादाद भी ज्यादा है। ऐसे में इस प्रकरण की सेपरेट इन्वेस्टिगेशन के लिए एसआईटी गठन का प्रस्ताव भेजा गया था। इसे मंजूरी मिल गई है। एसआईटी के जरिए ही इस मामले की तह तक पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह टीम सिर्फ चिटफंड से जुड़े केसों की ही जांच कर सकेगी। अमरेंद्रकुमार सिंह, ज्वाइंट डायरेक्टर (सीबीआई), बिहार-झारखंड-बंगाल जोन
सुराहा माइक्रो फाइनांस, सनप्लांट एग्रो ग्रुप, प्रयाग इनफोटेक, साई प्रसाद प्रॉपर्टीज, फेडरल एग्रो कॉमर्शियल, गुलशन निर्माण इंडिया, तिरु बालाजी, अलेमिस्ट इंफ्रा, धनोल्टी डेवलपर्स, कोलकाता वीयर, संकल्प ग्रुप, वीयर्ड इंफ्रा, रूफर्स मार्केटिंग, सनशाइन ग्लोबल एग्रो, रामल इंडस्ट्रीज, इनोमर्स इंडस्ट्रीज, एक्सेल इंफ्रास्ट्रक्चर, गीतांजलि उद्योग, एमपीए एग्रो एनीमल, युगांतर रियल्टी, एटीएम ग्रुप, केयर विजन, मातृभूमि मैन्यूफैक्चरिंग, रोजवैली होटल्स, बर्धमान सुमार्ग, अपना परिवार एग्रो और वारिस ग्रुप। येकंपनी धनबाद, देवघर, रांची, चाईबासा, हजारीबाग, कोडरमा, पाकुड़ समेत कई जिलों से करोड़ों रुपए बटोर चंपत हो चुकी हैं।
कोलकाता जोन से होगी झारखंड के सभी केसों की मॉनिटरिंग
एसआईटीकी मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी कोलकाता जोन से होगी। सीबीआई हेडक्वार्टर ने यह निर्देश दिया है। एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट सीबीआई के कोलकाता जोन को अवगत कराएगी और आगे की कार्रवाई का निर्देश वहीं से प्राप्त करेगी। एसआईटी टीम में शामिल अधिकारियों को नन बैंकिंग के केसों को छोड़ किसी अन्य केस की जांच की जिम्मेवारी नहीं दी जा सकती।
गुवाहाटी,भुवनेश्वर कोलकाता एसआईटी से होगा समन्वय
झारखंडमें गठित एसआईटी का समन्वय गुवाहाटी, भुवनेश्वर और कोलकाता एसआईटी से होगा। गुवाहाटी, भुवनेश्वर और कोलकाता में एसआईटी का गठन चिटफंड कंपनियों के लिए ही किया गया है। धनबाद समेत झारखंड के जिन कंपनियों पर सीबीआई ने केस दर्ज कर रखा हैं, उनके कर्ता-धर्ता बंगाल, ओडिशा और आसाम के ही रहने वाले हैं। ऐसे में झारखंड एसआईटी को कार्रवाई जांच में सहूलियत होगी।
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि मार्च में धनबाद सीबीआई के नेतृत्व में 33 नन बैंकिंग कंपनियों के झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के 82 स्थानों पर छापेमारी हुई थी। वहीं रांची सीबीआई ने झारखंड, बंगाल और ओडिशा के 19 जगहों पर रेड डाली थी। इस दौरान भारी मात्रा में केस से जुड़े दस्तावेज की जब्ती हुई थी। इन दस्तावेज की स्क्रूटनी में काफी समय लगने की आशंका जताई गई। सीबीआई ने मैनपावर की कमी भी बताई। सीबीआई की इन यूनिटों के मौजूदा अधिकारियों के पास 5 से लेकर 20 तक अन्य मामलों के केस लंबित हैं। एेसे में नन बैंकिंग की जांच के लिए विशेष जांच दल बनाने की सिफारिश की गई थी। दल में सीबीआई अधिकारियों को ही शामिल रखने पर बल दिया गया था।