साईं प्रसाद चिटफंड कंपनी की धोखाधड़ी का शिकार हुईं भोई मोहल्ले की महिलाएं बुधवार को स्टेशन रोड थाने पहुंची। कंपनी की एजेंट महिला को साथ लेकर आई महिलाओं ने रुपए वापस दिलाने और कंपनी के एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। भोई मोहल्ले के 70 परिवारों ने साईं प्रसाद कंपनी के आरडी (रैकरिंग डिपाजिट) और एफडी (फिक्स डिपाजिट) खातों में 10 लाख से अधिक रुपए जमा करवाए हैं। साईं प्रसाद कंपनी का न्यू रोड स्थित ऑफिस नवंबर 2015 से बंद हो चुका है।
भोई मोहल्ला निवासी गणेशी कहार ने बताया एजेंट आशा कनोजिया ने एफडी करवाने पर साढ़े पांच साल में रुपए दो गुने, सात साल में तीन गुना होने और रैकरिंग डिपाजिट में मैच्योरिटी होने पर ज्यादा ब्याज मिलने की योजना बताई थी। आशा के कहने पर गणेशी ने मोहल्ले की महिलाओं और रिश्तेदारों के 400 से अधिक आरडी खाते खुलवाए और एफडी करवाई। खातों की मैच्योरिटी होने पर लोगों को रुपए नहीं मिले। पूछताछ में आशा ने उसके सीनियर भारतसिंह सोलंकी, राधा चौधरी और सुरेश डिंडोर को रुपए जमा कराने की जानकारी दी। गणेशी ने बताया जनसुनवाई में कलेक्टर और एसपी से भी शिकायत की है। गणेशी ने बताया उसने रिश्तेदारों और परिचितों के 400 से अधिक खाते खुलवाए थे। कुछ को रुपए मिले पर अधिकतर लोग रुपयों के लिए एजेंटों के घरों के चक्कर लगा रहे हैं।
भोई मोहल्ला निवासी मनीषा सिंह ने बताया उन्होंने 54 हजार और 10 हजार रुपए की एफडी करवाई थी। इसी तरह अलकाबाई ने 1.25 लाख, गणेशी ने 54 हजार, रेशमा, भोलीबाई तथा कनीराम ने 40-40 हजार रुपए की एफडी करवाई थी। इनके अलावा राकेश, रामकन्याबाई, मैनाबाई, मुकेश आदि ने पांच सौ से डेढ़ हजार रुपए तक प्रतिमाह रैकरिंग डिपाजिट के खाते खोले थे जिन्हें मेच्योरिटी पर जमा राशि वापस नहीं मिली।
हित संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है- परसाई
अभिभाषक संगीता परसाई ने बताया साईं प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनीज के एजेंट्स ने उपभोक्ताओं से नियत छह साल में राशि दोगुनी होने का दावा कर एफडी कराई थी। तय समय बाद भी हितग्राहियों को राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे मामलों में कंपनी के खिलाफ मप्र हित संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत प्रकरण दर्ज करने के बाद प्रशासन की ओर से कोर्ट में परिवाद दायर किया जाता है।
अधिकारियों ने खाते खुलवाने पर भी इनाम का लालच दिया था
साईं प्रसाद के अधिकारियों ने खाते खुलवाने पर 20 प्रतिशत कमीशन का लालच दिया था। टार्गेट से अधिक खाते खुलवाने पर इनाम में कार, मोटरसाइकिल, मकान देने की योजना बताई थी।
2005 में खुला था ऑफिस-जानकारी के अनुसार 2005 में साईं प्रसाद कंपनी का ऑफिस रतलाम में बैंक कॉलोनी में खोला था। बाद में न्यू रोड पर शिफ्ट हो गया। नवंबर में यह भी बंद हो गया।
एजेंट ने कहा- मैंने भी की है कंपनी के खिलाफ शिकायत
एजेंट आशा कनोजिया ने बताया 2009 में उन्होंने साईं प्रसाद कंपनी में काम किया था। दो साल काम करने के बाद 2011 में कंपनी छोड़ दी थी। कंपनी छोड़ने से पहले जिनके खाते खुलवाए थे कुछ लोगों को मेच्योरिटी पर रुपए नहीं मिले। सीनियर एजेंट कह रहे हैं रुपए मिलेंगे। कंपनी के खाते सीज होने के कारण भुगतान में परेशानी हो रही है। मेरे खातेदारों को रुपए दिलाने के लिए सीनियर एजेंट और कंपनी के अधिकारी भारतसिंह सोलंकी, राधा चौधरी, सुरेश डिंडोर तथा अन्य लोगों के खिलाफ जनसुनवाई में कलेक्टर और एसपी से भी शिकायत की है। रुपए दिलाने के लिए मैं हमेशा महिलाओं के साथ हूं।
जांच के बाद प्रकरण दर्ज करेंगे
स्टेशन रोड थाने के टीआई अजय सारवान ने बताया महिलाओं ने लिखित शिकायत दी है। बयान दर्ज करवाएंगे। संबंधित से पूछताछ कर रहे हैं। बयान दर्ज होने के बाद दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
क्या है चिटफंड स्कीम और धोखाधड़ी
चिटफंड एक्ट 1982 के मुताबिक चिटफंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का ग्रुप एक साथ समझौता करे। समझौते में एक निश्चित रकम या किस्तों में रुपए जमा कर कोई चीज या संपत्ति खरीदें फिर एक तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं। नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है। लेकिन आम तौर पर ऐसा होता नहीं है। ये चिटफंड स्कीम कब पॉन्जी स्कीम में बदल जाती है कोई नहीं जानता है। आम तौर पर चिटफंड कंपनियां इस काम को मल्टीलेवल मार्केटिंग में तब्दील कर देती हैं। मल्टीलेवल मार्केटिंग यानि अगर आप अपने पैसे जमा करते हैं साथ ही अपने साथ और लोगों को भी पैसे जमा करने के लिए लाते हैं तो मोटे मुनाफे का लालच। ऐसा ही बाजार से पैसा बटोरकर भागने वाली चिटफंड कंपनियां भी करती हैं। वो लोगों से उनकी पूंजी जमा करवाती हैं। साथ ही और लोगों को भी लाने के लिए कहती हैं। बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं।
1978 के तहत मनी सर्कुलेशन कंपनी चलाना ही अपराध है
अभिभाषक दशरथ पाटीदार ने बताया प्राइज चिट्स एंड मनी स्कीम बैनिंग एक्ट 1978 के तहत ऐसी मनी सर्कुलेशन कंपनियां चलाना ही अपराध है, जो निवेशकों को मनी सर्कुलेशन योजना का लालच देती हैं। ऐसे में कंपनी निवेशकों को पैसे लौटा भी देती है तो दोषी मानी जाएगी। एक्ट में ऐसे संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है, जिन्होंने नई कंपनी बनाई है। भले उसमें वे भी सदस्य नहीं है, यदि एक्ट के दायरे में आ रहे है तो उसकी गिरफ्तारी संभव है। चिटफंड या मनी सर्कुलेशन स्कीम वाली कंपनियों में पैसा जमा कराना भी कानूनन गलत है।
एजेंट आशा कनोजिया के साथ स्टेशन रोड थाने में भोई मोहल्ले की महिलाएं।