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why petrol diesel prices may start falling soon

why petrol diesel prices may start falling soon

वैश्विक मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें पिछले हफ्ले 67 डॉलर प्रति बैलर के साथ इस साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसके कारण पिछले हफ्ते घरेलू मार्केट में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 5-5.5 फीसदी की वृद्धि की गई है। यह देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मई में हुई दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।



पेट्रोल-डीजल की कीमत में दो लगातार बढ़ोतरियों ने कंजयूमर्स को पिछले 9-10 महीनों में मिली राहत का बड़ा हिस्सा छीन लिया। बढ़ती तेल की कीमतें कंजयूमर्स के लिए बुरी खबर है। इससे महंगाई बढ़ने का खतरा है और यह आर्थिक सुधारों के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं। इससे पिछले कई सालों के बाद रिकवरी की ओर बढ़ रही कार सेल भी प्रभावित हो सकती है।



हालांकि दो बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकों का कहना है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि कच्चे तेल की कीमतें भविष्य में भी बढ़ती रहेंगी। गोल्डमन सैक्स के मुताबिक 2016 से 2018 के दौरान कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल रहने की संभावना है, जिसके 2020 तक 55 डॉलर प्रति बैरल हो जाने की संभावना है। गोल्डमन का यह भरोसा इस बात पर आधारित है कि मिडल ईस्ट में कच्चे तेल का उत्पादन कम नहीं होगा।



नोमुरा के मुताबिक, आने वाले समय में सऊदी अरब द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी करने की संभावनाएं हैं, जिससे कच्चे तेल पर दबाव बढ़ेगा। 5 जून को होने वाली ओपेक की अगली बैठक से सऊदी तेल पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं आएगा।



तेल की गिरती कीमतों का अनुमान जताने वाली एजेंसियां इस बात की तरफ भी इशारा करती हैं कि पिछली गर्मियों में कम दाम में तेल बेचने की शुरुआत के बाद करीब एक साल तक तेल सप्लाई में अधिकता बनी रही, जिसके कारण 100 डॉलर प्रति बैरल वाली तेल की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई थी। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी ने पिछले हफ्ते कहा था कि ओपेक के मुख्य उत्पादक प्रति दिन कम से कम 2 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन कर रहे हैं जोकि जरूरत से ज्यादा है।



यूएम एनर्जी इंफॉर्मेशन ऐडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि इस क्वॉर्टर में दुनिया का स्टॉक 1.95 मिलियन बैरल प्रति दिन के हिसाब से बढ़ रहा है और कम से कम 2016 तक जारी रहेगा। साल की दूसरी छमाही से अमेरिकी ईंधन की मांग में बढ़ोतरी होने की संभावना है लेकिन ग्लोबल उत्पादन उपयोग से ज्यादा होगा। ऐनालिस्ट के कहना है कि अगर कोई अप्रत्याशित रुकावट नहीं हुई तो प्रचुर मात्रा में तेल उपलब्ध होगा।



इस मामले रुपये का को रोल महत्वपूर्ण होगा जोकि पिछले हफ्ते 20 सप्ताह के न्यूनतम स्तर प्रति डॉलर 64 के स्तर पर आ गया। हालांकि सोमवार को इसमें सुधार हुआ और यह प्रति 63.50 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक अगले छह से 12 महीनों के दौरान रुपये के प्रति डॉलर 64 के स्तर के आसपास रहने का अनुमान है, जिसका मतलब है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें फिर से नीचे आ सकती हैं।


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  • 18 May, 2015
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