VRS deceived the company's 1.5 million
Admin | 03 November, 2015 | 782 | 3980
![VRS deceived the company's 1.5 million VRS deceived the company's 1.5 million]()
तुलसीनगर के एक व्यक्ति ने तबियत बिगड़ने पर बालको से वीआएस लिया। जिससे मिली रकम में से 15 लाख रुपए एजेंटों के झांसे में आकर चिटफंड कंपनी में जमा करा दिया।
1 साल तक उसे बोनस दिया गया। इसके बाद कंपनी भाग गई। मामले में पुलिस ने कंपनी के 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज कर प्रमुख एजेंट की गिरफ्तारी की गई। सीएसईबी चौकी अंतर्गत तुलसीनगर निवासी कैलाश राम जांगड़े (55) बालको का सेवानिवृत्त कर्मी है। वह स्मेलटर प्लांट में आॅपरेटर था। जहां काम करते हुए उसकी तबियत बिगड़ने लगी। उसने वर्ष 2012 में वीआरएस ले लिया। जिससे उसे लगभग 30 लाख रुपए मिले। उसने मकान बनाने समेत अन्य खर्च के बाद बची रकम को अपने बैंक खाता में जमा कर दिया। वर्ष 2013 में जांजगीर जिले के बलौदा थाना अंतर्गत नवापारा-लेवई निवासी यास ओगरे और नरोत्तम ओगरे ने उससे संपर्क किया। उन्होंने डाल्फिन इंफ्रा पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी में रकम लगाने पर अत्याधिक ब्याज मिलने की बात कही। इस तरह 6 साल में निवेश रकम दोगुना होने और इसके अलावा प्रतिमाह अलग से प्रति लाख रुपए पर 3 हजार रुपए बोनस मिलने का सब्जबाग दिखाया। कैलाश राम उनके झांसे में आ गया। उसने मई 2013 से लेकर अगस्त 2013 के बीच उक्त चिटफंड कंपनी में अपनी जमा पूंजी 15 लाख रुपए निवेश कर दिया। लगभग 1 साल तक उसे हर माह बोनस मिलता रहा। इसके बाद बोनस मिलना बंद हो गया। कंपनी का शहर मंे दफ्तर बंद हो गया। कैलाश ने यास आेग्रे और नरोत्तम ओग्रे से संपर्क किया तो उन्होंने पहले उसे घुमाया। बाद में रकम वापस मिलने से साफ इंकार कर दिया। कैलाश ने मामले की लिखित शिकायत की। एडिशनल एसपी एसके पौराणिक ने इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस लेकर जानकारी कि शिकायत पर जांच करके मामले में डाॅल्फिन कंपनी के एमडी शुभम बोस, डायरेक्टर आनंददियो पाल, एडिशनल डायरेक्टर कौशिक दत्ता, देवराज मिश्रा समेत यास ओग्रे और नरोत्तम ओग्रे के खिलाफ धारा 420, 34 भादवि (धोखाधड़ी) का जुर्म दर्ज किया गया। इस मामले में पुलिस ने प्रमुख एजेंट यास आेग्रे को गिरफ्तार कर लिया है। अन्य सभी आरोपी फरार है।
अब भविष्य को लेकर चिंतित: कैलाश राम ने बताया कि उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई चिटफंड कंपनी लेकर भाग गई। उसे कानून पर भरोसा है देर सबेर उसे कुछ रकम जरूर मिलेगा। लेकिन इसके साथ ही उसे परिवार के भविष्य को लेकर चिंता भी है कि उसकी डूबी रकम वापस नहीं मिलेगी तो वह बच्चों की पढ़ाई और शादी कैसे करेगा। उसने बताया कि उसने रिटायरमेंट अवधि से 8 साल पहले वीआरएस इसलिए लिया था कि परिवार को अच्छा भविष्य दे सके।
कंपनियों पर हुई कार्रवाई
कंपनी थाना
ग्रीन-रे इंटरनेशनल कोतवाली
रूचि रियल स्टेट कोतवाली
डाल्फिन कंपनी कोतवाली
सांई प्रसाद कंपनी बालको
रोजवेली कंपनी बालको
रेनाट्स कंपनी बांकीमोंगरा
बिरला सन लाइट बांकीमोंगरा
विनायक कंपनी बांकीमोंगरा
पीड़ित कैलाश जांगड़े
आरोपी यास ओगरे
सभी डायरेक्टर बंगाल के
डाल्फिन इंफ्रा पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी का दफ्तर टीपीनगर में सैमसंग शो रूम के ऊपर द्वितीय तल में संचलित था। उक्त कंपनी पश्चिम बंगाल की थी। कंपनी के सभी सभी डायरेक्टर बंगाल के ही रहने वाले हैं। उनके द्वारा चिटफंड कंपनी खोलकर करोड़ों की ठगी की जानकारी पुलिस को मिली है।
पीड़ित करें शिकायत : एएसपी
चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़ा का खुलासा करते हुए एडिशनल एसपी एसके पौराणिक ने आमजन से अपील करते हुए कहा ऐसी ठगी होने पर पुलिस से शिकायत करें। पुलिस ऐसे मामले में त्वरित कार्रवाई करेगी। शिकायत अधिकारियों या निकट के थाना में की जा सकती है।
कार में आकर देते थे भरोसा
नवापारा-लेवई कैलाश राम का मामा गांव है। जहां यास और नरोत्तम रहते हैं। उन्होंने वहां उसके रिश्तेदारों से कैलाश राम के वीआरएस लेने की जानकारी हासिल की। जिसके बाद तुलसीनगर आकर मुलाकात की। वह हर बार कार में आते थे और रकम जमा करने को कहते थे। एक बार कंपनी में 5 लाख लगाने पर उन्होंने पुन: उसे रकम निवेश करने के लिए प्रेरित करते हुए 10 लाख रुपए और लगवा दिया। यह भी भरोसा दिया कि उनकी रकम ऐसी पालिसी में लगाई गई है जो कभी नहीं डूबेगी।
अब किराना दुकान के भरोसे
कैलाश अपनी प|ी गीता समेत चार बच्चे क्रमश: सुर्यकांत 19, अकांक्षा 15, अंजू 12 और अनुज 4 के साथ तुलसीनगर में निवासरत है। चिटफंड कंपनी में रकम डूबने के बाद अब तक कुछ बचे रकम से घर में ही छोटा सा किराना दुकान खोलकर परिवार चला रहा है। आर्थिक तंगी होने की वजह से उसके बड़े बेटे सूर्यकांत को 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अन्य बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
जरूरतमंदों पर फेंक रही जाल, चिटफंड कंपनियां हो गई मालामाल
1 साल तक उसे बोनस दिया गया। इसके बाद कंपनी भाग गई। मामले में पुलिस ने कंपनी के 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज कर प्रमुख एजेंट की गिरफ्तारी की गई। सीएसईबी चौकी अंतर्गत तुलसीनगर निवासी कैलाश राम जांगड़े (55) बालको का सेवानिवृत्त कर्मी है। वह स्मेलटर प्लांट में आॅपरेटर था। जहां काम करते हुए उसकी तबियत बिगड़ने लगी। उसने वर्ष 2012 में वीआरएस ले लिया। जिससे उसे लगभग 30 लाख रुपए मिले। उसने मकान बनाने समेत अन्य खर्च के बाद बची रकम को अपने बैंक खाता में जमा कर दिया। वर्ष 2013 में जांजगीर जिले के बलौदा थाना अंतर्गत नवापारा-लेवई निवासी यास ओगरे और नरोत्तम ओगरे ने उससे संपर्क किया। उन्होंने डाल्फिन इंफ्रा पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी में रकम लगाने पर अत्याधिक ब्याज मिलने की बात कही। इस तरह 6 साल में निवेश रकम दोगुना होने और इसके अलावा प्रतिमाह अलग से प्रति लाख रुपए पर 3 हजार रुपए बोनस मिलने का सब्जबाग दिखाया। कैलाश राम उनके झांसे में आ गया। उसने मई 2013 से लेकर अगस्त 2013 के बीच उक्त चिटफंड कंपनी में अपनी जमा पूंजी 15 लाख रुपए निवेश कर दिया। लगभग 1 साल तक उसे हर माह बोनस मिलता रहा। इसके बाद बोनस मिलना बंद हो गया। कंपनी का शहर मंे दफ्तर बंद हो गया। कैलाश ने यास आेग्रे और नरोत्तम ओग्रे से संपर्क किया तो उन्होंने पहले उसे घुमाया। बाद में रकम वापस मिलने से साफ इंकार कर दिया। कैलाश ने मामले की लिखित शिकायत की। एडिशनल एसपी एसके पौराणिक ने इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस लेकर जानकारी कि शिकायत पर जांच करके मामले में डाॅल्फिन कंपनी के एमडी शुभम बोस, डायरेक्टर आनंददियो पाल, एडिशनल डायरेक्टर कौशिक दत्ता, देवराज मिश्रा समेत यास ओग्रे और नरोत्तम ओग्रे के खिलाफ धारा 420, 34 भादवि (धोखाधड़ी) का जुर्म दर्ज किया गया। इस मामले में पुलिस ने प्रमुख एजेंट यास आेग्रे को गिरफ्तार कर लिया है। अन्य सभी आरोपी फरार है।
अब भविष्य को लेकर चिंतित: कैलाश राम ने बताया कि उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई चिटफंड कंपनी लेकर भाग गई। उसे कानून पर भरोसा है देर सबेर उसे कुछ रकम जरूर मिलेगा। लेकिन इसके साथ ही उसे परिवार के भविष्य को लेकर चिंता भी है कि उसकी डूबी रकम वापस नहीं मिलेगी तो वह बच्चों की पढ़ाई और शादी कैसे करेगा। उसने बताया कि उसने रिटायरमेंट अवधि से 8 साल पहले वीआरएस इसलिए लिया था कि परिवार को अच्छा भविष्य दे सके।
कंपनियों पर हुई कार्रवाई
कंपनी थाना
ग्रीन-रे इंटरनेशनल कोतवाली
रूचि रियल स्टेट कोतवाली
डाल्फिन कंपनी कोतवाली
सांई प्रसाद कंपनी बालको
रोजवेली कंपनी बालको
रेनाट्स कंपनी बांकीमोंगरा
बिरला सन लाइट बांकीमोंगरा
विनायक कंपनी बांकीमोंगरा
पीड़ित कैलाश जांगड़े
आरोपी यास ओगरे
सभी डायरेक्टर बंगाल के
डाल्फिन इंफ्रा पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी का दफ्तर टीपीनगर में सैमसंग शो रूम के ऊपर द्वितीय तल में संचलित था। उक्त कंपनी पश्चिम बंगाल की थी। कंपनी के सभी सभी डायरेक्टर बंगाल के ही रहने वाले हैं। उनके द्वारा चिटफंड कंपनी खोलकर करोड़ों की ठगी की जानकारी पुलिस को मिली है।
पीड़ित करें शिकायत : एएसपी
चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़ा का खुलासा करते हुए एडिशनल एसपी एसके पौराणिक ने आमजन से अपील करते हुए कहा ऐसी ठगी होने पर पुलिस से शिकायत करें। पुलिस ऐसे मामले में त्वरित कार्रवाई करेगी। शिकायत अधिकारियों या निकट के थाना में की जा सकती है।
कार में आकर देते थे भरोसा
नवापारा-लेवई कैलाश राम का मामा गांव है। जहां यास और नरोत्तम रहते हैं। उन्होंने वहां उसके रिश्तेदारों से कैलाश राम के वीआरएस लेने की जानकारी हासिल की। जिसके बाद तुलसीनगर आकर मुलाकात की। वह हर बार कार में आते थे और रकम जमा करने को कहते थे। एक बार कंपनी में 5 लाख लगाने पर उन्होंने पुन: उसे रकम निवेश करने के लिए प्रेरित करते हुए 10 लाख रुपए और लगवा दिया। यह भी भरोसा दिया कि उनकी रकम ऐसी पालिसी में लगाई गई है जो कभी नहीं डूबेगी।
अब किराना दुकान के भरोसे
कैलाश अपनी प|ी गीता समेत चार बच्चे क्रमश: सुर्यकांत 19, अकांक्षा 15, अंजू 12 और अनुज 4 के साथ तुलसीनगर में निवासरत है। चिटफंड कंपनी में रकम डूबने के बाद अब तक कुछ बचे रकम से घर में ही छोटा सा किराना दुकान खोलकर परिवार चला रहा है। आर्थिक तंगी होने की वजह से उसके बड़े बेटे सूर्यकांत को 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अन्य बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
जरूरतमंदों पर फेंक रही जाल, चिटफंड कंपनियां हो गई मालामाल