महासमुंद। वादाखिलाफी करने वाली चिटफंड कंपनी के खिलाफ एजेंट लामबंद हो गए हैं। जिले के थानों में ज्ञापन सौंपकर ऐसी कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
गौरतलब है कि नईदुनिया में 11 अक्टूबर को 'चिटफंट में 6 साल तक जमा किया रुपया, मूलधन मिला न ब्याज' प्रमुखता से प्रकाशित खबर के बाद चिटफंड कंपनियों के एजेंट्स अभिकर्ताओं में हड़कंप मच गया है। रविवार 11 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ अभिकर्ता सेवा संघ जिला इकाई महासमुंद की आपात बैठक मरार धर्मशाला में जिलाध्यक्ष नंदकुमार निषाद की अध्यक्षता में हुई। जिसमें जिले के जिले के महासमुंद, तुमगांव, पटेवा, बसना और सरायपाली थानेदारों के नाम संयुक्त ज्ञापन बनाकर पुलिसिया कार्रवाई से अभिकर्ताओं को निजात दिलाने मांग पत्र सौंपा गया है।
संगठन के पदाधिकारियों ने थानेदारों के नाम सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि भगौड़े और वादा खिलाफी करने वाले व्यवसायिक संस्था, कंपनी या फर्म आदि के विरुद्ध पुलिस को कार्रवाई करना चाहिए। ऐसा नहीं कर पुलिस स्थानीय स्तर पर एजेंटों को परेशान करती है, जो उचित नहीं है। ज्ञापन में बताया गया है कि प्रदेश भर में 2000 से अधिक एजेंट्स कार्यरत हैं अथवा रहे हैं। 20 अगस्त 2015 को खमतराई रायपुर में एजेंटों ने मिलकर छत्तीसगढ़ अभिकर्ता सेवा संघ का गठन किया। बाद हुई बैठक में एजेंटों के विरुद्ध पुलिस द्वारा बिना किसी जांच पड़ताल के की जा रही कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई गई। इसी कड़ी में बैठकों का दौर जारी है। ज्ञापन में बताया गया है कि कुछ व्यावसायिक संस्था द्वारा अपना संस्था बंद कर फरार हो जाने और कुछ संस्थाओं द्वारा निवेश की रकम वापस नहीं लौटाने की वजह से आम आदमी द्वारा पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई जा रही है, जिसमें जिम्मेदार कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर केवल अभिकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है। अभिकर्ताओं का पक्ष सुने बिना ही उन पर कार्रवाई कर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कर ली जाती है। इसके चलते अनेक अभिकर्ता आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम भी उठा चुके हैं। संयुक्त हस्ताक्षरित ज्ञापन में अध्यक्ष नंदकुमार निषाद, सचिव गणेश राम साहू, सह सचिव प्रदीप कुमार साहू, मंशाराम टंडन आदि ने पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने की घोर निंदा करते हुए अभिकर्ताओं के विरुद्ध सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं करने की मांग की है।
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