नई दिल्ली: सरकार नए साल में आपको एक बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है. सरकार जल्द ही औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय मासिक वेतन 15000 रुपए करने पर विचार कर रही है.
1948 के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत 45 तरह की आर्थिक गतिविधियों को इस अधिनियम में शामिल किया गया था. इसके बाद इसी एक्ट को राज्यों में भी लागू किया गया था. इस एक्ट के तहत राज्य करीब 1600 प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को इसमें शामिल कर सकते हैं.
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 में संशोधन के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय बहुत जल्द राज्यों की बैठक बुलाने वाला है. इस बैठक में सभी राज्यों की राय मांगी जाएगी. इस मुद्दे पर पहले से ही एक आंत्रिक मंत्रालय की समिति पहले से ही काम कर रही है. अगर केंद्र सरकार की इस पहल पर सहमति बन जाती है तो सभी राज्यों को श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन मान तय करना होगा.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में श्रम मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अरुण कुमार सिन्हा का एक बयान छपा है जिसके मुताबिक, 'न्यूनतम वेतनमान अधिनियम में संशोधन कर इसमें एक प्रावधान जोड़ा जाएगा जिसके तहत राष्ट्रीय दर राज्यों के लिए भी जरूरी होंगे। अब तक यह राज्यों के लिए सलाह तक ही सीमित थे लेकिन अब इनका पालन आवश्यक कर दिया जाएगा.'
अगर सरकार का यह कदम सफल होता है तो राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत आने वाले औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों केो कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 15000 रुपए (दोगुने से भी ज्यादा) हो जाएगा. अभी न्यूनतम वेतनमान 4,645 रुपए है.
इस कदम से सबसे ज्यादा फायादा अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को होगा. वेतन बढ़ने से लोगों में असंतोष की भावना में कमी आ सकती है. अभी अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी वेतन से असंतुष्ट होकर अपनी नौकरी बदलते रहते हैं.
आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े विषेशज्ञों को इस योजना के सफल होने में संदेह नजर आता है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि इस योजना को लागू करने में दिक्कत आ सकती है.