रिजर्व बैंक के तमाम नियमों और समय-समय पर राज्य सरकार से पुलिस अफसरों को लताड़ के बावजूद सूबे में चिटफंड-फाइनेंस कंपनियां लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने में सफल हैं। इन कंपनियों द्वारा छोटे जिले के गली-कूचे में कार्यालय खोल एजेंटों के माध्यम से धन को दोगुना-तिगुना करने का प्रलोभन देकर लोगों को धोखा देने की बात तो समझ में आती है, परंतु राजधानी पटना में कोतवाली के पास व्यस्ततम इलाके में क्षेत्रीय कार्यालय खोल बड़े आराम से पंद्रह जिलों में गतिविधियां संचालित कर करोड़ों रुपये की उगाही करना किसी राजनीतिक या पुलिस संरक्षण के बिना संभव नहीं लगता।
पिछले वर्ष देशभर में दर्जनों शाखाएं खोलकर ठगी करने वाली समृद्ध जीवन चिटफंड कंपनी का भंडाफोड़ सीबीआइ ने किया था। कंपनी का मालिक जेल में है। सीबीआइ जांच में यह बात सामने आई कि कंपनी ने देशभर में बिछाए गए अपने जाल के माध्यम से तकरीबन चालीस हजार करोड़ रुपये बटोरे हैं, जनता की इस गाढ़ी कमाई को कंपनी ने चैनल आदि खोलकर लुटाया था। फर्जीवाड़ा खुलने के बाद कंपनी पर प्रतिबंध लग गया था। पिछले कुछेक सालों में चिटफंड और फाइनेंस कंपनियों की ठगी के तमाम मामले जिस तरह प्रकाश में आए, उसे देखते हुए बिहार में सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए कई नए नियम बनाए और पुलिस को सक्रिय किया, परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर छापेमारी में दर्जनों अवैध कंपनियां पकड़ी गईं।
इधर आला पुलिस अफसर यह सोचकर निश्चिंत रहे कि वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में हालात अब नियंत्रण में हैं, इसलिए कार्रवाई ठंडी पड़ गई। जबकि ठगी करने वालों को ऐसे ही मौके की तलाश रहती है। 1प्रतिबंध और मालिक के जेल में रहने के बावजूद समृद्ध जीवन चिटफंड कंपनी का राजधानी में डाकबंगला चौराहे के समीप क्षेत्रीय कार्यालय चलना इलाकाई पुलिस की कार्यशैली पर इसलिए सवाल उठाता है कि गुरुवार को छापेमारी की कार्रवाई एसएसपी के कानों तक मामला पहुंचने पर की गई है।
एसएसपी ने इसके लिए पुलिस की विशेष टीम का गठन किया, लेकिन यह जानकारी भी लीक हो गई जिससे जालसाज टीम के पहुंचने के पूर्व ही फरार हो गए। दफ्तर में पुलिस को एक युवती मिली, जिसने खुद को कर्मचारी बताया। उसने बताया कि वह दो महीने से आठ हजार रुपये तनख्वाह पर काम कर रही है। उसे जालसाजी की जानकारी है। इसी बीच पटेल नगर से महिला भी पहुंची। उसने पुलिस को बताया कि कंपनी ने तीन साल तक लगातार रुपये जमा करने पर डेढ़ गुना रकम लौटाने का वादा किया था। कंपनी टुकड़ों में रुपये लेकर मवेशी दिलाने का दावा भी करती थी।
रोजाना लोग यहां आकर रुपये जमा करते थे। पुलिस यह देख दंग रह गई कि दफ्तर में लगे सीसी कैमरों का डीवीआर पुणो में है। छानबीन में मालूम हुआ कि पुणो में बैठा सरगना यहां की हर हरकत से वाकिफ है। आला पुलिस अफसर इस मामले में इलाकाई पुलिस की कार्यशैली पर अंगुली भले न उठाएं, पर यह तय है कि मिलीभगत के बिना किसी फर्जी चिटफंड कंपनी का हाईटेक कार्यालय नहीं चल सकता। पुलिस मुख्यालय के स्तर से फिर सभी जिलों के पुलिस कप्तान को यह निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे खुफिया तरीके से फर्जी चिटफंड कंपनियों की गतिविधियों का पता लगाएं जिससे लोगों की गाढ़ी कमाई लुटने से बच सके। पढ़े-लिखे लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे धन दोगुना-तिगुना करने की बात करने वालों से सावधान रहें, कोई फर्जी कंपनी का पता चलता है तो पुलिस-प्रशासन को तुरंत सूचना दें ताकि इनपर लगाम लग सके।
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