अंबिकापुर (निप्र)। कोतवाली पुलिस ने नगर के संचालित एक चिटफंड कंपनी के मैनेजर सहित दो एजेंटों के विरूद्घ धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। तीनों युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। एक कपड़ा व्यवसायी द्वारा कंपनी के कर्ताधर्ता व एजेंटों पर एक लाख 60 हजार रूपए गबन करने का आरोप लगाया है। शिकायत पर पुलिस ने आरोपों को सही पाया और सभी को थाना तलब कर अपराध पंजीबद्घ किया।
जानकारी के अनुसार कोतवाली पुलिस ने शुक्रवार को पंचशील गली में संचालित आईडोल इंडिया चिटफंड कंपनी के मैनेजर गौतम दास, एजेंट देवीगंज रोड निवासी प्रेम गुप्ता व जोड़ापीपल के विशाल गुप्ता के विरूद्घ धारा 420, 34 का मामला कायम करते हुए कार्रवाई की है। इनके विरूद्घ नगर के सत्तीपारा निवासी कपड़ा व्यवसायी लक्ष्मण सोनी 29 वर्ष ने 1 लाख 60 हजार रूपए गबन करने का आरोप लगाया है। पुलिस से की गई शिकायत में लक्ष्मण सोनी ने बताया था कि आईडोल इंडिया चिटफंड कंपनी के मैनेजर और एजेंटों के झांसे में आकर वह चार सौ रूपए प्रतिदिन के हिसाब से रकम जमा कर रहा था। 15 माह तक रकम जमा करने के बाद अगस्त 2015 में परिपक्वता की अवधि पूरी हो चुकी थी और उसे 1 लाख 60 हजार रूपए कंपनी की ओर से भुगतान किया जाना था। जब उसने आईडोल कंपनी से परिपक्वता राशि की मांग की तो टालमटोल किया जाने लगा। काफी दबाव बनाने के बाद भी उसे जमा की गई राशि का भुगतान ब्याज सहित नहीं किया गया। पुलिस जांच में सामने आया है कि आईडोल इंडिया कंपनी के द्वारा यूनिवर्सल माइक्रो क्रेडिट का झांसा देकर लगभग ढाई सौ लोगों से रकम जमा कराया गया है परंतु परिपक्वता की स्थिति में राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
प्रशासन ने किया था कंपनी को सील -
आईडोल इंडिया सहित कई कंपनियों को पूर्व में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जांच कार्रवाई के दौरान संतोषप्रद कारोबार नहीं पाए जाने पर सील कर दिया था। प्रशासन की कार्रवाई से तो नगरवासी वाकिफ रहे पर कब चिटफंड कंपनियों से कई अपना कारोबार पूर्ववत ग्राहकों को भरोसे में लेकर संचालित करने लगे। आईडोल इंडिया कंपनी भी प्रशासनिक कार्रवाई में सील हुई थी,इसके बाद भी इनके द्वारा ग्राहकों से रूपए संग्रहण का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा था। पुलिस ने भले ही कंपनी के मैनेजर और एजेंटों पर धोखाधड़ी की कार्रवाई के बाद हितग्राहियों की जमा पूंजी कैसे मिलेगी,इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
प्रशासनिक कार्रवाई सवालों के घेरे में -
चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा करने उच्च स्तरीय निर्देशों के बाद कुकुरमुत्ते की तरह जिला मुख्यालय सहित ब्लाक मुख्यालयों व गांवों तक जागरूक वर्ग में हलचल मची हुई है। इसके पीछे कारण पूर्व में ऐसी कंपनियों के कार्यालयों को सील करने की कार्रवाई और गुपचुप तरीके से कार्यालयों का पुनः संचालित होना भी है। हाल में ही ऐसी कई शिकायतें पुलिस थानों तक पहुंची है लेकिन कार्रवाई संतोषप्रद हुआ हो सामने नहीं आ पाया है। कुछ अन्य चिटफंड कंपनियों के खिलाफ भी परिपक्वता राशि का भुगतान नहीं करने के मामले थाने पहुंचे हैं,लेकिन पुलिस कार्रवाई शून्य है।
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