पेटलावद। लोन देने के नाम पर कई ग्रामीणों से 58 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाली आईमाता चिटफंड कंपनी के 4 संचालकों में से एक पुष्पेंद्र कांसवा को पेटलावद पुलिस ने हिरासत में लिया है। तीन अन्य पार्टनरों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से एक को कोर्ट से जमानत भी मिल चुकी है। लगभग एक साल से पुष्पेंद्र कांसवा आरोपी है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई थी। शुक्रवार को पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। संभवतः एक-दो दिन में औपचारिक गिरफ्तारी हो सकती है।
आई माता मार्केटिंग के नाम से कुछ लोगों ने वर्ष 2013-14 में एक चिटफंड कंपनी खोली। कंपनी ने आदिवासी युवाओं को लोन देने के नाम पर उनसे 3-3 हजार रुपए नकद लिए। संस्था के लोगों ने लगभग 58 लाख रुपए इस तरह इकट्ठा कर लिए। शुरुआत में तीन-चार लोगों को लोन भी दिया, लेकिन बाद में दूसरे ग्रामीणों को भटकाने लगे। बाद में संस्था का मुख्य कर्ताधर्ता दशरथ हामड़ पेटलावद से फरार हो गया। उसको एक साल पहले गिरफ्तार किया गया था। दशरथ का एक और साथी पुष्पेद्र कांसवा भी शामिल था जो लंबे समय से पेटलावद से फरार था। अन्य सहयोगी भूपेंद्र सिंह तथा दीप्ति राज को भी पुलिस ने पूर्व में पकड़ लिया था। इनमें से दशरथ हामड़ की जमानत हो चुकी है। पुलिस ने कई आवेदकों की रिपोर्ट पर इन चारों के खिलाफ पेटलावद थाने में अपराध क्र. 275-14 धारा 420, 120 बी व 34 आईपीसी के तहत दर्ज किया था।
एक नहीं अनेक चिटफंड कंपनियां
आई माता मार्केटिंग जैसी कई चिटफंड कंपनियां क्षेत्र में सक्रिय हैं, जो भोले-भाले लोगों को निशाना बनाकर उनके खून-पसीने की कमाई पर हाथ साप कर रही थी। बीते कुछ वर्षों में लोगों की गाढ़ी कमाई के पैसों को तीन से चार गुना करने के दावे करने वाली दर्जनों चिटफंड कंपनियों ने करोड़ों रुपए कमाए। अब निवेश करने वाले अपना सिर पीट रहे हैं। इन चिटफंड कंपनियों ने करोड़ों के वारे न्यारे किए। निवेशकों की जागरूकता के अभाव में आज भी ऐसी कंपनियां क्षेत्र में संचालित हैं और लूटखसोट का यह गौरखधंधा बेरोकटोक जारी है।
ग्रामीण क्षेत्र में ठगे गए सबसे ज्यादा
कंपनियों द्वारा ग्रामीणों को पहले निशाना बनाया जाता है जिसमें क्षेत्र के ग्राम बनी, बोलासा, मोहनकोट, बरवेट, बावड़ी आदि ग्रामों के खेतिहर लोगों के अलावा पेटलावद, बदनावर, झाबुआ, कल्याणपुरा, थांदला व बामनिया आदि कस्बाई क्षेत्रों के पढ़े-लिखे लोगों से भी पैसा ठगकर ले गए हैं।
इस बारे में सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने स्पष्ट कहा है कि देशभर में सैकड़ों चिटफंड कंपनियां अपने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करते हुए एफडी प्लान प्रदान कर रही हैं जो की गैर कानूनी है। सेबी द्वारा कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण जमा राशि भी लोगों को नहीं मिल पा रही है। दो माह पूर्व सेबी ने निवेशकों के लिए सूचना जारी की थी कि वे देश की 91 चिटफंड कंपनियों में निवेश नहीं करें। सेबी ने निवेशकों से कहा है कि ये कंपनियां सेबी के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं और नियमानुसार इन्हें निवेशकों से नकद जमा कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है। यदि ये कंपनियां अभी भी स्कीम बेचकर लोगों से नकद ले रही हैं तो निवेशक इसकी सूचना प्रशासन के साथ ही पुलिस को भी तत्काल दें। सेबी ने इन कंपनियों के डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर दिए हैं।
प्रशासन ने भी की थी कार्रवाई
18 कंपनियों के खिलाफ प्रशासन भी इंदौर, उज्जैन में छापे की कार्रवाई कर चुका है। कई कंपनियों के खिलाफ परिवाद भी कोर्ट में पेश किए गए हैं।
एफडी में फंसे करोड़ों
एक अन्य कंपनी ने क्षेत्र में अपनी शुरुआत सबसे ज्यादा एफडी प्लान में निवेश करवाकर की थी। 1.36 लाख रुपए के एफडी प्लान में पांच वर्ष में 4.36 लाख रुपए देने का वादा करने के बावजूद मेच्योरिटी के समय सैकड़ों लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। इसमें एफडी के समय दिए गए एडवांस चेक मेच्योरिटी के साथ बाउंस हो रहे हैं।
निवेश करने के पूर्व यह सावधानी रखें
1- जांच लें कि कंपनी सेबी के साथ रजिस्टर्ड है या नहीं।
2- जो स्कीम लांच की जा रही है वह सेबी से स्वीकृत है या नहीं।
3- बैंकिंग चैनल से ही राशि ली जानी चाहिए।
4- किसी भी तरह के गारंटेड रिटर्न वाली स्कीम में निवेश नहीं करें।
ज्यादा नहीं बता सकता
क्षेत्र में चिटफंड कंपनियां सक्रिय हैं तो प्रशासन को सूचना दी जा सकती है। आई माता मार्केटिंग वाले मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते। -केएस सक्तावत, टीआई, पेटलावद
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