फ्राड कर चुकी चिटफंड कंपनी को लाने के लिए नए केस बनाए जाएंगे। उसके बाद कोई भी फ्राड चिटफंड कंपनी संपत्ति कुर्क करने के नए कानून से बच नहीं सकेगी और फ्राड कंपनियों की प्रापर्टी कुर्क की जाएगी। नीलामी से मिली रकम कंपनी में पैसा इन्वेस्ट करने वाले पीड़ितों में बांटा जाएगा। नए कानून के अनुसार मुआवजा पाने के लिए पीड़ितों को पुलिस थाने या जिला प्रशासन को उस कंपनी के खिलाफ नया आवेदन देना होगा। उसी आवेदन के आधार पर जिला प्रशासन फ्राड कंपनी की प्रापर्टी कुर्क करेगा।
कलेक्टर ओपी चौधरी ने इस बारे में निर्देश जारी कर दिया है। फ्राड कंपनी के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए आवेदन जिला प्रशासन के ऑफिस में भी स्वीकार किए जाएंगे। किसी भी थाने में भी पीड़ित नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी सीधे आवेदन स्वीकार करने की व्यवस्था है। जिला प्रशासन की ओर से इसका सिस्टम ऐसा बनाया जा रहा है कि चिटफंड कंपनी के खिलाफ आवेदन पर तुरंत कार्रवाई होगी। इससे फ्राड कंपनी की संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाएगी। भास्कर ने शनिवार को यह खुलासा किया था कि 2015 के पहले फ्राड करने वाली चिटफंड कंपनी प्रापर्टी नीलाम करने वाले कानून के दायरे में नहीं आएंगी। उनके खिलाफ थाने में साधारण चारसौबीसी का केस दर्ज रहेगा। उसी के बाद जिला प्रशासन की ओर से निर्देश जारी कर यह स्पष्ट किया गया कि कोई भी कंपनी कानून से बच नहीं सकेगी। पीड़ितों को नए सिरे से आवेदन करना होगा। पुलिस अफसरों ने बताया कि अभी जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उनकी संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया भी चल रही है। कई पुरानी कंपनियों की संपत्ति की पहचान की जा चुकी है।
डायरेक्टर को जेल, कई दस्तावेज सील
28 मई को प्रकाशित खबर।
फालोअप
पुलिस ने शनिवार को देवपुरी के प्रोग्रेसिव प्वाइंट स्थित एक चिटफंड कंपनी के दफ्तर में जांच की। यहां से दो कम्प्यूटर, ब्रोशर, बॉन्ड समेत कई दस्तावेज जब्त कर सील कर दिया है। पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर संजय धर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। डीडी नगर पुलिस ने बताया कि शनिवार सुबह कंपनी के दफ्तर की जांच की गई। उन्होंने बताया कि कंपनी हाल ही में बंद हुई है। संजय धर ने 2014 में गोल्ड की इन्फावेन्चर लिमिटेड चिटफंड कंपनी की शुरुआत की। 6 साल में रकम दोगुना करने का झांसा देकर लोगों को निवेश किराया। एक साल बाद कंपनी का नाम बदल दिया गया। कंपनी का नाम डेसीट बेनीफिट लिमिटेड कंपनी कर दिया गया। लेकिन दफ्तर, कर्मचारी व स्कीम नहीं बदली। इसमें भी सैकड़ों लोगों ने निवेश किया। पुलिस के अनुसार दोनों कंपनी में 1 करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ है।
600 करोड़ों से ज्यादा की संपत्ति
2015 के पूर्व नया कानून लागू होने के पहले 30 से ज्यादा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनकी रायपुर और उसके आसपास के अलावा पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई राज्यों में 600 कराेड़ से ज्यादा की संपत्ति है। पुलिस ने सभी कंपनियों की प्रापर्टी की पहचान कर ली है। इन कंपनियों की संपत्ति कुर्क होने से हजारों लोगों को राहत मिलेगी। डूबा हुआ पैसा वापस मिल जाएगा। जिन कंपनियों की संपत्ति की अब तक पहचान नहीं की गई है। उनकी संपत्ति की पहचान की कोशिश की जा रही है।
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