करनाल (पंकेस): पंजाब केसरी ने बीती 8 नवम्बर 2014 को फर्जी पैंशन मामले में घोटाले को लेकर मामले से संबंधित खबर प्रकाशित की थी। इस मामले में सी.एम. मनोहर लाल खट्टर ने जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया था। पैंशन (Pension)घोटाला करीब 6 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है और आरोप है कि कई हजार फर्जी लोगों को शामिल कर पैंशन के नाम पर पैसे ऐंठे जा रहे थे। यह घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था। मीडिया में सुर्खियां बन जाने के बाद इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आदेश दिए थे। जिले के अधिकारियों ने अपनी रैंडम जांच करके सरकार को रिपोर्ट भी भेजी थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
वहीं अब मुख्यमंत्री ने करनाल में हुए पैंशन फर्जीवाड़े का कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा था कि इस मामले में सरकार दूध का दूध और पानी का पानी करेगी। बताया जा रहा है कि जिले में जब नई पैंशन बनाई गई थी तो प्रत्येक जिले में 10 से 15,000 लोगों को भी शामिल किया गया था लेकिन करनाल में 3 साल के भीतर 45,000 लोगों को शामिल कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि इस पैंशन घोटाले में उन लोगों को शामिल किया गया। जिनकी उम्र काफी कम थी। यह घोटाला फर्जी आई.डी. और फर्जी वोटर कार्ड जोड़कर किया गया था जिसमें उम्र भी फर्जी बताई गई है। हालांकि यह साफ है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की इस मामले में बड़ी मिलीभगत हो सकती है।
पैंशन घोटाले में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार ने करीब 29,000 लोगों की पैंशन भी रोक दी थी। आरोप है कि स्थानीय कार्यालय में कई हजार फार्म गायब भी कर दिए गए थे, जो फर्जी थे। पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से 2014 तक जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा कुल 45,722 नई वृद्धावस्था पैंशन बनाई गई थी। समाज कल्याण अधिकारी द्वारा इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई थी लेकिन उन्होंने कई बिंदुओं पर जवाब नहीं दिया। एफ.आई.आर. में लिखा गया है कि कुछ रिकार्ड मिल नहीं रहा था बाद में जिस 10,584 आवेदन फार्मों के संबंध में रिपोर्ट दी गई थी वे आवेदन फार्म ही गुम हैं और कार्यालय में ही नहीं पाए गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 11,904 लोगों को पैंशन बांटी गई क्योंकि इन लोगों के आवेदन फार्म ही उपलब्ध नहीं करवाए गए इसलिए करीब 6, ,73,51,200 रुपए की राशि गलत वितरित कर दी गई जिसे रिकवर किया जाना है। वहीं कर्मचारियों ने यह भी लिखित में बयान दिया है कि उन्होंने कोई भी आवेदन फार्म को चैक नहीं किया। जांच में आडिट पार्टी ने स्पष्ट क्लीयर किया है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा आडिट पार्टी के सम्मुख पेश न होना तथा जानबूझ कर अयोग्य लाभपात्रों से मिलीभगत करके अनियमितता बरती गई और भ्रष्टाचार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं सबूत भी खुर्द-बुर्द कर दिए गए।