पटना - बिहार में अगर कोई भी नॉन बैंकिंग कंपनी अवैध तरीके से अपना कारोबार करती पाई गई तो संबंधित क्षेत्र के थानेदार समेत अन्य पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की खैर नहीं। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के आइजी जीतेंद्र सिंह गंगवार ने मंगलवार को पटना के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, भारतीय रिजर्व बैंक, 'सेबी', रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज समेत केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में पिछले दो महीने में ऐसी कंपनियों के खिलाफ दर्ज मामलों में कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया है। उन्होंने ऐसी कंपनियों का डाटाबेस तैयार करने तथा सभी पुराने मामलों की जांच में तेजी लाने का भी निर्देश दिया है।
बैठक में गंगवार ने दो टूक शब्दों में कहा कि बिहार में वैसी नॉन बैंकिंग कंपनियों को किसी तरह के कामकाज की इजाजत नहीं दी जाए जो भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों के विरुद्ध काम कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने सभी जिलों के एसपी को भी निर्देश दिया है कि वे अपनी मासिक क्राइम मीटिंग में भी ऐसी कंपनियों के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा करें और की गई कार्रवाई के संबंध में ईओयू को जानकारी दें। पिछले दिनों रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक मनोज कुमार वर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार, सेबी, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज व आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। उस बैठक में ही ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की रूपरेखा तैयार कर ली गई थी। इतना ही नहीं, ईओयू के आइजी ने पुलिस फाइल में पांच साल पुराने सभी मामलों की जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।
बैठक में पटना व जिले के आसपास के सभी थानाध्यक्ष, डीएसपी, एएसपी और सिटी एसपी भी मौजूद थे। गंगवार ने कहा कि ईओयू राज्य भर में नॉन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ अभियान चला रहा है। आइजी ने रिजर्व बैंक और सेबी से उन सभी नॉन बैंकिंग कंपनियों की सूची मांगी है जिसे राज्य में कारोबार करने की इजाजत रिजर्व बैंक ने दे रखी है। साथ ही अवैध तरीके से लोगों को कम समय में रिजर्व बैंक के नियमों के विरुद्ध अधिक मुनाफा देने का लालच देने वाली कंपनियों की सूची भी मांगी है जिनके खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित है। गंगवार ने कहा कि हम सभी पुराने मामलों की जांच में तेजी ला रहे हैं ताकि बिहार में इस तरह की कंपनियों को काम करने से रोका जा सके। उन्होंने आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों के अनुसंधान और पर्यवेक्षण को प्राथमिकता देने की बात कही है ताकि यह पता चल सके कि किस कंपनी ने कितने लोगों को कितनी राशि का चूना लगा है। साथ ही कंपनी ने उन रुपयों को कहां निवेश किया है, इसकी भी जांच हो। थानेदारों को हिदायत दी गई कि वे अपने इलाके में किसी नॉन बैंकिंग कंपनी का संचालन नहीं होने दें।
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