दुर्ग/भिलाई. शहर में बढ़ते अपराधों के बीच जिला पुलिस के कप्तान बदल चुके हैं। जिला पुलिस की कमान अब आईपीएस अमरेश कुमार मिश्रा के हाथ में है। अपराध के आंकड़ों पर अंकुश लगाना उनके लिए चुनौती है, लेकिन इस शहर को उनसे उम्मीद है। आईपीएस मयंक श्रीवास्तव ने बतौर एसपी यहां छोटा कार्यकाल बिताया। इस बीच अभिषेक हत्याकांड और अपहरण के मामलों को सुलझाने में पुलिस ने कामयाबी पाई। फिर भी लंबित प्रकरणों की लंबी फेहरिस्त है।
2005 बैच के आईपीएस हैं मिश्रा
मिश्रा ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक, जिला, दुर्ग का पदभार ग्रहण किया। वर्ष 2005 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के पद पर चयनित होकर जिला नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कोरबा में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहने के बाद जिला दुर्ग में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदभार ग्रहण किए। इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) विवेक शुक्ला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेश अग्रवाल, उप पुलिस अधीक्षक (क्राइम) कविलाश टंडन, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय दुर्ग गजेन्द्र सिंह, नगर पुलिस अधीक्षक दुर्ग एनपी उपाध्याय, नगर पुलिस अधीक्षक (छावनी) नरेन्द्र शर्मा समेत अन्य मौजूद थे।
लूट, डकैती और चोरी के प्रकरण भी अनसुलझे
मौर्या-चंद्रा के सामने चोरी की वारदात हाल में हुई है। सीसीटीवी कैमरे में चोर की फोटो कैद होने के बाद भी अब तक चोर पकड़ में नहीं आया है। बाइक सवार लुटेरों ने दहशत फैला रखी है। अवंती बाई चौक, कोहका के शारदा प्रसाद पेट्रोल पंप से मुनीम सोहन साहू से 13 अक्टूबर से 3 लाख 68 हजार रुपए बाइक सवारों ने लूटे। नकाबपोश बदमाशों ने उन्हें पिस्टल दिखाकर धमकाया।
सीसीटीवी के फुटेज को बार-बार देखती रही
नेहरू नगर के एटीपी से 10 अगस्त 15 को सीएसपीडीसीएल के दो कर्मचारियों से 10 लाख 19 हजार रुपए बाइक सवार दो युवकों ने धक्का देकर गिरा दिया। इसके बाद वे पिस्टल या कट्टा अड़ाकर पैसा लूट कर बाइक से फरार हो गए। यहां से भी पुलिस मकान के सामने लगे सीसीटीवी के फुटेज को बार-बार देखती रही।
चिटफंड कंपनियों और ठगों से तंग आ गई है ट्विनसिटी
चिटफंड कंपनियों की ठगी ने शहर के लोगों की नाक में दम कर दिया है। पुलिस को भी मालूम है कि शहर में 26 चिटफंड कंपनी हैं। इनमें से 22 के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना की जा रही है। मामला सुर्र्खियों में आने के बाद यश ग्रुप और टोगो के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिए गए। अभी केवल 3 के खिलाफ प्रकरण कोर्ट पहुंचे हैं। जबकि शिकायतों के अनुसार चिटफंड कंपनियों ने 600 करोड़ की ठगी की है। बावजूद इसके 20 मामलों में पुलिस की जांच अधूरी है। वहीं ठगी के अन्य बड़े मामलों में एक ने व्यापार को बढ़ाने के नाम पर एक करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की।
सड़क हादसों में राजधानी से ज्यादा मौत दुर्ग- भिलाई में
सड़क और रेल हादसों में मौत के मामले में दुर्ग- भिलाई रायपुर से आगे है। रिपोर्ट के अनुसार रायपुर में सड़क हादसे में 150 और रेल हादसों में 70 सहित कुल 220 की मौत हुई। वहीं दुर्ग- भिलाई में सड़क पर 191 और रेल हादसों में 46 सहित कुल 237 मौतें हुई हैं। बेलगाम रफ्तार और शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई नहीं होती।
हत्या के मामले में ढिलाई बरत रही पुलिस
छावनी व नेवई पुलिस जहां हत्या के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के नाम पर शाबाशी पा रही है। वहीं दूसरी ओर सुपेला क्षेत्र में एक इंजीनियरिंग की छात्रा की हत्या कर दी गई, पीएम रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टी हो गई, लेकिन पुलिस इस मामले में अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। यह मामला इस वजह से भी बेहद संजीदा है, क्योंकि छात्रा की हत्या उसके घर के भीतर दूसरे मंजिल में कमरे में हुई है।
गैंगरेप पीडि़ता ने दी जान, आरोपों की जांच दब गई
खुर्सीपार में गैंग रेप के मामले में उच्च स्तरीय जांच जारी है, गैंगरेप पीडि़ता ने जान दे दी। सीएसपी की देखरेख में टीम जांच कर रही है। अब तक जांच प्रतिवेदन पेश नहीं किया जा सका है। पीडि़ता ने सुसाइडल नोट में गंभीर आरोप लगाए थे। इस प्रकरण में पुलिस के दो आरक्षक भी आरोपी हैं।
देश के टॉपटेन खतरनाक शहरों में
हादसों के मामले में देश के टॉप टेन खतरनाक शहरों में राजधानी रायपुर और दुर्ग- भिलाई शामिल हैं। केन्द्रीय एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हाल ही में जारी अपनी एक रिपोर्ट में खतरनाक शहरों की सूची में रायपुर को चौथे और ट्विन सिटी को छठें नंबर पर रखा है। बीते साल (2014) इन शहरों में अलग- अलग हादसों में क्रमश: 1020 और 894 लोगों की जान गई है। यह रिपोर्ट 53 शहरों में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध जिले में
प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध हमारे जिले में हो रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह तो एनजेडीजी (नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड) के आंकड़ों से साबित हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि दुर्ग जिला कोर्ट में प्रदेश के अन्य जिला कोर्ट की तुलना में सबसे ज्यादा प्रकरण हैं। हमारा जिला कोर्ट क्रिमिनल केस में भी प्रदेश के दूसरे जिला कोर्ट से आगे है।
सीधे अदालत की शरण
खास बात ये है कि लोग पुलिस के बजाय सीधे अदालत की शरण ले रहे हैं। जिला कोर्ट में ज्यादा प्रकरण होने का यह भी एक कारण है। इससे साफ है कि लोगों का पुलिस के प्रति विश्वास खत्म होता दिख रहा है। डेटा ग्रिड के आंकड़ों और लोगों की सीधे कोर्ट जाने की प्रवृत्ति से जिलेे की पुलिसिंग पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिकायतों का निराकरण पहली प्राथमिकता
एसपी अमरेश कुमार मिश्रा ने कहा कि अमूमन पुलिस जो काम करती है वहीं करेंगे। मेरा ध्यान शिकायतों के निराकरण पर रहता है। इस काम को प्राथमिकता से किया जाएगा। यातायात व्यवस्था को भी दुरुस्त करने ठोस पहल की जाएगी।
34410 क्रिमिनल और सिविल केस दुर्ग जिला कोर्ट में
29997 मामले क्रिमिनल व 4413 मामले सिविल केस के हैं। दो साल में 10051 क्रिमिनल केस। जिला कोर्ट के कुल 29997 क्रिमिनल मामलों में से 10051 मामले तो पिछले दो साल से विचाराधीन हैं। यानि केवल दो साल में कम से कम इतने आपराधिक प्रकरण दर्ज होकर कोर्ट तक गए हैं। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि दो साल में तेजी से अपराध बढ़े हैं।
दुष्कर्म 27,(आंकड़े थानों में दर्ज अपराधों के आधार पर) हत्या 07, उठाईगिरी 13, चोरी, लूट चैन स्नेचिंग 19, 34त्नजान से मारने की धमकी, मारपीट गालीगलौज, एक्सीडेंट जैसे अपराध (प्रतिशत में अपराधों के आंकड़े)