Micro Finance chit fund company, managing the state of a year in prison
Admin | 01 February, 2016 | 1282 | 3980
रायपुर - राजधानी सहित राज्यभर में एक करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाला माइक्रो फायनेंस लिमिटेड का प्रबंध संचालक दुर्गाप्रसाद मिश्रा एक साल से ओडिशा की जेल में कैद है, उसके बाद भी पुलिस उसे गिरफ्तार कर यहां नहीं ला पा रही है।
आरोपी की गिरफ्तारी में सीबीआई ने सुरक्षा का पेंच लगा दिया है। पुलिस तीन बार ओडिशा की कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट के लिए अर्जी दे चुकी है। सीबीआई ने हर बार यह आपत्ति लगा दी कि आरोपी को गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ लाए जाने से उसकी जान को खतरा है।
जेल में बंद फाइनेंस कंपनी की गिरफ्तारी नहीं होने से उससे पूछताछ भी नहीं हो पा रही है। हालांकि माइक्रो फायनेंस चिटफंड कंपनी रायपुर में ही 144 लोगों से ज्यादा लोगों से 40 लाख ठग चुकी है। राज्य के अलग-अलग शहरों से भी एजेंटों के माध्यम से लोगों को ठगा गया था।
कंपनी की हकीकत सामने आने के बाद पीड़ितों ने संचालक के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस की तहकीकात शुरू होते ही पता चला कि सीबीआई भी इसी कंपनी की ठगी की जांच कर रही है।
सीबीआई कंपनी के डायरेक्टर को गिरफ्तार भी कर चुकी है। आरोपी ओडिशा की जेल में बंद है। इतनी जानकारी हासिल होने के बाद पुलिस ने ओडिशा पहुंचकर कोर्ट में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए प्रोडक्शन वारंट मांगा। सीबीआई ने आपत्ति लगा दी।
सीबीआई की ओर से तर्क दिया गया कि छत्तीसगढ़ में आरोपी की जान को खतरा हो सकता है। सीबीआई की आपत्ति के बाद कोर्ट ने पुलिस की अर्जी नामंजूर कर दी। हालांकि पुलिस ने उसके बाद दो मर्तबा और प्रयास किया। हर बार सीबीआई की आपत्ति के कारण आरोपी पुलिस के हाथ नहीं आया।
पूरे राज्य में की ठगी
2009-10 में माइक्रो फायनेंस लिमिटेड चिटफंड कंपनी ने रायपुर के अलावा धमतरी, बिलासपुर, महासमुंद और कुछ अन्य शहरों में एजेंट नियुक्त किए। लोगों को कम समय में पैसा दोगुना-तिगुना करने का झांसा देकर निवेश कराया गया।
2014 में कंपनी के रजबंधा मैदान स्थित एक कॉम्प्लेक्स में संचालित दफ्तर में ताला लगने के बाद लोगों को ठगी की जानकारी हुई। इसके बाद वे जुर्म दर्ज कराने सामने आए। जुर्म दर्ज होने के बाद पुलिस ने कंपनी के स्टेट हेड मुकुल देव बेहरा को गिरफ्तार किया। कंपनी ओडिशा की थी।
इसके मालिक दुर्गाप्रसाद मिश्रा समेत कुछ अन्य संचालकों को नहीं पकड़ा जा सका। राजधानी पुलिस उसकी तलाश में ओडिशा भी गई। राजधानी पुलिस को जानकारी मिली कि 14 दिसंबर 2014 में भुवनेश्वर से कंपनी के मुख्य आरोपी दुर्गाप्रसाद को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है।
दूसरे कानूनी पहलू की तलाश
चिटफंड कंपनी के मुख्य आरोपी से पूछताछ न होने से ठगी को लेकर अहम सुराग नहीं मिल पा रहे हैं। अफसरों का मानना है कि जब तक पुलिस उससे पूछताछ नहीं करती है, कार्रवाई पूरी नहीं होगी।
इस मामले में अब पुलिस आरोपी से पूछताछ करने और यहां लाने के लिए दूसरे कानूनी पहलुओं की जानकारी ले रही है।
चिटफंड कंपनी माइक्रो फायनेंस के मामले में रायपुर पुलिस जांच करी रही है। सीबीआई की आपत्ति से हमें प्रोडक्शन वारंट नहीं मिल पा रहा है। इसके विकल्प के लिए कानून के विशेषज्ञों से पूछताछ की जाएगी । जरूरत पड़ी तो ओडिशा जेल में बंद आरोपी से वहीं पूछताछ की जाएगी। इसके लिए कोर्ट से अनुमति ली जाएगी।
बीएन मीणा, एसपी रायपुर
एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों ने की ठगी
राजधानी समेत प्रदेशभर में लोगों को झांसा देकर एक दर्जन से ज्यादा चिटफंड कंपनियों ने एक हजार करोड़ से अधिक की ठगी की है। इनमें से कुछ ही कंपनियों के मुख्य आरोपी पकड़े गए हैं। अधिकतर पुलिस की पकड़ से बाहर है।
लोगों को भी ठगी गई रकम नहीं मिल पाई है। राजधानी में माइक्रो फायनेंस समेत आन लाइन स्पीक एशिया कंपनी, ग्रीन रे इंटरनेशनल, एचबी एन, साई प्रसाद और कुछ कंपनियों के खिलाफ जुर्म दर्ज हैं। इनमें से स्पीक एशिया, ग्रीन रे इंटरनेशनल के कुछ मुख्य आरोपी को पकड़ा जा चुका है।
हालांकि पकड़े गए ठगों में भी ज्यादातर की जमानत हो चुकी है। माइक्रो फायनेंस के सीजी हेड मुकुल देव बेहरा भी जमानत पर जेल से बाहर हैं। कंपनी का संचालक ओडिशा जेल में बंद है। एचबी एन के नौ में से दो डायरेक्टर को ही पकड़ा जा चुका है। साई प्रसाद कंपनी की एक प्रमुख बालोद पुलिस ने पुणे से गिरफ्तार किया।