The business of chit fund companies began to slow action
Admin | 01 December, 2015 | 944 | 3980
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कंपनी में रकम लगाने पर दोगुना-तीगुना रकम देने का झंासा देकर धोखाधड़ी करने वाले 9 कंपनियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई हो चुकी है। जिले में लगातार कार्रवाई से चिटफंड कंपनियों की ठगी का कारोबार बंद हो गया है। वहीं आमजन जागरूक होकर शिकायत करने सामने आ रहे हैं।
औद्योगिक जिला होने की वजह से यहां आए दिन कंपनियों में जमीन अधिग्रहण होती है। इससे संबंधित क्षेत्र के भूविस्थापितों को मुआवजा के तौर पर मोटी रकम मिलती है। इसके अलावा यहां कंपनियों से रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या भी अधिक है। इसी कारण जिले में एक-दो साल पहले तक रकम निवेश करने पर कुछ वर्षो के भीतर रकम दो से तीन गुना होने का झांसा देने वाली चिटफंड कंपनियों का जाल फैला था। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कंपनियों के दफ्तर खुले थे।
बड़ी संख्या में एजेंट भी सक्रिय थे। लेकिन पुलिस द्वारा चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जिले में लगातार कार्रवाई किए जाने के बाद अब चिटफंड कंपनियों के ठगी का कारोबार बंद हो गया है। दो साल के भीतर जिले में 9 कंपनियों खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। इसमें ज्यादातर कार्रवाई एक साल के भीतर की है। ऐसे मामले में स्थानीय एजेंटों के अलावा कंपनियों के जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी भी आरोपी बनाए जा रहे हैं।
उनकी गिरफ्तारी भी की जा रही है। स्थिति यह है कि ज्यादातर कंपनियों ने जिले से कारोबार समेट लिया है। उनके दफ्तर बंद होने लगे हैं। लोगों को सब्जबाग दिखाकर मोटी रकम ऐसे कंपनियों में निवेश कराने वाले एजेंट भी ठंडे पड़ गए हैं। वह अपने बचाव के लिए निवेशकों से मिलकर बीच का रास्ता निकालने के प्रयास में है जिससे उनके खिलाफ शिकायत न हो जाए। दूसरी ओर लगातार कार्रवाई होने और चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने पर लोगों में जागरूकता आई है। रकम जमा करने से बचने के साथ ही शिकायत करने के लिए लोग सामने आने लगे हैं।
रकम वापसी के लिए शिकायत जरूरी
सीएसपी डीआर पोर्ते ने बताया कि चिटफंड कंपनियों में रकम निवेश करके ठगी का शिकार हुए पीड़ितों को शिकायत करना जरूरी है। जिससे कोर्ट में पीड़ितों की सही जानकारी होगी। जिससे पीड़ितों की रकम वापसी के लिए रास्ता तैयार हो सकता है। शिकायत नहीं होने पर ठगी की वास्तविक जानकारी नहीं होगी। निवेशकों को राहत मिले इसके लिए चिटफंड कंपनियों की संपत्ति सीज की जा रही है। इसके बाद रकम वापसी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
नए एक्ट से चिटफंड कंपनी पर लगाम
राज्य में कंज्युमर प्रोटेक्शन एक्ट 2005 लागू हो गया है। इसके तहत डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या कलेक्टर जिले के सक्षम अधिकारी होंगे। रकम लेनदेन करने वाली कंपनी को जिले में अपना कारोबार शुरू करने के लिए दफ्तर खोलने से दो माह पहले उक्त अधिकारी के पास आवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिसमें कंपनी का ब्यौरा होगा। इससे चिटफंड कंपनियों के फर्जी कारोबार पर लगाम कसा जा सकता है।
जिले में हजार करोड़ का कारोबार, संभाग में फैला
एक आंकलन के मुताबिक अब तक जिले में चिटफंड कंपनियों ने कारोबार करते हुए करीब हजार करोड़ रुपए समेटे हैं। इसमें से अकेले सांई प्रसाद कंपनी ने आधे रकम निवेश कराया है। ज्यादातर कंपनियों ने कोरबा में रीजनल आफिस खोलकर कोरबा समेत रायगढ़, जांजगीर, अंबिकापुर-सरगुजा से रकम निवेश कराया। हालांकि पुलिस के पास अब तक जो शिकायत पहुंची है उसमें करीब 2 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
इन कंपनियों पर कार्रवाई
ग्रीन-रे, सांई प्रसाद कंपनी, राेजवेली कंपनी, विनायक होम्स, रेनाट्स, बिरला सन लाइट, डॉल्फिन इंडिया, रूचि रियल कंपनी, जेएसबी रेडइंफ्रा
औद्योगिक जिला होने की वजह से यहां आए दिन कंपनियों में जमीन अधिग्रहण होती है। इससे संबंधित क्षेत्र के भूविस्थापितों को मुआवजा के तौर पर मोटी रकम मिलती है। इसके अलावा यहां कंपनियों से रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या भी अधिक है। इसी कारण जिले में एक-दो साल पहले तक रकम निवेश करने पर कुछ वर्षो के भीतर रकम दो से तीन गुना होने का झांसा देने वाली चिटफंड कंपनियों का जाल फैला था। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कंपनियों के दफ्तर खुले थे।
बड़ी संख्या में एजेंट भी सक्रिय थे। लेकिन पुलिस द्वारा चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जिले में लगातार कार्रवाई किए जाने के बाद अब चिटफंड कंपनियों के ठगी का कारोबार बंद हो गया है। दो साल के भीतर जिले में 9 कंपनियों खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। इसमें ज्यादातर कार्रवाई एक साल के भीतर की है। ऐसे मामले में स्थानीय एजेंटों के अलावा कंपनियों के जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी भी आरोपी बनाए जा रहे हैं।
उनकी गिरफ्तारी भी की जा रही है। स्थिति यह है कि ज्यादातर कंपनियों ने जिले से कारोबार समेट लिया है। उनके दफ्तर बंद होने लगे हैं। लोगों को सब्जबाग दिखाकर मोटी रकम ऐसे कंपनियों में निवेश कराने वाले एजेंट भी ठंडे पड़ गए हैं। वह अपने बचाव के लिए निवेशकों से मिलकर बीच का रास्ता निकालने के प्रयास में है जिससे उनके खिलाफ शिकायत न हो जाए। दूसरी ओर लगातार कार्रवाई होने और चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने पर लोगों में जागरूकता आई है। रकम जमा करने से बचने के साथ ही शिकायत करने के लिए लोग सामने आने लगे हैं।
रकम वापसी के लिए शिकायत जरूरी
सीएसपी डीआर पोर्ते ने बताया कि चिटफंड कंपनियों में रकम निवेश करके ठगी का शिकार हुए पीड़ितों को शिकायत करना जरूरी है। जिससे कोर्ट में पीड़ितों की सही जानकारी होगी। जिससे पीड़ितों की रकम वापसी के लिए रास्ता तैयार हो सकता है। शिकायत नहीं होने पर ठगी की वास्तविक जानकारी नहीं होगी। निवेशकों को राहत मिले इसके लिए चिटफंड कंपनियों की संपत्ति सीज की जा रही है। इसके बाद रकम वापसी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
नए एक्ट से चिटफंड कंपनी पर लगाम
राज्य में कंज्युमर प्रोटेक्शन एक्ट 2005 लागू हो गया है। इसके तहत डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या कलेक्टर जिले के सक्षम अधिकारी होंगे। रकम लेनदेन करने वाली कंपनी को जिले में अपना कारोबार शुरू करने के लिए दफ्तर खोलने से दो माह पहले उक्त अधिकारी के पास आवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिसमें कंपनी का ब्यौरा होगा। इससे चिटफंड कंपनियों के फर्जी कारोबार पर लगाम कसा जा सकता है।
जिले में हजार करोड़ का कारोबार, संभाग में फैला
एक आंकलन के मुताबिक अब तक जिले में चिटफंड कंपनियों ने कारोबार करते हुए करीब हजार करोड़ रुपए समेटे हैं। इसमें से अकेले सांई प्रसाद कंपनी ने आधे रकम निवेश कराया है। ज्यादातर कंपनियों ने कोरबा में रीजनल आफिस खोलकर कोरबा समेत रायगढ़, जांजगीर, अंबिकापुर-सरगुजा से रकम निवेश कराया। हालांकि पुलिस के पास अब तक जो शिकायत पहुंची है उसमें करीब 2 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
इन कंपनियों पर कार्रवाई
ग्रीन-रे, सांई प्रसाद कंपनी, राेजवेली कंपनी, विनायक होम्स, रेनाट्स, बिरला सन लाइट, डॉल्फिन इंडिया, रूचि रियल कंपनी, जेएसबी रेडइंफ्रा