कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करोड़ों रुपये के सारदा चिट फंड घोटाला मामले में मनी लांडरिंग निवारक कानून के तहत आज पहला आरोप-पत्र दाखिल किया। इसमें तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद श्रींजय बोस तथा अब बंद पड़े समूह के चेयरमैन सुदीप्त सेन समेत अन्य के नाम शामिल हैं।
यह आरोप पत्र पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव शुरू होने से चार दिन पहले दाखिल किया गया है। ईडी ने 10,000 पृष्ठों से अधिक का आरोपत्र यहां विशेष सत्र अदालत के समक्ष दायर किया। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में 21 आरोपियों को नामजद किया है। इसमें 10 व्यक्ति तथा 11 कंपनियां शामिल हैं। ईडी पिछले तीन साल से मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत मामले की जांच कर रहा है।
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बोस के अलावा ईडी ने सुदीप्त सेन, सारदा समूह में उनके वरिष्ठ कर्मचारी देबजानी मुखर्जी, उनकी पत्नी पियाली सेन, बेटा शुभोजीत, कारोबारी शांतनू घोष तथा रमेश गांधी, सारदा एजेंट प्रशांत नासकार, पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह तथा अलग हो चुकी उनकी पत्नी मनोरंजना सिंह को नामित किया है। एजेंसी इस मामले में अब तक 600 करोड़ रपये मूल्य की संपत्ति जब्त करने के चार आदेश जारी कर चुकी हैं। ईडी ने पश्चिम बंगाल, असम और ओड़िशा में दर्ज पुलिस प्राथमिकियों पर संज्ञान लेते हुए पीएमएलए के तहत 2013 में यह मामला दर्ज किया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र में कुल 338 में से 91 बैंक खातों के जरिये किये गये लेन-देन का रिकार्ड पेश किया गया है। इन खातों का उपयोग कथित चिट फंड घोटाले में किया गया। ईडी के अनुसार यह घोटाला 2,500 करोड़ रुपये का है। सूत्रों के अनुसार आरोप पत्र केवल पश्चिम बंगाल में घोटाले से संबद्ध है जहां चार अप्रैल से चुनाव शुरू हो रहे हैं।