भारतीय रेल पर गठित एक आधिकारिक समिति की बात अगर मानी गई तो रेल यात्री किराया फिर बढ़ जाएगा.
विशेष रूप से उपनगरीय रेलगाड़ियों के किरायों में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है. रेलवे को सौंपी गई इस रिपोर्ट में सवारी गाड़ियों व एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा की इस समय निर्धारित न्यूनतम दूरी को बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है.
रेलवे की आमदनी में सुधार के बारे में सुझाव देने के लिए डीके मित्तल समिति का चार दिसम्बर को गठन किया गया था. समिति की रिपोर्ट में काफी ऊंची सब्सिडी के साथ चलाई जा रही उपनगरीय ट्रेनों के किरायों में बढ़ोतरी पर विशेष रूप से खासा जोर दिया गया है.
सिफारिशों के अनुसार उपनगरीय ट्रेनों के किरायों में प्रत्येक दो महीने में दो पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की जानी चाहिए. यह वृद्धि उस समय तक होनी चाहिए जब तक कि किराए लाभ की स्थिति में न पहुंच जाएं. हालांकि, समिति ने यह नहीं बताया है कि लंबी दूरी की मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के किरायों में कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए.
समिति ने अपनी रिपोर्ट रेलमंत्री सुरेश प्रभु को सौंपी. समिति ने यह भी कहा है कि सवारी ट्रेनों में यात्रा की न्यूनतम दूरी को 10 से बढ़ाकर 20 किलोमीटर किया जाना चाहिए. मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के मामले में इसे 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर किया जाना चाहिए. फिलहाल पैसेंजर ट्रेन में यदि कोई यात्री 10 किलोमीटर से कम भी यात्रा करता है, तो उससे 10 किलोमीटर का ही किराया लिया जाता है.
वहीं मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के मामले में यह 50 किलोमीटर है. विशेषज्ञ समिति का निष्कर्ष है कि मौजूदा उपनगरीय सेवाओं का किराया सड़क मार्ग से यात्रा की तुलना में 60 प्रतिशत कम है. समिति ने इसमें धीरे-धीरे बढ़ोतरी का सुझाव दिया है.
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों को रेल परियोजनाओं का काम दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट की जानकारी रखने वाले रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि समिति का कहना है कि रेलवे के उपक्रमों को काम करने और परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बैंकों से धन जुटाने की पूरी आजादी दी जानी चाहिए. परियोजना पूरी होने के बाद उसे रेलवे को सौंप दिया जाना चाहिए.
समिति की यह रिपोर्ट रेलवे के लिए इस दृष्टि से खासी महत्वपूर्ण है. इससे भारतीय रेल को अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार के आगामी रेल बजट में कुछ पुख्ता उपाय करने में मदद मिलेगी.
रेल मंत्रालय ने 4 दिसम्बर को पूर्व सचिव (वित्तीय सेवाएं) डीके मित्तल की अध्यक्षता में समिति गठित की थी.
समिति को रेलवे के मौजूदा राजस्व ढांचे की समीक्षा करनी थी और धन जुटाने के उपाय सुझाना था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा राजस्व ढांचे की क्षमता व पूर्णता पर विस्तृत अध्ययन किया है. इसके अलावा समिति ने आमदनी बढ़ाने व लीकेज की पहचान की है.
खर्च के मोर्चे पर समिति ने व्यय कटौती के कुछ उपाय सुझाए हैं.