कोटा. फाइनेंस कम्पनियों में निवेश की जागरूकता के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से शनिवार को झालावाड़ रोड स्थित एक होटल में एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला के प्रथम चरण में आरबीआई के नॉन बैंकिंग सुपरविजन विभाग की महाप्रबंधक काया त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनी (एनबीएफसी) की 11 हजार 670 कम्पनियां कार्यरत है।
इसमें से मात्र 207 कम्पनियां ही निवेश का कार्य कर रही हैं। शेष फाइनेंस का कार्य कर रही है। राजस्थान में तीन कम्पनियां एनबीएफसी का काम कर रही है। सीए को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पब्लिक ऑडिट रिपोर्ट देखकर ही कम्पनियों में निवेश करती हैं।
ऐसे में पब्लिक डिपोजिट के गलत उपयोग का भी ऑडिट में उल्लेख करना है। एनबीएफसी की गड़बडि़यों पर आरबीआई भी नजर रख रही है। सहायक महाप्रबंधक आर. पी. सिंह ने बताया कि मालिकाना पूंजी कम करने से कम्पनियों की रिस्क बढ़ रही है।
बाजार का ज्यादा रुपया रहने से घोटाले की आशंकाएं बढ़ जाती है। ऐसे में ऑडिटर को आरबीआई के नियमों के अनुसार ही एनबीएफसी की वार्षिक ऑडिट करनी है। द्वितीय सत्र में निवेशकों की कार्यशाला हुई जिसको प्रबंधक उत्पल गांगुली ने सम्बोधित किया दिया।
कार्यशाला में सीए इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोटा ब्रांच के चेयरमैन नवनीत विजय, सचिव प्रमेश गुप्ता, अनीश माहेश्वरी आदि मौजूद थे। संचालक लीड बैंक मैनेजर आमोद कुमार सिन्हा ने किया।
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