आगरा: जालसाजी में उस्तादों के उस्ताद निकले इस शातिर के काले कारनामों का पता पुलिस को उसके घर से मिली चार हार्ड डिस्क में एक के खुलते ही चल गया था। तीन मई को ही पुलिस के जानकारी थी कि इस धोखेबाज ने किस तरह छल-प्रपंच करके दौलत का खजाना इकट्ठा किया है। अब जरूरत सिर्फ उसकी नोटों से भरी तिजोरियों तक पहुंचने की थी लेकिन पुलिस ने गंभीरता केसाथ कोशिश ही नहीं की।
उसे रिमांड पर लेकर लंबी पूछताछ तो की, लेकिन यह मालूम नहीं किया कि जालसाजी से जुटाया काला धन कहां छुपा रखा है? उसके 17 बैंक खातों में करोडो़ं के लेन देने का जिक्र मिला, लेकिन जमा एक करोड़ भी नहीं थे। उसने जिन अधिकारियों को खाते से पैसा ट्रांसफर कर रखा था, उनसे पूछताछ हो जाती तो कुछ राज खुल सकते थे लेकिन इसकी हिम्मत पुलिस नहीं जुटा पाई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अभी तक उसके बैंक लॉकर भी चेक नहीं किए गए हैं।
इन्हें खोलने पर पैसे के अलावा जेवरात भी मिल सकते है। पुलिस चाहती तो जालसाज के पूरे रैकेट पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई करके प्रशासन की मदद से इसकी धारा 14 (एक) के तहत उसकी संपत्ति जब्त कर सकती थी लेकिन इस ओर जरा भी ध्यान ही नहीं दिया गया।
उसने पहली बार के रिमांड पर हुई पूछताछ में दस करोड़ की जालसाजी कुबूल की थी लेकिन तब भी पुलिस उससे बरामदगी नहीं कर पाई थी। उसने जिन अधिकारियों से पैसा लेकर 36 फीसदी ब्याज की दर से भुगतान किया, उन्हें पुलिस ने अभी तक पूछताछ के लिए सफीना (नोटिस ) तक जारी नहीं किया है।
विदेश तो नहीं भेज दिया पैसा?
पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि शैलेंद्र की डायरी में कई ऐसे एनजीओ के मोबाइल नंबर मिले हैं, जिनके विदेशी बैंकों में भी खाते हैं। पुलिस को शक है कि शैलेंद्र इनके माध्यम से जालसाजी से मिली ब्लैक मनी विदेशी बैंकों में जमा करा दी है। इसके बारे में उससे रिमांड पर पूछताछ की जाएगी। इसके अलावा पुलिस उसके साथ मुकदमों में नामजद उसके रिश्तेदारों से भी उसकी दौलत के बारे में सवाल जवाब करेगी।