मार्च महीने में चौथी बार भारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इस महीने में बारिश ने न केवल सौ साल का रिकार्ड ध्वस्त किया है, बल्कि किसानों की रही-सही उम्मीदें भी धो कर रख दी। पश्चिम विक्षोभ के कारण मार्च महीने में चौथी बार बेमौसम बारिश के साथ तेज हवाओं के झोंके ने बीती तीन बारिश के बावजूद कुछ इलाकों में संभली गेहूं केफसल को लगभग तबाह कर दिया है।
गेहूं के साथ-साथ सरसों, आलू, मटर और मौसमी सब्जियों को खासा नुकसान पहुंचा है।हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 11 मार्च तक देश भर में औसत से 237 फीसदी अधिक बारिश हुई है। करीब 1015 फीसदी अधिक बारिश की मार हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली किसानों को झेलनी पड़ी है। जबकि पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में औसत से 640-640 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बेमौसम बारिश से जहां किसान बेहाल होंगे, वहीं इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को जेबें ढीली करने उठाना पड़ेगा। वैसे भी बारिश के कारण मौसमी सब्जियों के दाम में पहले से ही करीब सौ फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। कीमतों में इससे भी ज्यादा इजाफा होने के साफ आसार बन गए हैं।
कृषि विशेषज्ञ निरंकार सिंह के मुताबिक न केवल बेमौसम बारिश का सौ साल पुराना कीर्तिमान ध्वस्त हुआ है, बल्कि किसानों का नुकसान भी सभी पुराने कीर्तिमान ध्वस्त कर सकता है। बकौल सिंह चूंकि खरीफ फसलें लगभग तैयार थी। इसका अर्थ यह हुआ कि किसान फसल के लिए जरूरी पूंजी लगा चुका था। फिर चिंता की बात यह है कि बेमौसम बारिश ने गेहूं सहित अन्य खरीफ फसलों से देश का अन्न भंडार भरने वाले उत्तर पश्चिम भारत को सर्वाधिक प्रभावित किया है, इसलिए इसका सीधा असर देश के खाद्यान्न भंडार पर पड़ेगा। दूसरे कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने भी भारी नुकसान का अनुमान लगाया।
उन्होंने कहा कि हालांकि आंकड़े आने में अभी वक्त लगेगा, मगर तेज हवा के झोंके के साथ बारिश और ओलों की बौछार से साफ है कि खरीफ फसल बोने वाले किसानों को जबर्दस्त घाटा उठाना होगा।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने 11 मार्च तक बिहार में 76 फीसदी, उत्तराखंड में 349 फीसदी, पंजाब में 351 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 265 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 214 फीसदी, राजस्थान में 220 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश हो चुकी है। इसी प्रकार खरीफ फसल उगाने में अग्रणी मध्य प्रदेश में 1000 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 275 फीसदी अधिक बारिश रिकार्ड की गई है।
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कीमतों की मार
बेमौसम बारिश से जहां किसान बेहाल होंगे, वहीं इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को जेबें ढीली करने उठाना पड़ेगा। वैसे भी बारिश के कारण मौसमी सब्जियों के दाम में पहले से ही करीब सौ फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। कीमतों में इससे भी ज्यादा इजाफा होने के साफ आसार बन गए हैं।
मानसून की तरह से मार्च में हुई बारिश ने किसानों को तबाह कर दिया। रविवार को 30 मिमी हुई बारिश से खेतों में पानी भर गया, जिससे फसल खराब होते देख दो किसानों की सदमे से मौत हो गई। बारिश ने 48 साल पुराना मार्च 1967 का रिकार्ड भी तोड़ दिया। आगरा में मार्च के पहले पखवाड़े में 78.7 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य से 11 गुने से ज्यादा है। बारिश के कारण पारा सामान्य से 10 डिग्री नीचे 21.1 डिग्री पर आ गया। जिले भर में फसलों के नुकसान के लिए प्रशासन ने टीमें बनाकर आकलन शुरू कर दिया है।
मैनपुरी में बारिश और तेज हवाओं के कारण खेतों में फसलें गिरने से गेहूं और जौ की फसल में करीब 40 फीसदी उत्पादन में गिरावट आने की आशंका जताई जा रही है। जो किसान आलू की खोदाई नहीं कर पाए हैं, उनका आलू पूरी तरह तबाह होने की बात कही जा रही है। उधर, बरनाहल क्षेत्र में आलू के बड़े नुकसान को देखते हुए शनिवार की देर शाम सदमे में आए किसान रोहन सिंह की हृदयगति रुकने से मौत हो गई।