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Investors growing bullish on NBFC stocks given their strong growth trajectory

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ज्वलित व्यास, ईटीआईजी - काफी समय से इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स भारतीय बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेट बैंकों पर भरोसा करते आए हैं। एनएसई के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल हैं। इनमें एफआईआई ने 1,25,500 करोड़ रुपये लगाए हैं, जिसमें से 17 पर्सेंट रकम सिर्फ 5 प्राइवेट बैंकों में लगाई गई है। इनके नाम- आईसीआईसीआई, एक्सिस, यस, इंडसइंड और एचडीएफसी बैंक हैं। अब नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियां (एनबीएफसी) इमर्जिंग थीम साबित हो सकती हैं। कई कैटिगरी में एनबीएफसी बैंकों का बाजार हथिया रही हैं। कई अनुमान के मुताबिक, कुल लोन में एनबीएफसी का मार्केट शेयर 2015 में 13 पर्सेंट हो गया था, जो 2005 में 10 पर्सेंट था। इस दौरान बैंकों के मार्केट शेयर में कमी आई है।

कुछ कैटिगरी, मिसाल के लिए हाउसिंग फाइनैंस में मार्केट शेयर में बढ़ोतरी कहीं ज्यादा रही है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, हाउसिंग फाइनैंस सेगमेंट में एनबीएफसी का मार्केट शेयर 26 पर्सेंट से बढ़कर 38 पर्सेंट हो गया है, जबकि बैंकों की बाजार हिस्सेदारी 74 पर्सेंट से घटकर 62 पर्सेंट रह गई है। एनबीएफसी आगे भी मार्केट शेयर बढ़ाने में सफल रह सकती हैं। इसके साथ ही दूसरे इमर्जिंग देशों की तुलना में भारत में एबीएफसी लोन टु जीडीपी रेशियो कम है। बीसीजी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जीडीपी के मुकाबले लोन 97 पर्सेंट है, जबकि थाईलैंड और मलयेशिया जैसे देशों में यह 127 पर्सेंट और चीन में 165 पर्सें है। भारतीय जीडीपी के मुकाबले एनबीएफसी क्रेडिट सिर्फ 13 पर्सेंट है। मलयेशिया और थाईलैंड में यही आंकड़ा 26-27 पर्सेंट है। चीन में यह 33 पर्सेंट है।



ग्रोथ के अलावा रिटर्न ऑन इक्विटी के मामले में भी एनबीएफसी बैंकों से आगे हैं। नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों में होम फाइनैंस, कन्ज्यूमर फाइनैंस, वीकल लोन और रूरल फाइनैंस जैसे कई सेगमेंट हैं। होम फाइनैंस में एचडीएफसी, एलआईसी हाउसिंग, दीवान हाउसिंग और इंडियाबुल्स रीयल एस्टेट के साथ रेपको, केन फिन होम्स और गृह फाइनैंस जैसी छोटी कंपनियां शामिल हैं।



कन्ज्यूमर फाइनैंस में बजाज फाइनैंस, चोलामंडलम और कैपिटल फर्स्ट की अच्छी मौजूदगी है। एसकेएस माइक्रोफाइनैंस और मुथूट फाइनैंस रूरल फाइनैंसिंग में बड़ी प्लेयर हैं। वीकल फाइनैंसिंग में श्रीराम ट्रांसपोर्ट, एमऐंडएम फाइनैंशल, बजाज फिनसर्व और चोलामंडलम का अच्छा दखल है। पिछले एक साल में इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने बैंकों की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है।



See Also: चिटफंड कंपनी के चेयरमैन को धर दबोचा



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  • 18 March, 2016
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