केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने सोमवार को राज्य की एक और चिटफंड कंपनी एंजल एग्रोटेक के निदेशकों के एक दर्जन से ज्यादा दफ्तरों व आवासों पर छापेमारी की। सुबह से शुरू हुई यह कार्रवाई देर रात तक जारी रही। इस बीच करोड़ों के शारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में इस जांच एजंसी ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव शंकुदेव पांडा से कोई दो घंटे तक पूछताछ की।
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि अलग-अलग टीमों ने महानगर के साल्टलेक, दक्षिण 24-परगना, हुगली, हावड़ा, नदिया और बांकुड़ा जिलों में एंजल एग्रोटेक के 12 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे। एक अधिकारी ने बताया कि इस कंपनी ने सेबी के दिशानिर्देशों की अनदेखी करते हुए दूसरी चिटफंड कंपनियों की तरह बाजार से भारी रकम उगाही थी। इस छापे के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं। अधिकारी के मुताबिक इस कंपनी और राज्य के एक पूर्व मंत्री, जिसने हाल में इस्तीफा दे दिया था, के बीच मजबूत संबंध होने के भी सबूत मिले हैं।
जाहिर है कि उसका इशारा पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्र की ओर था। दूसरी ओर, सीबीआइ ने आज तृणमूल कांग्रेस महासचिव शंकुदेव पांडा से शारदा घोटाले के बारे में दो घंटे तक पूछताछ की। शंकुदेव एजंसी के साल्टलेक स्थित दफ्तर में दोपहर साढ़े बारह बजे पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने शारदा मीडिया लिमिटेड में अपनी पूर्व नौकरी से संबंधित कुछ कागजात भी सीबीआइ को सौंपे। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल उन कागजात की जांच की जा रही है। उसके बाद ही अगली कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा। पांडा ने पूछताछ के बाद बाहर निकलने पर पत्रकारों से कोई बातचीत नहीं की।
पांडा स्थानीय टीवी चैनल एबीपी आनंद में अंशकालिक और शारदा मीडिया के चैनल 10 में रिपोर्टर के तौर पर काम करते थे। बाद में उनको समूह के एक अन्य चैनल एखन समय में अहम पद मिला और उनको हर महीने वेतन के तौर पर 60 हजार रुपए मिलते थे। वह चैनल कभी शुरू ही नहीं हो सका। तृणमूल से जुड़े पेंटर शुभप्रसन्न ने शारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन के साथ मिल कर वह चैनल खोला था। सीबीआइ ने इससे पहले दो दिसंबर को पांडा से पूछताछ की थी। इससे पहले बीते साल 29 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शारदा घोटाले के सिलसिले में उनसे पूछताछ की थी।
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