नई दिल्ली, एक बकरी से दो, दो से चार, चार से आठ फिर सैकड़ों और हजारों। इन पर पैसा लगाकर लाखों बनाने का हसीन सपना। यह कहानी तो हममें से बहुतों ने सुनी होगी। कुछ ऐसा ही ख्वाब दिखाकर भोले-भाले निवेशकों को 'मुंगेरी लाल' की दुनिया में पहुंचाने में जुटी हैं कई कंपनियां।
ऊपर की कहानी का सबक- लालच बुरी बला है। मगर निवेशक भी कम नहीं हैं। आसानी से पैसे दूने-तिगुने करने की उनकी लालच पर कोई लगाम नहीं है। पोंजी स्कीमें चलाने वाले इसी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। कभी मवेशी या घी तो कभी जट्रोफा और सोने-चांदी में निवेश के नाम पर उन्हें कंपनियां उल्लू बना देती हैं। लाखों निवेशकों से अरबों रुपये जुटाकर चंपत हो जाने वाली कंपनियों की ऐसी स्कीमों से पूंजी बाजार नियामक सेबी भी खासा परेशान है।
मवेशियों और घी के कारोबार के नाम पर भारी-भरकम रिटर्न का वादा करने वाली जीएन डेयरीज भी ऐसी ही कंपनियों में थी। उसने गैरकानूनी डेयरी निवेश स्कीम चलाई। निवेशकों को 'डेयरी की मलाई' मिली हो नहीं, कंपनी ने जरूर करोड़ों के वारे-न्यारे कर दिए। सेबी हरकत में आया और तुरंत कंपनी से अपना बोरिया-बिस्तर समेटने को कहा। तीन महीने में फर्म को निवेशकों को पैसा भी लौटाने का निर्देश दिया। लेकिन, निवेशक तो लुट गए न?
कंपनियों की निराली स्कीमों की और बानगी लीजिए। जट्रोफा पौधे में निवेश कीजिए और कुछ ही सालों में दो के छह लीजिए। ओडिशा में सेबी ने हाल ही में 20 से ज्यादा फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की जो जट्रोफा, रीयल एस्टेट, सोने-चांदी के सिक्के में निवेश पर ऐसे ही 'हैरतअंगेज' रिटर्न देने का वादा कर रही थीं। नियामक को अंदेशा है कि ये कंपनियां निवेशकों का करोड़ों डकार चुकी हैं। बंगाल के बाद ओडिशा पोंजी स्कीमों का नया गढ़ बन रहा है। पड़ोसी पश्चिम बंगाल तो पहले ही ऐसी स्कीमों के मकडज़ाल का शिकार है। इसी राज्य की ही तमाम कंपनियां ओडिशा में भी पूरी मुस्तैदी के साथ अपना धंधा बढ़ाने में जुटी हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी अलग-अलग तरह की पोंजी स्कीमों के जरिये कई कंपनियां निवेशकों को ठगने में लगी हुई हैं।
जट्रोफा पौधे से जुड़ी एक स्कीम में तो करीब 40 हजार निवेशकों से फंड जुटाया गया। इसमें कंपनी ने सात साल में निवेशकों के धन को तीन गुना 'चौड़ा' कर देने का वादा किया। बता दें कि इस पौधे के बारे में कई बार कहा जा चुका है कि भविष्य में इसका उपयोग बायो-डीजल के उत्पादन में होगा। इसी सिक्के को उछालकर निवेशकों को स्कीम में पैसा लगाने को कहा गया। कमोबेश पूरे देश में इस तरह की पोंजी स्कीमों की भरमार है। इनके चक्कर में आकर निवेशक गाढ़ी कमाई गंवा देते हैं। कुछ पाने के फेर में जो कुछ होता है वह भी चला जाता है।