आगरा. सोमवार को सीएम अखिलेश यादव ने यादव सिंह को सस्पेंड कर दिया है। अकूत संपत्ति रखने के मामले में फंसे नोएडा विकास अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह का परिवार अंग्रेजों के जमाने से ही दौलतमंद था। ब्रिटिश हुकूमत के समय भी इनके दादा शंकर लाल शाही बग्घी से घूमते थे। पुस्तैनी गांव नंदपुर में आज भी इस खानदान के दान के चर्चे खूब हैं। रविवार को dainikbhaskar.com की टीम ने नंदपुर पहुंचकर यादव सिंह के परिवार के बारे में जानकारी हासिल की।
नंदपुर गांव के लोगों के अनुसार, यादव सिंह के पिता प्रभुदयाल एक मामूली ठेकेदार थे, लेकिन उनका परिवार शुरू से ही रईस रहा है। अंग्रेजों के समय भी उनके दादा शाही बग्घी से घूमा करते थे। हालांकि, यादव सिंह द्वारा बसपा के शासन में अकूत संपत्ति आर्जित करने की चर्चा है। उनके आगरा के होने की खबर भी प्रमुखता में रही है। वहीं, पत्रकारों से मारपीट के आरोप में उनके भाई कपूर चंद यादव गंभीर केस में फंस कर अंडरग्राउंड हो गए हैं।
जब साइकिल नहीं दिखती थी यादव के घर थी मोटरसाइकिल
नंदपुर के पास रहने वाले बसपा के मंडल को-ऑर्डिनेटर भारतेंदु अरुण ने बताया कि उन्होंने यादव सिंह को शादी-त्योहारों में देखा जरूर है, लेकिन कभी उनसे दुआ-सलाम नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘उनके परिवार के बारे में इतना जानता हूं कि जब साइकिल देखने के लिए लोग चार गांव पार जाते थे, तब यादव सिंह के घर पर मोटरसाइकिल हुआ करती थी। इस समय उनके घर पर ताला जरूर लगा है, पर वे खानदानी रईस हैं। मेरे हिसाब से उन्हें पैसे के पीछे भागने की जरूरत नहीं थी। अब हकीकत क्या है यह हम भी नहीं जानते।’
दादा शंकर लाल अंग्रेजों के समय में थे ठेकेदार
भारतेंदु के अनुसार, यादव सिंह के दादा शंकर लाल अंग्रेजों के जमाने में ठेकेदार हुआ करते थे। आजादी से पहले जब देश में भूखमरी थी तब भी वह शाही बग्घी में चलते थे। वहीं, एक बुजुर्ग माखन लाल ने बताया कि जब 20 कोस तक पढ़ाई नहीं थी उस समय यादव सिंह के दादा ने नंदपुर गांव को धर्मशाला दी थी। लगभग 50 साल पहले उन्होंने अपनी जमीन पाठशाला को दान दे दी थी, जहां आज भी एक प्राइमरी कन्या विद्यालय है।