रायपुर - चूनापत्थर परियोजना के कारण विस्थापित लोगों से जुड़े एक मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। इस परियोजना की जद में आने वाले लोगों ने रायपुर जिले के खरोरा में 1700 एकड़ में फैली खान के लिए अपनी जमीन दी थी। सालाना 40 लाख टन क्षमता वाली इस खदान का आवंटन अल्ट्राटेक सीमेंट को किया गया था। यह परियोजना इसी जिले में स्थित कंपनी के एकीकृत संयंत्र से संबंद्ध है।
जमीन देने के एवज में ग्रामीणों को मोटी रकम मिली थी, वह चिट फंड कंपनियों को चली गई। रकम के आवंटन के साथ ही ये कंपनियां सक्रिय हो गई थीं। मुर्रा गांव, जिसकी आबादी 3000 रुपये से अधिक थी, से 3 करोड़ रुपये चिट फंड कंपनियों में निवेश किए गए थे। कई लोगों ने जमीन के बदले मिली रकम का 75 प्रतिशत हिस्सा तक निवेश कर दिया। पिछले एक साल से इन चिटफंड कंपनियों का कहीं अता-पता नहीं है। ज्यादातर कंपनियों ने गांव से 20 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय तिल्दा में छोटे कार्यालय खोल रखे थे।
रकम और जमीन दोनों गंवाने के बाद अब ग्रामीणों के पास कुछ भी नहीं रह गया है। परियोजना में इन्हें नौकरी दिए जाने का भी प्रावधान नहीं है क्योंकि अल्ट्राटेक ने जमीन सीधे या जमीन अधिग्रहण के रास्ते नहीं खरीदी है। इससे प्रभावित लोगों को राहत एवं पुनर्वास नीति के तहत अधिकारों का लाभ नहीं मिलेगा। इस मामले पर कंपनी से भी उसकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।
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