अंबिकापुर (निप्र): नियम प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर कम समय में ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर लोगों से बड़ी रकम निवेश कराने वाली कंपनियों के खिलाफ गुरूवार को शहर में बड़ा अभियान चलाया गया। पुलिस और प्रशासन के दल ने कंपनियों के स्थानीय कार्यालयों में ताबड़तोड़ छापे की कार्रवाई की। जांच में कंपनियों द्वारा नियम विरूद्घ तरीके से बैंकों की तरह लेनदेन करने का खुलासा हुआ। हजारों लोगों से करोड़ों रूपए जमा कराने का मामला प्रारंभिक जांच में सामने आया है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने अग्रिम जांच हेतु संबंधित कंपनी के कार्यालयों से जुड़े कुछ दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। कई कंपनियों के कार्यालयों को सील भी कर दिया गया है। छापे की कार्रवाई की भनक लगते ही कई कंपनी के स्थानीय कार्यालयों को बंद कर कर्मचारी भाग निकले। देर रात तक छापेमारी और जांच की कार्रवाई जारी थी।
मिली जानकारी के मुताबिक संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में लंबे अरसे से कई कंपनियों के दफ्तर संचालित हो रहे हैं। इन दफ्तरों में बैंकों की तरह सारा कामकाज निपटाया जा रहा है। राशि जमा करने पर कम अवधि में ज्यादा रिटर्न का लालच देकर गांव-गांव में एजेंटों का जाल बिछा इन कंपनियों द्वारा लोगों से बड़ी रकम निवेश कराने का खुला धंधा किया जा रहा है। दो दिन पहले नमनाकला रिंगरोड में स्थित अनमोल एग्रो नामक कंपनी के स्थानीय कार्यालय में दबिश देकर जांच की कार्रवाई की गई थी। जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी उजागर होने पर कंपनी के स्थानीय कार्यालय को सील करने के साथ ही तीन कथित मैनेजरों के खिलाफ भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। गुरूवार को इन कंपनियों के खिलाफ पुलिस व प्रशासनिक दल ने बड़ी कार्रवाई की। एसडीएम अजीत बसंत आईएएस, सीएसपी आशुतोष सिंह आईपीएस, जिला कोषालय अधिकारी लाजरूस मिंज, नायब तहसीलदार श्री सोनपिपरे, गांधीनगर थाना प्रभारी नरेश चौहान, आरआई शशिकांत दुबे के नेतृत्व में छापे और जांच की कार्रवाई की शुरूआत नवापारा मार्ग में उर्सूलाईन स्कूल के ठीक सामने स्थित बीएन गोल्ड रियल स्टेट एंड एलाईड लिमिटेड के स्थानीय कार्यालय से की गई। यहां जब अधिकारी जांच हेतु पहुंचे तो कथित मैनेजर उपलब्ध नहीं था। आपरेटर और लिपिक का काम देखने वाले स्थानीय दो-तीन कर्मचारी ही मौजूद थे। बार-बार कथित मैनेजर को बुलाए जाने के बावजूद वह नहीं पहुंचा। ऐसी स्थिति में कंपनी के स्थानीय कर्मचारियों से राशि जमा और लेनदेन के संबंध में वैद्य दस्तावेज प्रस्तुत करने कहा गया लेकिन वे ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके जो राशि जमा कराने का अधिकार देता हो। जब अधिकारियों ने अपने स्तर से कार्यालय में उपलब्ध कागजातों की जांच की तो पता चला कि रियल स्टेट के धंधे के नाम पर कंपनी द्वारा बैंक की तर्ज पर काम किया जा रहा था। बैंकों के समान अलग-अलग स्कीम में राशि जमा कराई जाती थी। कैशियर के पास राशि जमा कराने के पश्चात इसकी आनलाईन इंट्री कंपनी मुख्यालय मे ंकी जाती थी। अधिकारियों ने यहां से कंपनी के ग्राहक और विभिन्न स्कीम में राशि जमा करने संबंधित फार्म, मैच्यूरिटी रजिस्टर के साथ ग्राहकों की खोजबीन हेतु उनके नाम वाले एक दो रजिस्टर अपने कब्जे में लिए और कंपनी के कार्यालय को सील कर दिया। यहां से अधिकारियों का दल सीधे चोपड़ापारा स्थित पन्ना के्रडिट एंड थ्रिफ्ट मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के कार्यालय में पहुंचा। यहां भी डिविजनल मैनेजर की पदस्थापना है लेकिन जांच के दौरान डिविजनल मैनेजर मौजूद नहंी थे। कार्यालय में उपस्थित दो कर्मचारियों द्वारा राशि जमा करने संबंधित काम किया जा रहा था। जब कंपनी का रजिस्ट्रेशन से संबंधित दस्तावेज चेक किया गया तो पता चला कि जिस आधार पर कंपनी को काम करना है,उसके ठीक विपरित राशि जमा कराने का खुला धंधा किया जा रहा था। आरडी, एफडी के अलावा अलग-अलग स्कीम संचालित की जा रही थी जिसमें कम अवधि में ज्यादा रिटर्न देने का भी झांसा दिया गया था। प्रथम दृष्टया गड़बड़ी सामने आने पर इस कंपनी के स्थानीय कार्यालय को भी सील कर दिया गया।
सात कंपनी के कार्यालयों में लगा ताला
गुरूवार को एसडीएम अजीत बसंत आईएएस एवं सीएसपी आशुतोष सिंह के नेतृत्व में छह घंटे से भी अधिक समय तक शहर में संचालित कथित कंपनियों के कार्यालयों में जांच की गई। इस दौरान सात कंपनियां ऐसी पाई गईं जो नियम प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर राशि लेन देन के काम में लगी हुई थीं। अधिकारियों ने सात कंपनी के स्थानीय कार्यालयों में ताला लगवा दिया। अब कंपनियों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी। जांच में सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई तय होगी। जिन कंपनियों के कार्यालयों में सीलबंदी की गई वे निम्नानुसार हैं
# बीएन गोल्ड रियल स्टेट एंड एलाईड लिमिटेड, उर्सूलाईन स्कूल के सामने
# क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, चोपड़ापारा रिंगरोड
# विनायक होम्स एवं रियल स्टेट कंपनी, चोपड़ापारा रिंगरोड
# सांई कुटुंब कंपनी, कारमेल स्कूल के सामने नमनाकला रिंगरोड
# सांई प्रसाद कंपनी, जोड़ापीपल अंबिकापुर
# पीएसीएल, पुराना एलआईसी आफिस बिल्डिंग चोपड़ापारा
# रोजवैली, श्रीराम टॉवर, अंबेडकर चौक
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कार्यालय में ताला लगा भागे कर्मचारी
चोपड़ापारा रिंगरोड में जिस बहुमंजली इमारत पर के्रडिट एंड थ्रिफ्ट मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का कार्यालय संचालित किया जा रहा था उसके ठीक उपर की मंजिल में विनायक होम्स एंड रियल स्टेट नामक कंपनी की स्थानीय कार्यालय संचालित थी। जैसे ही विनायक होम्स के कर्मचारियों को नीचे के तल में संचालित कंपनी कार्यालय में छापेमारी की खबर लगी विनायक होम्स के कर्मचारी अपने दफ्तर में ताला बंद कर भाग निकले। ताबड़तोड़ छापे की कार्रवाई की भनक लगते ही शहर के अलग-अलग मोहल्ले में संचालित कई दफ्तर भी बंद हो गए। चोपड़ापारा मिशन चौक के पास संचालित दो कार्यालय में अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही ताला बंद मिला,जबकि मनेंद्रगढ़ रोड में स्थित दो कंपनियों के कार्यालय भी गुरूवार को बंद मिले। कार्यालय में ताला बंद होने के कारण पुलिस और प्रशासन के अधिकारी जांच और कार्रवाई नहीं कर सके।
ताला तोड़कर दस्तावेजों की जांच
चोपड़ापारा रिंगरोड में एक ही भवन में दो कंपनी के कार्यालय संचालित थे। पन्ना के्रडिट एंड थ्रिफ्ट मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के कार्यालय में सीलबंदी के बाद जब अधिकारियों का दल उसके उपर की मंजिल में विनायक होम्स पहुंचे तो ताला बंद देखा। पूछताछ में संभावना जताई जाने लगी कि छापे और जांच की कार्रवाई के भय से भीतर से मुख्य प्रवेश द्वार का दरवाजा बंद कर लिया गया है और कर्मचारी भीतर ही हैं। इसी आशंका पर बार-बार आवाज लगाई गई। पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया और जब भीतर से दरवाजा नहीं खुला तो कार्यालय का दरवाजा तोड़ दिया गया। जब अधिकारी व कर्मचारी भीतर प्रवेश किए तो देखा कि वहां कोई नहीं था। सभी कंप्यूटर चालू थे और राशि जमा करने संबंधी सारे दस्तावेज भी पड़े हुए थे। कई लोगों का मैच्यूरिटी सर्टिफिकेट भी पड़ा हुआ था। दस्तावेजों की जांच में हजारों लोगों द्वारा लाखों रूपए निवेश का पता चला। दरवाजा को ठीक कर विनायक होम्स के कार्यालय को भी सील कर दिया गया।
राशि जमा करने आया जवान पकड़ा गया
छापे की कार्रवाई की भनक लगते ही विनायक होम्स के कर्मचारी कार्यालय के दरवाजा को बंद कर भाग गए थे। उस दौरान सूरजपुर के नगरसेना का एक जवान इस कंपनी के स्कीम में राशि जमा करने आया था। कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उसे भवन के उपर के किसी कमरे में चले जाने की जानकारी दी गई थी और वे खुद भवन छोड़कर भाग गए थे। भवन का एक कमरा भीतर से बंद होने की खबर लगने पर जब पुलिस कर्मचारियों ने दरवाजा खुलवाया तो उसमें से सूरजपुर में पदस्थ नगर सेना का जवान बाहर निकला। बाहर निकलते ही वह अधिकारियों के हाथ पैर जोड़ने लगा। उसका कहना था कि उसने उक्त कंपनी में अपना खाता खुलवाया है और कंपनी के एक स्कीम में वह राशि जमा करने आया था। इसी जांच के दौरान बलरामपुर के डुमरखी निवासी निरंजन गुप्ता नामक व्यक्ति भी सामने आया। उसके द्वारा भी खुद का और परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम पर कंपनी में राशि निवेश कराने की जानकारी मिली। जांच में पता चला कि कंपनी द्वारा तीन साल में डेढ़ गुना और पांच साल में दोगुना जमा रकम पर रिटर्न देने का दावा अपने ग्राहकों से किया गया है।
कई और कंपनी के कार्यालयों की जांच
पुलिस और प्रशासन के दल ने गुरूवार को कई घंटे शहर में जांच व कार्रवाई का अभियान चलाया। शुरूआती जांच में तीन कंपनी के कार्यालयों को सील करने के बाद अधिकारियों का दल अंबेडकर चौक में श्रीराम टावर में स्थित रोजवैली कंपनी के कार्यालय पहुंचा। यहां भी दस्तावेजों की जांच की गई। दस्तावेजों की जांच में पता चला कि कंपनी बैंकों की तरह जो काम कर रही है उसका अधिकार उसे नहंी है। नियम विपरित बैंकों की तरह लेन देन पर इस कार्यालय को भी सील कर दिया गया। अधिकारियों ने मनेंद्रगढ़ रोड में स्थित दो और कंपनियों के स्थानीय कार्यालय में दबिश दी। लेकिन दोनों कार्यालय बंद मिले। संभवतःछापे की कार्रवाई की भनक लगने पर कार्यालयों को बंद कर कर्मचारी भाग गए थे। इसके अतिरिक्त पंचशील होटल के पास, गुदरी गली समेत, शहर के दूसरे मोहल्लों में भी संचालित विभिन्न कंपनी के स्थानीय कार्यालयों में जांच और छापेमारी की कार्रवाई की गई। समाचार लिखे जाने तक पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का दल जांच में लगा हुआ था।
निवेश इतना कि अफसर भी अवाक
शहर में लंबे अरसे से संचालित कथित कंपनियों के कार्यालयों में जांच के दौरान अधिकारी भी अवाक रहे। नियम प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर कंपनियों द्वारा हजारों लोगों से लाखों रूपए जमा कराए गए हैं। इसके प्रमाण कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेजों ने दिए। कई कंपनियों के कार्यालयों मे ंउपलब्ध दस्तावेजो की जांच से पता चला कि एक-एक ग्राहक द्वारा लाखों रूपए जमा किए गए हैं। गुरूवार को सभी कार्यालयों की प्रारंभिक जांच पड़ताल के बाद करोड़ों रूपए जमा कराने का अंदेशा है। सबसे बड़ा सवाल है कि इन कथित कंपनियों द्वारा जितना ब्याज देने का दावा किया जा रहा है उतना ब्याज किसी राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा किसी दूसरी रजिस्टर्ड वित्तीय संस्थान से नहीं दी जाती। इसके बाजवूद इन कंपनियों द्वारा कैसे ग्राहकों को कम अवधि में ही राष्ट्रीयकृत बैंकों से ज्यादा ब्याज दिया जा रहा है। यह जांच का विषय है।
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आलीशान कार्यालयों में बैंकों जैसा काउंटर
शहर में संचालित तथाकथित विभिन्न कंपनियों के कार्यालय पहली नजर में ही आकर्षित करने वाले थे। मुख्य दरवाजे से कार्यालय में प्रवेश करते ही सब कुछ वेलमैंटेन नजर आ रहा था। सर्वसुविधायुक्त भवनों के कमरों को किराए पर लेकर ऐसे कार्यालयों का संचालन किया जा रहा है जहां बैंकों के समान ग्राहकों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन कार्यालयों में जो सुविधाएं हैं वह कई नामी गिरामी बैंकों में भी नजर नहीं आती। कई कार्यालयों में एसी लगे हैं और सारे कामकाज कंप्यूटर,लैपटाप से निपटाए जा रहे हैं। राशि जमा कराने की आनलाईन व्यवस्था भी दी जा रही हैं। कंपनी के कथित अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ ही ग्राहकों के बैठने के लिए ऐसे-ऐसे सोफे रखे गए हैं जो बेशकिमती हैं।
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पहले दे दी थी क्लीन चिट
संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में कम अवधि में निवेश पर ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर राशि जमा कराने वाली कंपनियों का जाल वर्षों से बिछा हुआ है। यह पहला अवसर है जब एक साथ इतनी बड़ी ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई है। पूर्व के वर्षो में तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा दिखावे की कार्रवाई किए जाने का ही परिणाम है कि इन कंपनियों का धंधा बेखौफ चल रहा था। पूर्व के वर्षों में तत्कालीन एक-दो जिम्मेदार अधिकारियों ने इन कंपनियों को कमाई का बड़ा जरिया भी बना लिया था। ऐसा नहीं है कि सीलबंदी की कार्रवाई पहली बार की गई है। इसके पहले भी ऐसी कार्रवाई हो चुकी है,लेकिन उस दौर मे सीलबंद करने वाले अधिकारियों द्वारा ही इन कार्यालयों को क्लीन चिट दी गई थी। इसके बाद से एजेंटों का जाल बिछाकर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोगों को झांसा देकर इन कंपनियों में राशि जमा कराया जा रहा था। अब देखना है कि गुरूवार को हुई कार्रवाई का क्या नतीजा निकलकर सामने आता है।
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वापस कराई जा चुकी है रकम
उर्सूलाईन स्कूल के सामने स्थित बीएन गोल्ड रियल स्टेट एंड एलाईड लिमिटेड के स्थानीय कार्यालय के खिलाफ पूर्व में भी शिकायत मिल चुकी है। जिला कोषालय अधिकारी लाजरूस मिंज ने बताया कि लुंड्रा निवासी परमेश्वर एक्का द्वारा प्रशासन को लिखित शिकायत की गई थी जिसमें उल्लेख किया गया था कि उसने कंपनी में पांच लाख रूपए जमा किए थे। कंपनी द्वारा पांच साल में राशि दुगुना हो जाने का झांसा देकर रकम जमा करवाई गई थी लेकिन राशि नहीं दी जा रही है। तब जिला प्रशासन द्वारा कंपनी को नोटिस जारी की गई थी। नोटिस के परिपालन में कंपनी द्वारा दो किश्त में परमेश्वर एक्का को जमा राशि लौटाई गई थी। चार लाख 10 हजार रूपए का चेक तथा 90 हजार रूपए नगद वापस किए गए थे।