स्रोत aajtak.intoday: ओडिसा, बंगाल, असम और त्रिपुरा के पूर्वी गलियारे में पिछले एक दशक में दर्जनों की संख्या में कुकुरमुत्ते की तरह घोटालेबाज पैदा हुए और कमजोर लोगों का पैसा डकार गए. यह इलाका आर्थिक और वित्तीय रूप से काफी पिछड़ा रहा है, जहां लोगों के पास निवेश के लिए साफ-सुथरे विकल्प कम मौजूद रहे हैं. जाहिर है, घोटाले के लिए इससे अच्छी जमीन नहीं मिल सकती थी.
सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि पिछले आठ साल के दौरान बंगाल में शारदा समेत कुल 194 संदिग्ध कंपनियों ने करोड़ों लोगों का 60,000 करोड़ रु. डकार लिया है. इस घोटाले का बुलबुला पिछले ही साल फूटा है. यह फर्जीवाड़ा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा लगाने के लिए बस इतना जानना काफी होगा कि इसके मुकाबले 2009 में सत्यम कंप्यूटर्स में हुआ घोटाला 24,000 करोड़ रु. के करीब था, जिसे भारत का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट घोटाला कहते हैं.
कैसे चलता है यह गोरखधंधा
पश्चिम बंगाल, ओडिसा, असम और त्रिपुरा में ऐसी 194 कंपनियों की जांच चल रही है जिन पर आरोप है कि उन्होंने ऊंचे सब्जबाग दिखाकर लोगों का पैसा ठग लिया. जानें किस तरह चूना लगाती हैं ये कंपनियां
चरण 1: कंपनी 'क' पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में अपनी शाखाएं खोलती है.
चरण 2: जनता से पैसा इकट्ठा किया जाता है. निवेशकों को निवेश के बदले या तो जमीन या छुट्टियों में यात्रा का वादा किया जाता है.
चरण 3: ग्राहकों या जमाकर्ताओं को परिपक्वता अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित पैसा वापस लेने का भी विकल्प दिया जाता है.
चरण 4: जमाकर्ता को और लुभाने के लिए कहा जाता है कि वो नया सदस्य लाए और उसके बदले में कमीशन ले. कंपनी एजेंटों का नेटवर्क तैयार करने के लिए पिरामिड की तरह काम करती है.
चरण 5: आरंभिक निवेशकों को परिपक्वता राशि या भुगतान नए निवेशकों के पैसे से किया जाता है.
चरण 6: विभिन्न स्कीमों के तहत पैसे जुटाने के लिए कंपनी 'ए' जमापत्र पर शब्दों से खिलवाड़ करती है ताकि सेबी और आरबीआइ जैसे नियामकों से बच सके.
चरण 7: जैसे ही पुराने निवेशकों की संख्या नए निवेशकों से ज्यादा हो जाती है, नकद प्रवाह में असंतुलन पैदा हो जाता है. या तो कंपनी 'क' पैसा लेकर गायब हो जाती है, या प्रवर्तक हार मान लेते हैं या फिर स्कीम अपने ही वजन से बैठ जाती है.
कहां लगाया जाता है पैसा
निर्माण और रियल एस्टेट, खेल और सामुदायिक आयोजन, अखबार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अभिनेताओं और हस्तियों के साथ अनुबंध, होटल, मनोरंजन और पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाएं, माइक्रो फाइनेंस