Ponzi scheme will for strict laws, Easy recovery of the money will be immersed
Admin | 29 March, 2016 | 1349 | 3980
नई दिल्ली। मोदी सरकार पोंजी स्कीम लाने वाली कंपनियों और और उसमें शामिल लोगों पर सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं। इसके लिए बेहद सख्त कानून जल्द लाया जाएगा। जिसमें पूरे देश के लिए एक यूनिफॉर्म सेंट्ल कानून बनाने के साथ-साथ फ्रॉड करने वाली कंपनियों और उनके प्रमोटर्स को सख्त सजा दिलाने का प्रावधान होगा। साथ ही ऐसे फ्रॉड के लिए अलग से कोर्ट बनाने और लोगों के डूबे पैसे को रिकवर करने के भी नियम तय किए जाएंगे।
क्या होती है पोंजी स्कीम
कई कंपनियां गैर कानूनी रूप से ऊंचे रिटर्न का हवाला देकर लोगों से उनकी गाड़ी कमाई ऐंठ लेती है। जिसकी वजह से लाखों लोगों की पूंजी डूब जैती है। ऐसी गैरकानूनी स्कीम को पोंजी स्कीम कहा जाता है। देश भर में गैर कानूनी रूप से चल रही पोंजी स्कीम को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े सामने हैं। हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में जानकारी दी थी कि करीब 164 कंपनियों के खिलाफ सेंट्रल एजेंसीज ने एक्शन लिया है। इसी तरह कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के पास मार्च 2014 तक के आंकड़ों के अनुसार 89 कंपनियां देश भर में इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं। वहीं जनवरी 2016 में भाजपा सांसद किरीट सौमेया ने कहा था कि देश भर में 200 कंपनियां पोंजी स्कीम चला कर लाखों करोड़ का डकार चुकी हैं। इसी साल 2015 में नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स एंड एक्साइज एंड नार्कोटिक्स द्वारा किए गए वर्कशॉप के अनुसार पोंजी स्कीम से देश के करीब 6 करोड़ लोगों का पैसा डूबा है।
नए कानून में क्या होंगे प्रावधान
वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के तहत बने इंटरमिनिस्ट्रियल ग्रुप ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौपी है। जिसके आधार पर सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स से राय लेकर नए कानून की रूपरेखा तैयार होगी। रिपोर्ट ने प्रमुख रुप से ये सिफारिशें की हैं...
- एक सेंट्रल लेवल पर कानून बनाया जाए, जिसके आधार पर राज्य कानून तय कर लागू करेंगे।
- कानून में साफ तौर पर कानूनी रूप से डिपॉजिट लेने के नियम तय किए जाएंगे।
- इसी तरह से गैर कानूनी रूप से डिपॉजिट किसे कहा जाएगा, उसकी भी परिभाषा तय होगी।
- वहीं कंपनियां डिपॉजिट ले सकेंगी, जो किसी रेग्युलेटर के तहत आती है।
- कानून का उल्लंघन करने के लिए 3 कैटेगरी में अपराध तय किए जाएंगे
- पोंजी स्कीम के तहत अपराध गैर जमानती होगा।
- केवल फ्रॉड का मामला सामने आने पर एक्शन नहीं होगा, बल्कि कोई कंपनी अगर पोंजी स्कीम चला रही है, तो उस पर आपराधिक मामला तय किया जा सकेगा।
- इस तरह के मामलों को जल्द निपटाने के लिए राज्यों के पास अधिकार होगा कि वह अलग से पोंजी स्कीम मामले देखने के लिए कोर्ट बनाए
- डूबे पैसे को रिकवर करने के लिए अथॉरिटी के पास प्रमोटर्स की प्रॉपर्टी अटैच करने का भी अधिकार होगा। यह अधिकार अथॉरिटी के पास मामले की सुनवाई के समय से उपलब्ध होगा।
- वित्त मंत्रालय के डिपॉर्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी होगी, जिसे किसी मामलों को सीबीआई जांच की केंद्र सरकार के पास सिफारिश करने का भी अधिकार मिलेगा।
- पोंजी स्कीम चलाने वालों पर 5 लाख रुपए से लेकर 50 करोड़ रुपए तक का जुर्माना, इसके अलावा 10 साल तक की सजा
प्रमुख पोंजी घोटाले
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार देश में प्रमुख रुप से तीन बड़े घोटाले हुए हैं। जिसमें पर्ल ग्रुप के जरिए करीब 45 हजार करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया है। जबकि पश्चिम बंगाल के शारदा समूह ने करीब 200 कंपनियों के जरिए 66 हजार करोड़ रुपए इन्वेस्टर्स के डुबाएं हैं। इसी तरह सहारा समूह पर ही इन्वेस्टर्स के 36 हजार करोड़ रुपए डुबाने का आरोप है।