Swindler companies Divestiture to do Now chitfund squad
Admin | 03 February, 2016 | 887 | 3980
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चिटफंड कंपनियों को अब भागने के पहले ही घेरने की तैयारी कर ली गई है। कंपनियों की ठगी का भंडाफोड़ करने के लिए विशेष अनुसंधान यूनिट में चिटफंड स्क्वॉड बनाया गया है। इस स्क्वॉड का पूरा फोकस फर्जी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच करना होगा। थाने में चिटफंड कंपनी की ठगी से संबंधित शिकायत मिलते ही उसे स्क्वॉड के हवाले कर दिया जाएगा। शिकायत के आधार पर स्क्वॉड जांच करेगी। ठगी के संकेत मिलते ही कंपनी के जिम्मेदारों को पकड़ लिया जाएगा। स्क्वॉड का पूरा फोकस केवल फर्जी चिटफंड कंपनी होगी। इससे लोगों को जल्दी न्याय मिलने में मदद मिलेगी।
पिछले एक महीने के दौरान ही आधा दर्जन से ज्यादा फर्जी चिटफंड कंपनियों का गोलमाल उजागर हुआ है, लेकिन एक दो केस को छोड़कर बाकी मामले में कंपनी के जिम्मेदार पकड़े जाने के पहले ही भाग गए। उन्हें भागने के पहले ही घेरने के लिए स्क्वॉड बनाया गया है। पुलिस के जिम्मेदार अफसर मान रहे हैं कि चिटफंड कंपनी के खिलाफ एक-एक साल पहले शिकायत आ चुकी थी, लेकिन थाना स्तर पर जांच में देरी होने के कारण तुरंत अपराध पंजीबद्ध नहीं किया जा सका। इस दौरान चिटफंड कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए वसूल कर चली गई। अपराध दर्ज करने के बाद पुलिस की टीम जब उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची तो दफ्तर में ताला मिला। पिछले डेढ़ दशक में राजधानी और उसके आसपास के लोगों से तकरीबन 500 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है। 20 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। स्क्वॉड के अफसर उसकी भी जांच करेंगे। एसपी बीएन मीणा ने खुद इस टीम के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे।
एसपी बीएन मीणा ने बताया कि शहर के अलग-अलग थानों में चिटफंड के मामले दर्ज है। थानों में मामले के आधार पर एक जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें विशेष जांच टीम के साथ मिलकर जांच करना होगा। इसके लिए जांच के बिंदु भी तय किए जाएंगे। जांच में आए नए तथ्य, मिले साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कंपनी के प्रदेश में संपत्ति की पहचान की जाएगी। ताकि उन्हें सील कर कलेक्टर और कोर्ट के माध्यम से नीलाम किया जा सके और पीड़ितों को उनका पैसा दिलाया जा सके।
(कंपनियों के ठगी के आंकड़े करोड़ों में)
एसपी ने बताया कि विशेष जांच टीम सिर्फ चिटफंड के ही मामले देखेगी। इससे जांच में आसानी होगी और अफसर में ठीक से जांच कर सकेंगे। थानों में रोज नए-नए अपराध दर्ज होते है। इसके अलावा ज्यादातर अमला कानून और व्यवस्था में व्यस्त रहता है। इस वजह से अफसर जांच में फोकस नहीं कर पाते। विशेष जांच टीम थानों में दर्ज मामलों के लिए चालान तैयार करने से लेकर आरापियों को पकड़ने तक पूरी कार्रवाई देखेगी।
पीएसीएल - 110 करोड़
एचबीएन - 96 करोड़
बीएनपी इंडिया - 40 करोड़
आस्था गोट फार्मिंग - 40 करोड़
माइक्रो फाइनेंस - 30 करोड़
ग्रीन रे कंपनी - 40 करोड़
सिर्फ चिटफंड की जांच- एसपी
बड़ी ठग कंपनियां
अलग टीम की जरूरत इसलिए भी
पुलिस अफसरों ने बताया कि एसआईयू का वजूद होने के बावजूद चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच के लिए इसलिए भी अलग टीम बनाई गई है क्योंकि एसअाईयू जमीन से संबंधित विवादों पर ज्यादा फोकस करती है। उन पर चिटफंड कंपनियों की जांच का जिम्मा सौंपने से बेहतर नतीजे नहीं आते। एसआईयू का फोकस भी गड़बड़ाने का अंदेशा था। इसलिए चिटफंड के मामलों के लिए अलग टीम बनाई गई है।
पिछले एक महीने के दौरान ही आधा दर्जन से ज्यादा फर्जी चिटफंड कंपनियों का गोलमाल उजागर हुआ है, लेकिन एक दो केस को छोड़कर बाकी मामले में कंपनी के जिम्मेदार पकड़े जाने के पहले ही भाग गए। उन्हें भागने के पहले ही घेरने के लिए स्क्वॉड बनाया गया है। पुलिस के जिम्मेदार अफसर मान रहे हैं कि चिटफंड कंपनी के खिलाफ एक-एक साल पहले शिकायत आ चुकी थी, लेकिन थाना स्तर पर जांच में देरी होने के कारण तुरंत अपराध पंजीबद्ध नहीं किया जा सका। इस दौरान चिटफंड कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए वसूल कर चली गई। अपराध दर्ज करने के बाद पुलिस की टीम जब उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची तो दफ्तर में ताला मिला। पिछले डेढ़ दशक में राजधानी और उसके आसपास के लोगों से तकरीबन 500 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है। 20 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। स्क्वॉड के अफसर उसकी भी जांच करेंगे। एसपी बीएन मीणा ने खुद इस टीम के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे।
एसपी बीएन मीणा ने बताया कि शहर के अलग-अलग थानों में चिटफंड के मामले दर्ज है। थानों में मामले के आधार पर एक जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें विशेष जांच टीम के साथ मिलकर जांच करना होगा। इसके लिए जांच के बिंदु भी तय किए जाएंगे। जांच में आए नए तथ्य, मिले साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कंपनी के प्रदेश में संपत्ति की पहचान की जाएगी। ताकि उन्हें सील कर कलेक्टर और कोर्ट के माध्यम से नीलाम किया जा सके और पीड़ितों को उनका पैसा दिलाया जा सके।
(कंपनियों के ठगी के आंकड़े करोड़ों में)
एसपी ने बताया कि विशेष जांच टीम सिर्फ चिटफंड के ही मामले देखेगी। इससे जांच में आसानी होगी और अफसर में ठीक से जांच कर सकेंगे। थानों में रोज नए-नए अपराध दर्ज होते है। इसके अलावा ज्यादातर अमला कानून और व्यवस्था में व्यस्त रहता है। इस वजह से अफसर जांच में फोकस नहीं कर पाते। विशेष जांच टीम थानों में दर्ज मामलों के लिए चालान तैयार करने से लेकर आरापियों को पकड़ने तक पूरी कार्रवाई देखेगी।
पीएसीएल - 110 करोड़
एचबीएन - 96 करोड़
बीएनपी इंडिया - 40 करोड़
आस्था गोट फार्मिंग - 40 करोड़
माइक्रो फाइनेंस - 30 करोड़
ग्रीन रे कंपनी - 40 करोड़
सिर्फ चिटफंड की जांच- एसपी
बड़ी ठग कंपनियां
अलग टीम की जरूरत इसलिए भी
पुलिस अफसरों ने बताया कि एसआईयू का वजूद होने के बावजूद चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच के लिए इसलिए भी अलग टीम बनाई गई है क्योंकि एसअाईयू जमीन से संबंधित विवादों पर ज्यादा फोकस करती है। उन पर चिटफंड कंपनियों की जांच का जिम्मा सौंपने से बेहतर नतीजे नहीं आते। एसआईयू का फोकस भी गड़बड़ाने का अंदेशा था। इसलिए चिटफंड के मामलों के लिए अलग टीम बनाई गई है।