# एजेंटों के लिए सिरदर्द बने निवेशक , चिटफंड में 16.5 लाख ठगी के शिकार हुए तुलसी दास
# एसएसपी ऑफिस के पास रोज आ रहे हैं नॉन बैंकिंग कंपनियों की फर्जीवाड़े की शिकायतें
चिटफंड कंपनियों के कारनामे शहर में परत दर परत खुल रहे हैं. चिटफंड कंपनियों की शिकायत लेकर ठगे गए निवेशक पुलिस के पास पहुंच रहे हैं. शुक्रवार को रियल बॉन्ड मार्केटिंग की शिकायत लेकर एक फरियादी आया था. परसुडीह निवासी तुलसी दास ने एसएसपी के नाम ज्ञापन सौंपकर रियल बॉन्ड मार्केटिंग लिमिटेड की शिकायत की है. पीडि़त तुलसी दास ने अपने बेटे, पत्नी और खुद के नाम से 16.5 लाख रुपए इन्वेंस्ट किया था. इन्वेस्ट करने के बाद चैन की नींद सो रहे तुलसी दास की नींद तब उड़ गई जब रियल बॉन्ड मार्केटिंग के दिल्ली स्थित दफ्तर पर पुलिस ने दबिश दी. इसके बाद से इन्वेस्ट किए गए पैसों के बदले मिलने वाले प्रॉफिट बंद हो गया. रियल बॉन्ड मार्केटिंग कंपनी का कार्यालय ओडि़सा स्थित रायरंगपुर में था. जमशेदपुर से भी कई लोगों ने वहां पर जाकर पैसा इन्वेस्ट किया था.
कई लोगों का भी करा चुके हैं पैसा इन्वेस्ट
नॉन बैंकिंग कंपनी रियल बॉन्ड मार्केटिंग में तुलसी दास ने सबसे पहले खुद का पैसा इन्वेस्ट किया. उनकी मां साल 2011 में टेल्को से रिटायर हुई थीं. मां के रिटायरमेंट का सारा पैसा उन्होंने नॉन बैंकिंग कंपनी में इन्वेस्ट कर दिया. शुरुआती दिनों में कंपनी ने कुछ पैसा रिटर्न किया. उन पैसों को भी तुलसी दास ने अपनी पत्नी, बेटी और बेटा के नाम से इन्वेस्ट कर दिया. इसके बाद पड़ोसियों को बताया और पड़ोसी और कई रिश्तेदारों ने भी कंपनी में पैसा इन्वेस्ट कर दिया. कंपनी के भाग जाने के बाद इन्वेस्टर तुलसी दास के लिए मुसीबत बन गए हैं.
हर इन्वेस्टर बन सकता था एजेंट
तुलसी दास के मुताबिक कोई भी इन्वेस्टर कंपनी के मार्केटिंग चैनल से जुड़ सकता था. एक लाख रुपए इन्वेस्ट कराने पर 7000 रुपए कमीशन मिलता था. इसलिए पैसा इन्वेस्ट करने से ज्यादा ध्यान इन्वेस्ट कराने पर होता था.
5 साल 11 महीने में डबल का झांसा
पीडि़त ने बताया कि मार्केटिंग कंपनी 5 साल में डिपॉजिट मनी को डबल करने की गारंटी देती थी. पैसा जमा करते समय इन्वेस्टर को डॉक्यूमेंट दिया जाता था. साल 2011 में उन्होंने पैसे जमा किए थे. लेकिन 5 साल 11 महीने की मियाद पूरी होने से पहले ही कंपनी ने धंधा समेट लिया.