श्रीगंगानगर: देश के छह करोड़ लोगों के 44 हजार करोड़ से अधिक की खून पसीने की कमाई को चट करने वाली चिटफंड कंपनी अभी भी नाम बदल बदल कर काम कर रही है। अलबत्ता जिन लोगों ने अपनी पूंजी पल्र्स पीएसीएल के पास जमा करवाई और अब परिपक्वता अवधि पूरी हो चुकी है उनको इन्हीं नाम की सामान्तर चल रही कंपनियों में रुपए जमा करवाकर वापस भुगतान किया जा रहा है।
एेसा कर कंपनी लोगों को फिर ठगी के जाल में फंसा रही है। कंपनी की इस चाल का लोगों को पता तक नहीं है और लोग फंसते चले जा रहे हैं। कंपनी पर मुकदमा दर्ज करवाने वाले यहां के निवासी और कम्पनी के एजेंट गोकलचंद वर्मा के अनुसार कंपनी का उदय 1983 में हुआ था और तब से लेकर अब तक कई बार नाम बदलकर लोगों से रुपए एंठे जा चुके हैं। फिलहाल पल्र्स पीएसीएल के नाम से किए गए कारोबार में फंसे 44 हजार करोड़ से अधिक के निवेश को वापस लौटाने का नया तरीका निकाला गया है।
कंपनी के पल्र्स प्राइवेट लिमिटेड की परिपक्व हुई रकम को वापस लौटाने के लिए नई गठित की गई कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई कंपनी में परिपक्वता की आधी रकम एक मुश्त जमा करवाने के बाद पल्र्स की परिपक्व रकम को उसी कंपनी के माध्यम से वापस लौटाया जा रहा है। इससे रुपए जमा करवाने वाले के आधे रुपए ही वापस मिल रहे हैं।
इन कंपनियों के जरिए किया जा रहा भुगतान
परिवादी गोकल वर्मा के अनुसार चिटफंड कंपनी पल्र्स पीएसीएल ने अभी किसान एग्रोटेक सोसाइटी, लोट्स एग्रोटेक सोसाइटी, मैकहाउस एग्रोटेक सोसाइटी, मैकमेरी एग्रोटेक सोसाइटी, पराक्रम प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कारोबार शुरू कर दिया है। इनके माध्यम से ही परिपक्वता राशी का भुगतान किया जा रहा है और बदले में वापस एफडीआर के बहाने रकम वसूली जा रही है।
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