गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में मिड डे मील योजना में हुए करोड़ों के घोटाले में फंसे कई आईएएस व पीसीएस अफसरों सहित गाजियाबाद की सर्च नामक एनजीओ और उसके दो संचालकों पर धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा चलेगा। केंद्रीय जाँच एजेंसी (सीबीआई) विशेष न्यायाधीश एके गुप्ता ने गुरूवार को सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाए जाने के पर्याप्त साक्ष्य मानते हुए चार्ज फ्रेम कर दिए। कोर्ट ने इस मामले में पहली गवाही के लिए 12 मई की तारीख तय की है।
सूत्र बता रहे है कि मैनपुरी में मिड डे मील की व्यवस्था गाजियाबाद की सर्च संस्था को वर्ष 2008 में दी गई थी। संस्था ने वर्ष 2008 से 2011 के मध्य जमकर घपलेबाजी की। संस्था सदस्यों के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जमकर पैसे का बंदरबांट किया। वर्ष 2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी रणवीर प्रसाद ने सर्च संस्था पर शिंकजा कसा और जांच कराकर दो बीएसए, बीएसए दफ्तर के लिपिक विशुन दयाल व प्रशांत मिश्र, सर्च संस्था के निदेशक विवेक सुदर्शन आदि को नामजद कराया था।
करीब 6.37 करोड़ का घोटाला मानते हुए सीबीआई ने गाजियाबाद की सर्च नामक एनजीओ उसके दो पदाधिकारी विवेक सुदर्शन, अशोक चौहान, मैनपुरी के तत्कालीन डीएम दिनेशचंद्र शुक्ला, सीडीओ जितेंद्र बहादुर सिंह और बीएसए रघुबीर सिंह के अलावा कृष्णदेव नारायण, विष्णु दयाल राजपूत, प्रशांत मिश्रा, सच्चिदानंद दुबे, ह्रदय शंकर चतुर्वेदी के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी। कुछ दिन पूर्व ही सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों पर आईपीसी 477ए भी लगाते हुए जमानत पर चल रहे दिनेशचंद्र शुक्ला को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था।