भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने देशभर में पोंजी योजनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक सख्त नियामकीय ढांचे की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी वाली योजनाओं के लिए बैंकिंग प्रणाली को भी जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। पोंजी योजना धोखाधड़ी वाली योजनाएं हैं जहां लोगों को कम समय में अधिक रिटर्न का वादा किया जाता है। नैशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, एक्साइज ऐंड नार्कोटिक्स में आर्थिक खुफिया के बहु-विषयक स्कूल के एक समारोह में आज मूंदड़ा ने कहा, 'बैंकिंग प्रणाली काफी अहम भूमिका निभाती है। इस प्रकार की योजनाओं का आकार-प्रकार जो भी हो, वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती क्योंकि रकम अंतत: बैंकिंग प्रणाली से ही गुजरती है।' उन्होंने कहा कि नए छोटे एवं भुगतान बैंक खुलने से वित्तीय समावेशीकरण में मदद मिलेगी और इस प्रकार की योजनाओं में लोगों के फंसने पर भी लगाम लगेगा।
मूंदड़ा ने कहा, 'हाल के विचार-विमर्श में हमने एक महत्त्वपूर्ण चीज देखी है, वह यह कि कई पोंजी योजनाओं के मामले में नियामकीय कमी है क्योंकि इस बात की कोई स्पष्टता नहीं है कि यह किस नियामक के दायरे में यह आता है और इसीलिए यह एक अस्पष्ट क्षेत्र बना हुआ है।' उन्होंने इसके लिए देश में गतिविधियां आधारित नियमन के बजाए संस्थान केंद्रित नियमन को भी आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार विभिन्न देशों में गतिविधियां आधारित नियमन हैं।
मूंदड़ा ने कहा, 'इससे कुछ गतिविधियां नियामक की नजर से बच जाती हैं।' उन्होंने कहा कि जबतक कोई मामला मसला नहीं बनता, तबतक प्रवर्तन एजेंसियां कोई समस्या नहीं देखती और समस्याओं की संख्या बढ़ती है।' उन्होंने कहा कि अगर इस प्रकार की अनधिकृत गतिविधियां सामने आती भी जाती हैं तो धोखाधड़ी करने वाले विभिन्न जांच एजेंसियों के बीच समन्वित प्रयासों के अभाव और बचाव वाली कानूनी प्रक्रियाओं से उन्हें बचने के पर्याप्त अवसर मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि जांच एजेंसियां समस्या की तह तक जाने के लिए समन्वित रुख अपनाए और दोषियों को कानून के दायरे में लाएं।