नई दिल्ली - एक संसदीय समिति ने मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव्स (MSC) में बहुत बड़े घोटाले का शुबहा होने पर प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी से उसका 'पर्दाफाश' करने के लिए कहा है। समिति का कहना है कि MSC पोंजी स्कीमों के जालसाजों के लिए गलत तरीके से जुटाई गई रकम छिपाने का ठिकाना बन गई हैं। पार्लियामेंटरी कमेटी ऑन फाइनेंस ने घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव्स का 'स्पेशल ऑडिट' कराने का सुझाव दिया है।
कमेटी इस घोटाले को इतना गंभीर मान रही है कि उसने अपनी रिपोर्ट में उनके खिलाफ 'तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई' करने की जरूरत बताई है। कमेटी के हिसाब से पिछले दो साल में MSC की संख्या में असामान्य तरीके से बढ़ोतरी हुई है। फॉर्मर यूनियन लॉ मिनिस्टर एम वीरप्पा मोइली की अगुवाई वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि MSC गलत तरीके से जुटाया गया फंड छिपाने का ठिकाना बन गई हैं।
कमेटी ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि कैसे इतने बड़े घोटाले अथॉरिटीज, खासतौर पर मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर के तहत आने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार की नजरों से बच गए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पोंजी स्कीमों से मोटी रकम मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव्स में ट्रांसफर की गई है। मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव्स का रेगुलेटरी सिस्टम अभी बहुत कमजोर है।
30 मेंबर्स वाली कमेटी ने रेगुलेटरी सिस्टम को सख्त बनाने का सुझाव दिया है। कमेटी में दोनों सदनों के बीजेपी सहित कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
कमेटी ने पिछले हफ्ते लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन को यह रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड कोऑपरेशन ने अपने जवाब में कमेटी के सामने माना है कि 2010, 2011 और 2012 में मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव्स क्रेडिट एंड मल्टी पर्पज सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन में असामान्य तरीके से बढ़ोतरी हुई थी।
डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज से जब पोंजी स्कीमों के कुकरमुत्ते की तरह उग आने के बाबत पूछा गया, तब उसने कहा कि देश में चिट फंड बिजनेस का कोई सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस नहीं है। जवाब में इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च के हालिया रिसर्च 'चिट फंड्स ऐज इनोवेटिव एक्सेस टू फाइनेंस फॉर लो इनकम हाउसहोल्ड्स' का जिक्र किया गया है। इसके लिए फाइनेंशियल ईयर 2001 से 2007 के बीच पांच राज्यों- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में रजिस्टर्ड चिट फंड्स का सर्वेक्षण किया गया था। इसके मुताबिक इंडिया में 12000 करोड़ रुपये की चिट फंड इंडस्ट्री है।
डिपार्टमेंट ने कमेटी को बताया कि मनी सर्कुलेशन स्कीम यानी पोंजी स्कीम गैरकानूनी हैं। देश में इन स्कीमों का डेटाबेस भी नहीं है। पोंजी स्कीमों के बढ़ती समस्या से निपटारा पाने के उपाय के तौर पर राज्य स्तर पर एनफोर्समेंट और विजिलेंस मैकेनिज्म की सक्रियता बढ़ाने और उनको मजबूत बनाने के लिए प्रभावी व्हिसल ब्लोअर पॉलिसी बनाए जाने का सुझाव दिया गया है।
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