हनीमून पर जाना एक स्वस्थ चिंतन और आपसी समझ को बढ़ाता है। गहरे गुलाबी रंग के गुलाब की भीनी-भीनी गुलाबी महक के गुलाबी वातावरण में लाल, गुलाबी, हरे, पीले, रंग-बिरंगे परिधान में इठलाती दुल्हन, एक हल्का गुलाबी सपना अनजाने ही संजो लेती है। हाथों में अपने विवाह का भरा-भरा लाल चूड़ा, पैरों में पैंजनिया, माथे पर प्यारी-सी बिन्दी, आंखों की मादकता, यौवन की सुरमई आभा बिखेरने को व्याकुल, पति की बांहों में बंधने को आतुर, सकुचाती हुई प्रतीक्षा करती है हनीमून की।
ससुराल में रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद जल्दी से जल्दी एक-दो दिन के अंदर घूमने यानी हनीमून पर जाने का एक रिवाज-सा हो गया है। सामाजिक परिस्थितियों, छोटे घर और जीवन की व्यस्तताओं को देखते हुए यह रिवाज बुरा नहीं है। हनीमून पर जाना एक स्वस्थ चिंतन और आपसी समझ को बढ़ाता है। वैसे तो शादी के तुरंत बाद ही हनीमून के लिए घूमने जाना उचित है लेकिन कुछ पारिवारिक कारणों से तुरंत नहीं जा सकें तो परेशान होने या क्रोधित होने की बात नहीं है। कुछ समय ठहर कर भी जा सकते हैं। मानसिक रूप से तो वर और वधू दोनों ही हनीमून पर जाने के लिए तैयार रहते हैं पर जाने से पहले कुछ तैयारी कर लें तो सुविधा रहती है। एक लम्बा सफर दो अजनबियों के लिए एक-दूसरे को समझने का बहुत अच्छा मौका है। घर की पारिवारिक बातों को छोड़ कर एक-दूसरे के मां-बाप और भाई-बहनों पर आलोचनात्मक टिप्पणी न कर ये क्षण सिर्फ एक-दूसरे को समझने में बिताएं।
कुछ सुनें, कुछ कहें, फिर कुछ इशारों में एक-दूसरे की आंखों को पढ़ें। हनीमून स्थल पर पहुंच कर उतावलेपन नहीं बल्कि बहुत संयम से आगे बढ़ें। पुरुष पहल करें, यही शोभा देता है। हनीमून शारीरिक मिलन का ही नाम नहीं है। कमरे के भीतर जिन सांसों को एक-दूसरे में पिरोया है, उन्हें कमरे के बाहर स्वच्छ हवा में फैलने दें। बाहर दूर-दूर तक प्राकृतिक सौंदर्य को देखें और निहारें। बहुत कुछ बातें एक-दूसरे से राजकुमार और राजकुमारी की तरह करें। एक बात याद रखें कि अभी अपना कोई गुप्त रहस्य न बताएं। यह समय विश्वास का अंकुर पैदा करने का है। कृत्रिमता का आवरण न ओढ़कर बात सहजता से कीजिए। एक-दूसरे पर अपना रौब डालने से अधिक लाभप्रद होगा कि एक-दूसरे को समझें, निकट से देखें और पहचानें जीवन साथी को। अपनी रुचियों के बारे में एक-दूसरे से बातें करें।
इस समय शॉपिंग करने का कोई औचित्य नहीं है, दोनों के ही पास इस समय बहुत से नए उपहार होते हैं, इसलिए शॉपिंग करने या बाजार के शोरूम के बदले समुद्र की लहरों को बालू तट पर मचलते या पहाड़ी नदी को चट्टानों की बांहों में थमते देखिए। आपके साथ आपका कैमरा तो होगा ही, अपने चित्र हर दृश्य के साथ बटोर लीजिए पर चित्रों में अश्लीलता नहीं हो। किसी रिश्तेदार को अपना एलबम दिखाते समय यदि चित्रों को देखकर आपकी पलकें झुक जाएं तो आप समझ लीजिए आपने बेईमानी की है। आपके कैमरे में सैल्फी की सुविधा न हो तो अपने दोनों की फोटो साथ लेने के लिए किसी नवविवाहित जोड़े को ढूंढ लीजिए जो आपके चित्र उतार सके। इसमें संकोच मत कीजिए। ये चित्र जीवन भर आपको आपके इन सुनहरे क्षणों की याद दिलाएंगे।
हर स्थल का आनंद लेते हुए एक-दूसरे के विचारों को पढ़ते और समझते रहिए। घर लौटने से पहले यह वायदा कर लीजिए कि सिल्वर जुबली यानी पच्चीस साल बाद फिर आएंगे एक और हनीमून के लिए। इसी आशा और उमंग के साथ अपने घर लौटिए कि हम दुख-सुख के साथी हैं, जीवनसाथी हैं। - एम. कृष्णा राव ‘राज’