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Rose Valley raised Rs 2,500 crore through the scam Property

Rose Valley raised Rs 2,500 crore through the scam Property

सारदा घोटाले की योजना बनाने वालों के मुकाबले गौतम कुंडू ने अवैध ढंग से जुटाई पूंजी का इस्तेमाल देश भर में होटल कारोबार का विस्तार करने में किया। बता रही हैं नम्रता आचार्र्य और ईशिता आयान दत्त



जब एक पत्रकार ने रोज वैली के अध्यक्ष गौतम कुंडू से पूछा कि क्या उन पर सारदा घोटाले को अंजाम देने वाले शख्स की तरह कोई राजनीतिक दबाव था, तो कुंडू ने तल्ख अंदाज में पलट कर जवाब दिया, 'मैं सुदीप्त सेन की तरह बेवकूफ नहीं हूं।' पिछले महीने के आखिर में कुंडू को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित पोंजी योजनाए चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें 5 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। हर लिहाज से रोज वैली को भारत में सहारा के बाद रकम जुटाने वाला सबसे बड़ा कारोबार माना जाता था। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय का अनुमान है कि रोज वैली ने करीब 15,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि ऑल इंडिया स्मॉल डिपॉजिटर्स एसोसिएशन के अनुसार यह रकम करीब 40,000 करोड़ रुपये हो सकती है, जो सारदा घोटाले की रकम का 16 गुना है।



फिलहाल कुंडू और सेन दोनों ही सलाखों के पीछे हैं। लेकिन इन दोनों में एक अहम अंतर है : एक तरफ जहां सारदा घोटाले की जांच कर रही एजेंसियां सेन द्वारा जुटाई गई रकम का अता-पता अभी तक नहीं ढूंढ पाई हैं, जबकि कुंडू ने कई अचल परिसंपत्तियां विकसित की हैं। इस तरह देश भर में रोज वैली होटल्स ऐंड एंटरटेनमेंट की देश भर में करीब 23 संपत्तियां थीं। रोज वैली ग्रुप फील्ड यूनियन के सचिव अमित बनर्जी के अनुसार सभी होटल परिसंपत्तियों की कीमत करीब 2,500 करोड़ रुपये होगी। इन होटलों की बिक्री कर निवेशकों की कुछ रकम लौटाई जा सकती थी, बशर्ते इनकी बिक्री पर पाबंदी नहीं लगी होती। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी 2011 में रोज वैली की रियल एस्टेट संपत्तियों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी और राज्य सरकार ने सेबी के इस आदेश का पालन किया। बनर्जी के अनुसार इसके अतिरिक्त कंपनी के करीब 2,600 बैंक खाते सरकार ने जब्त कर लिए, जिनमें करीब 800 से 1,000 करोड़ रुपये की नकदी थी।



इनमें से ज्यादा परिसंपत्तियां गौतम कुंडू व उनके बड़े भाई काजल कुंडू ने करीब 18 वर्ष में विकसित की हैं, जब उन्होंने रोज वैली होटल्स ऐंड एंटरटेनमेंट की शुरुआत की थी। इसके साथ ही उन्होंने रोज वैली रियल एस्टेट ऐंड कंस्ट्रक्शन की स्थापना भी की। शुरुआती दिनों में इन दोनों ही कंपनियों के परिचालन का दायरा बहुत बड़ा नहीं था। वर्ष 2001 तक काजल कुंडू ने रोज वैली चेन मार्केटिंग नाम से एक अन्य कंपनी शुरू की।  वर्ष 2002 में यह कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम की कॉर्पोरेट एजेंट बन गई। वर्ष 2003 में शिलॉन्ग से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बड़ापानी झील में कार गिरने से काजल कुंडू, उनकी पत्नी व पुत्र की मौत हो गई। पूरे समूह की कमान गौतम के हाथ में आ गई।



रोज वैली चेन मार्केटिंग के उद्देश्य का 2005 और 2008 में नवीकरण किया गया, लेकिन 2012 में यह कंपनी तब मुश्किलों में फंस गई, जब भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने उसके परिचालन पर सवाल खड़े किए थे।



मार्च 2012 को आईआरडीएआई द्वारा जारी आदेश के अनुसार रोज वैली चेन मार्केटिंग उन लोगों के जरिये बीमा योजनाओं की बिक्री कर रही थी, जिनके पास ऐसा करने का प्रमाण पत्र नहीं है। इसके अतिरिक्त आईआरडीएआई ने कंपनी पर आरोप लगाया कि वह पॉलिसी धारकों से अनधिकृत शुल्क जैसे प्रशासन एवं सेवा शुल्क भी वसूल रही है। ऑल इंडिया स्मॉल डिपॉजिटर्स एसोसिएशन के संयोजक सुबीर दे का आरोप है कि इस तरह के शुल्क के तौर पर वसूली गई रकम अन्य रोज वैली कंपनियों को हस्तांतरित की गई। दे के अनुसार कुंडू ने रोज वैली चेन मार्केटिंग के नेटवर्क का इस्तेमाल कर लोगों से रकम जुटाई। उनका कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी कारोबार में किया गया। प्रवर्तन निदेशालय इन आरोपों की जांच कर रहा है। लेकिन जो तथ्य सामने है वह यही कि रोज वैली ने कंट्रीसाइड में कई सारे रिजॉट्र्स और होटल खोले।



पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार के पतन के साथ ही रोज वैली का कारोबार परवान चढऩा शुरू हुआ। दे बताते हैं, 'वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत चुनावों के बाद से ही रोज वैली के कारोबार में कई गुना इजाफा दर्ज किया गया। कंपनी ने ऐसे मीडिया वेंचर में निवेश करना शुरू किया जो एक विशिष्टï राजनीतिक दल के प्रवक्ता के तौर पर काम करता था।' पश्चिम बंगाल में जिस तेजी से रकम पूल करने का कारोबार बढ़ रहा था, उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका की जांच करने के लिए वर्ष 2009 में वामपंथी सरकार ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठï का गठन किया और उसे मामले की जांच सौंपी। लेकिन इससे जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला। अच्छे रिटर्न के वादे के झांसे में आकर बेचारे लोग कंपनी की योजना में रकम डालते रहे और कई मामलों में तो लोगों ने अपने जीवन की पूरी जमा पूंजी ऐसी योजनाओं में लगा दी। उदाहरण के लिए रोज वैली रियल एस्टेट ऐंड कंस्ट्रक्शन ने अपनी योजना आशीर्वाद के जरिये 1,358 करोड़ रुपये जुटाए थे, जबकि मार्च 2011 तक यह रकम बढ़कर 2,016.31 करोड़ रुपये हो गई थी।



रोज वैली के अतिरिक्त कई अन्य कंपनियों ने लोगों से रकम जुटाई, जिसमें सारदा, प्रयाग, आईकोर और एमपीएस जैसी कंपनियां शामिल थीं। आखिरकार 2010 में पश्चिम बंगाल सरकार ने सेबी से इस मामले की जांच करने को कहा। शेयर बाजार नियामक ने ऐसी योजनाओं के खिलाफ कई आदेश जारी किए। जुलाई 2013 में जब सारदा घोटाला सामने आया तो सेबी ने रोज वैली हॉलिडे मेंबरशिप प्लान के खिलाफ आदेश जारी किया। एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान आर्थिक अपराध प्रकोष्ठï तकरीबन निष्क्रिय हो चुका था। अधिकारी का कहना है कि अगर यह प्रकोष्ठï सक्रिय रहता तो रोज वैली और सारदा जैसे घोटालों को रोका जा सकता था।



कागजों पर रोज वैली के छत्र तले 30 से अधिक कंपनियां हैं, जिसमें रोज वैली एयरलाइंस, रोज वैली माइक्रोफाइनैंस, रोज वैली फैशन, रोज वैली कंसल्टेंसी, रोज वैली बेवरिजेस, रोज वैली इन्फोटेक और रोज वैली हाउसिंग फाइनैंस शामिल हैं। हालांकि समूह की प्रमुख कंपनियां रोज वैली होटल्स ऐंड एंटरटेनमेंट, रोज वैली फिल्म्स, ब्रांड वैल्यू कम्युनिकेशंस (जिसमें क्षेत्रीय अखबार व न्यूज टाइम बांग्ला, रूपसी बांग्ला और धूम म्यूजिक समाचार चैनल) शामिल है। इसके अतिरिक्त समूह के पास अद्रिजा (ज्वैलरी रिटेल आउटलेट) और रोज वैली इंडस्ट्रीज भी है, जहां एफएमसीजी उत्पादों और पैकेज्ड मिनरल वाटर विनिर्मित होता है।



एक फिल्म प्रदर्शक बताते हैं, 'रोज वैली की कमी खलेगी। उसने शहरी दर्शकों के लिए छोटे बजट की कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण कर पैसा कमाया है।' रोज वैली ने बांग्ला फिल्म उद्योग के बड़े नाम के साथ काम किया है, जिनमें गौतम घोष (मोनेर मानुष), कौशिक गांगुली (लैपटॉप और शब्द) और अनिक दत्त (अशोर्चो प्रदीप) जैसे नाम शामिल हैं।



ज्यादातर मामलों में रोज वैली का कारोबार निवेश से समर्थित थी। इसके उलट सारदा के सेन ने सारा पैसा टेलीविजन न्यूज चैनल में लगाया। उसने इसके अतिरिक्त जिन उपक्रमों में निवेश किया उनमें से ज्यादातर बेकार ही थे, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के शुभप्रसन्ना का चैनल था, जो कभी शुरू ही नहीं हो सका और एक मोटरसाइकिल विनिर्माण संयंत्र, जिसमें उत्पादन नहीं हुआ। केंद्रीय जांच ब्यूरो के सामने सभी खुलासा करते हुए जो चि_ïी लिखकर सेन फरार हुआ, उसमें उसने लिखा था कि उसे सत्ता में मौजूद लोगों ने फंसाया। कुंडू का मामला कुछ अलग है। उसके कारोबार ने प्रभावशाली लोगों से मिली मदद के कारण काफी तरक्की की, लेकिन उसने रकम जुटाने वाली कंपनियों से प्राप्त रकम का इस्तेमाल कर काफी बड़ा कारोबार स्थापित किया। फिल्म और हॉस्पिटैलिटी उद्योग के उनके सहकर्मी उसे एक गंभीर कारोबारी मानते हैं। सेन के विपरीत कुंडू कोलकाता की कारोबारी दुनिया में जाना-पहचाना नाम थे। उसके चटख स्टाइल और रोल्स रॉयस फैंटम के साथ उसे भीड़ में भी पहचानना बहुत मुश्किल नहीं था।


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  • 04 May, 2015
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