जयपुर, राजस्थान - स्वाइन फ्लू रोगों के जीवाणु और विषाणु हमारे चारों तरफ मौजूद हैं। वहीं प्रकृति ने इन जीवाणुओं और विषाणुओं से बचने लिए मनुष्य के शरीर में उच्च प्रतिरोधक क्षमता प्रदान की है, लेकिन दूषित खान-पान और अनियमित जीवन शैली की वजह से मनुष्य में रोगों से लड़ने वाली प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है। इसी कारण स्वाइन फ्लू जैसे विषाणु मनुष्य को जल्दी संक्रमण का शिकार बना लेते हैं।
प्रकृति में ऐसे असंख्य विषाणु है, जिन्हें कभी भी नष्ट नही किया जा सकता है, लेकिन उनसे बचाव किया जा सकता है। स्वाइन फ्लू उसी श्रेणी का विषाणु है।
लक्षण
लगातार बुखार का आना, खांसी का लंबे समय तक ठीक न होना, गले में खराश, शरीर में दर्द, कमजोरी, निगलने में दिक्कत, ज्यादा छींके आदि स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं।
कैसे बचे स्वाइन फ्लू के संक्रमण से
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आप को शुद्ध और शाकाहारी भोजन करना चाहिए, गर्म और आहार अल्प मात्रा में लेना चाहिए, पर्याप्त नींद लेनी चाहिए, खुली और साफ हवा में रहना चाहिए, कमरे हवादार होने चाहिए, उबालकर ठंडा किया हुआ पानी अधिक मात्रा में उपयोग करना चाहिए , सवेरे नियमित रूप से प्राणायाम करना चाहिए, फ्लू के रोगियों से दूर रहना चाहिए, भीड़ से बचें।
स्वाइन फ्लू हो तो अपना सकते हैं देसी नुस्खे
हर्बल चाय है लाभकारी: स्वाइन फ्लू से बचने के लिए हर्बल चाय का सेवन करना चाहिए। हर्बल चाय में लौंग, हल्दी, दालचीनी, गिलौय, इलायची, सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च और पिप्पली को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर तैयार की जा सकती है। इस चूर्ण की दो ग्राम मात्रा एक कप चाय में डालकर उसे अच्छी तरह उबालकर सुबह शाम पीने पर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है।
गुढ़कारी आयुर्वेदिक काढ़ा: चिरायता, गुडुची, अनंतमूल, सोंठ, हल्दी, कालमेघ, वासा और तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से भी इस बीमारी के इलाज में फायदा होता है।
जादू की पोटली से स्वाइन फ्लू से कर सकते है बचाव
देसी कपूर और छोटी ईलायची 5-5 ग्राम बराबर मात्रा में लें, इन दोनों को कूट कर साफ सूती कपडे में बांधकर पोटली बना लें। इसे पास रखें एक-दो घंटे में सूंधते रहें। इससे स्वाइन फ्लू के कीटाणु मर जाते है।