चिटफंड कंपनियों के जाल में फंसकर गाढ़े पसीने की कमाई गंवाने वालों को बचाने के लिए राज्यभर में पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है। कई कंपनियों के संचालक और प्रबंधक गिरफ्तार भी किए गए हैं, पर इनका पूरा नेटवर्क अभी खत्म नहीं हुआ है। कई कंपनियां अभी भी अपना जाल फैलाने में लगी हुई हैं। उनके इस जाल को तोडऩे के लिए कार्रवाई के तरीके पर प्रशासन को सोचना होगा।
पुलिस ने अब तक जितनी भी कार्रवाइयां की हैं वे शिकायत आने पर की हैं जबकि इस तरह की धोखाधड़ी के मामले में योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करने की जरुरत है। नए नियमों के तहत इस तरह की कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपना कारोबार शुरू करने से पहले कंपनी का पूर्ण ब्यौरा और उसके लिए काम करने वालों की पूरी जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराएंगी। इस आधार पर प्रशासन के लिए यह छानबीन करना संभव हो गया है कि कौन सी कंपनी नियमों के तहत कारोबार कर रही है और कौन ठगी के धंधे में लगी हुई है। ऐसी तमाम कंपनियों की छानबीन करके प्रशासन को यह घोषित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोई भी चिटफंड कंपनी फर्जी तरीके से नहीं चल रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी कंपनियों के एजेन्ट अभी भी घूम रहे है और लोगों से निवेश के नाम पर पैसे की उगाही कर रहे हैं। ऐसे एजेन्टों पर नजर रखने के लिए पंचायतों से भी कहा जा सकता है। कल की जरुरतों के लिए हर कोई बचत करना चाहता है। गांवों में बैंकों की सीधी पहुंच अभी नहीं हो पाई है। बहुत कम लोग हैं जो बैंकों की बचत योजनाओं की जानकारी रखते हैं और उसका लाभ उठा पाते हैं। लोगों की इस अज्ञानता का लाभ चिटफंड कंपनियों के एजेन्ट उठा रहे हैं। वे तरह-तरह का प्रलोभन देते हैं। कुछ ही समय में पैसा दुगुना हो जाने का लालच देते हैं और लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनके मेहनत से जोड़े गए पैसे निकलवा लेते हैं। ऐसे कई मामले अब तक उजागर हो चुके हैं। एक सनसाइन नामक चिटफंड कंपनी के संचालक को पकड़ा गया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि उसने हजारों लोगों से करीब 70 करोड़ रूपए जमा करवाए थे। इतनी बड़ी रकम जमा करवाने वाली कंपनी के पास अपने निवेशकों को लौटाने के लिए जाहिर है धन नहीं होगा तभी उसकी शिकायत पुलिस तक पहुंची और कंपनी का संचालक जेल के सींखचों तक पहुंचा। ऐसी कंपनियों को लाइसेन्स देने की शर्तों में कुछ नई शर्तें जोड़ी जा चुकी है और अब पहले की तरह ऐसी कंपनियां नहीं खोली जा सकतीं निवेशकों के धन की सुरक्षा की गारंटी जो कंपनी नहीं दे सके ऐसी कंपनी को कारोबार करने की इजाजत देना लूटखसोट को बढ़ावा देना ही है।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने भी इस मामले में सख्ती दिखाई है और ऐसी ही कुछ कंपनियों के संचालकों की आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के बाद लोग सतर्क भी हुए हैं, लेकिन गांवों में अभी भी ऐसी जागरुकता नहीं है,जिसका फायदा कंपनियों के पुराने एजेंट उठा रहे हैं। चिटफंड कंपनियों की इस ठगी में संचालकों की गिरफ्तारी से उनका कारोबार तो रोका जा सकता है, लेकिन एक अहम प्रश्न यह है कि डूबे हुए पैसे की जिम्मेदारी कौन लेगा? सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि निजी क्षेत्र में इस तरह के कारोबार की इजाजत उसी ने दी थी और अगर इस बहाने कुछ लुटेरों को मौका मिल गया तो सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकती।