Making chit fund company crore of people plunder
Admin | 04 February, 2016 | 1051 | 3980
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चिटफंड कंपनी अवैध रूप से लॉटरी लगाकर लाखों रुपए एेठने के अलग-अलग दो मामले सामने आए है। एक मामले में न्यायालय ने जहां परिवाद को पुलिस थाने में भेजकर जांच करने के निर्देश दिए वहीं दूसरे मामले में पुलिस थाने ने न्यायालय के निर्देश पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। न्यायालय में बूचाहेडा मोहल्ला निवासी राजेंद्र उर्फ शेरसिंह सैनी ने कांशीपुरम निवासी रामजीलाल सैनी को अारोपी बनाते हुए परिवाद पत्र में लिखा है कि आरोपी अवैध रूप से लॉटरी लगाकर लोगों को मोटे मुनाफे का लालच देकर रुपए ऐंठता है। आरोपी ने परिवादी से प्रतिमाह 5 हजार रुपए की किश्त लेकर एक लाख रुपए एेंठ लिए।
इसी प्रकार रामानंद सैनी राेहिताश सैनी से भी लॉटरी के नाम पर लाखों रुपए एेंठ लिए। लॉटरी पूरी होने पर पैसे मांगें तो आरोपी पैसे देने के बजाए धमकी दे रहा है। न्यायालय ने परिवाद को थाने में भेजकर मामला दर्ज कर जांच करने के निर्देश दिए। दूसरे मामले में पुलिस ने बताया कि बाछड़ी मोहल्ला निवासी मक्खनलाल महाजन ने कस्बे के सत्यनारायण अग्रवाल, शिवरतन पालीवाल, रेखा प|ी सत्यनारायण को आरोपी बनाते हुए परिवाद में लिखा कि तीनों आरोपियों ने एंजल एग्रीटेक लिमिटेड नाम से एक कंपनी बना रखी है। पड़ोसी होने का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने कहा कि कंपनी में 50 हजार रुपए जमा कराने पर एक वर्ष में 56 हजार 500 रुपए मिलेंगे। इस पर परिवादी ने 50-50 हजार रुपए की चार एफडीआर कंपनी में जमा करवा दी। पूर्ण अवधि होने पर जब परिवादी ने आरोपियों से संपर्क किया तो उन्होंने डिपॉजिट की राशि देने से मना कर दिया।
इसी प्रकार रामानंद सैनी राेहिताश सैनी से भी लॉटरी के नाम पर लाखों रुपए एेंठ लिए। लॉटरी पूरी होने पर पैसे मांगें तो आरोपी पैसे देने के बजाए धमकी दे रहा है। न्यायालय ने परिवाद को थाने में भेजकर मामला दर्ज कर जांच करने के निर्देश दिए। दूसरे मामले में पुलिस ने बताया कि बाछड़ी मोहल्ला निवासी मक्खनलाल महाजन ने कस्बे के सत्यनारायण अग्रवाल, शिवरतन पालीवाल, रेखा प|ी सत्यनारायण को आरोपी बनाते हुए परिवाद में लिखा कि तीनों आरोपियों ने एंजल एग्रीटेक लिमिटेड नाम से एक कंपनी बना रखी है। पड़ोसी होने का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने कहा कि कंपनी में 50 हजार रुपए जमा कराने पर एक वर्ष में 56 हजार 500 रुपए मिलेंगे। इस पर परिवादी ने 50-50 हजार रुपए की चार एफडीआर कंपनी में जमा करवा दी। पूर्ण अवधि होने पर जब परिवादी ने आरोपियों से संपर्क किया तो उन्होंने डिपॉजिट की राशि देने से मना कर दिया।