Dozens chit fund company in district, Every month, 10 crore turnover, Police Unaware
Admin | 18 January, 2016 | 830 | 3980
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झुंझुनूं। अरबों की चपत खाने के बाद भी जिले में चिटफंड का खेल बंद नहीं हुआ है। जबकि जिले के लोग प्रिया, आरएचएस, मानव जैसी कई कंपनियां करोड़ों-अरबों रुपए डकार चुकी है। आज भी करीब दो दर्जन से अधिक चिटफंड कंपनियां चल रही हैं। इनका कहीं रजिस्ट्रेशन है और ही कोई कंट्रोल। ये कंपनी हर महीने करीब 10 करोड़ रुपए का कारोबार कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कंपनियों के बारे में तो प्रशासन को खबर है और ही पुलिस विभाग को।
धोखाधड़ी के मामले दर्ज होने के बाद पुलिस अंधेरे में हाथ-पैर मारती है।इन कंपनियों ने अपना बड़ा नेटवर्क बना रखा है। युवा वर्ग और खासकर व्यापारी इन कंपनियों के चपेट में रहे हैं। जिले के हजारों लोग इन कंपनियों की चपेट में रहे हैं। कुछ कंपनी नियमित अंतराल से कई बार लॉटरी निकाल चुकी हैं। ड्रा के लालच में लोग इनकी चंगुल में फंस रहे हैं।
युवा रच रहे हैं जाल : चिटफंड कंपनियों की रचना युवा वर्ग कर रहा है। वे कार, बंगले का दिखावा कर लोगों को झांसे में फंसा रहे हैं। ड्रा के लालच में लोगों को सदस्य बना लिया जाता है। इसके बाद मासिक किश्त शुरू कर दी जाती है।
पोंजी स्कीम कहते हैं ऐसे घोटालों को
{इटालियन बिजनेसमैन चार्ल्स पोंजी ने यह सिलसिला शुरू किया था। इसलिए इन स्कीमों को पोंजी स्कीम भी कहते हैं।
{1920में नॉर्थ अमेरिका में उसने यह काम शुरू किया था। उसके बाद से दुनियाभर में यह काम चलता रहा है।
300 करोड़ रुपए
2459 करोड़ का घोटाला
45000 करोड़ का घोटाला
बड़ा सवाल
बीट स्तर पर अनदेखी
जबकंपनियां अपने विज्ञापन के पंपलेट लगवा रही हैं ब्रोशर जिले में बंटवा रही हैं तो पुलिस को भनक क्यों नहीं है। निश्चित ही बीट स्तर के अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। ऐसा भी लगता है कि पुलिस जानबूझकर पर्दा डाले हुए है।
शिकायत आए तो कार्रवाई भी हो: एसपी
एसपी सुरेंद्रकुमार गुप्ता से इस मामले में सवाल किए गए। उनका कहना है कि कोई शिकायत या परिवादी हो तो कार्रवाई भी हो। ऐसी कोई सूचना पहले तो देता नहीं है। पुलिस के पास तो ठगी होने के बाद आते हैं। फिर भी सभी एसएचओ को निर्देश दिए जाएंगे कि वे अपने-अपने क्षेत्र में इस तरह की कंपनियों की जानकारी जुटाएं और आवश्यक कार्रवाई करें। ऐसे ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
नियम : कंपनी चलाने वालों के साथ ही पैसा लगाने वाले भी हैं दोषी
प्राइजचिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बेनिंग एक्ट 1978 के तहत किसी भी तरह की चिटफंड स्कीम चलाना ही अपराध है। इसमें चलाने वालों के साथ-साथ वे लोग भी दोषी माने जाएंगे, जो पैसा लगा रहे हैं। उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। प्रावधान यह भी है कि ऐसी स्कीम चलाने वालों के खिलाफ पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है, भले ही उन्होंने किसी के साथ ठगी नहीं की हो।
ठगी: 2012 में करोड़ों लेकर हुई थी फरार कई कंपनियां
2012में प्रिया परिवार, आरएचएस, मानव रिवॉल्यूशन जैसी कई कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए ठग कर फरार हुई थी। जबकि इन कंपनियों के पास तो किसी किसी रुप में रजिस्ट्रेशन थे। इन कंपनियों के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। इन्होंने केवल ब्रॉशर छपा रखे हैं। आधी से ज्यादा कंपनियों के तो ऑफिस भी नहीं है। ये लोगों को अपने स्तर पर ही कूपन बांट रही हैं।
निवेशकों को ऐसी कंपनियों में पैसा लगाना ही नहीं चाहिए। उनके खुद के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। अगर पैसा डूब जाता है तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें। जिससे समय पर कार्रवाई हो सके। ज्यादा मोटी रकम होने पर पैसा वापस मिलने की संभावना के बराबर रहती है।
See Also: SPECIAL REPORT: चिटफंड के 'चैनलों' से सावधान!
युवा रच रहे हैं जाल : चिटफंड कंपनियों की रचना युवा वर्ग कर रहा है। वे कार, बंगले का दिखावा कर लोगों को झांसे में फंसा रहे हैं। ड्रा के लालच में लोगों को सदस्य बना लिया जाता है। इसके बाद मासिक किश्त शुरू कर दी जाती है।
पोंजी स्कीम कहते हैं ऐसे घोटालों को
{इटालियन बिजनेसमैन चार्ल्स पोंजी ने यह सिलसिला शुरू किया था। इसलिए इन स्कीमों को पोंजी स्कीम भी कहते हैं।
{1920में नॉर्थ अमेरिका में उसने यह काम शुरू किया था। उसके बाद से दुनियाभर में यह काम चलता रहा है।
300 करोड़ रुपए
2459 करोड़ का घोटाला
45000 करोड़ का घोटाला
बड़ा सवाल
बीट स्तर पर अनदेखी
जबकंपनियां अपने विज्ञापन के पंपलेट लगवा रही हैं ब्रोशर जिले में बंटवा रही हैं तो पुलिस को भनक क्यों नहीं है। निश्चित ही बीट स्तर के अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। ऐसा भी लगता है कि पुलिस जानबूझकर पर्दा डाले हुए है।
शिकायत आए तो कार्रवाई भी हो: एसपी
एसपी सुरेंद्रकुमार गुप्ता से इस मामले में सवाल किए गए। उनका कहना है कि कोई शिकायत या परिवादी हो तो कार्रवाई भी हो। ऐसी कोई सूचना पहले तो देता नहीं है। पुलिस के पास तो ठगी होने के बाद आते हैं। फिर भी सभी एसएचओ को निर्देश दिए जाएंगे कि वे अपने-अपने क्षेत्र में इस तरह की कंपनियों की जानकारी जुटाएं और आवश्यक कार्रवाई करें। ऐसे ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
नियम : कंपनी चलाने वालों के साथ ही पैसा लगाने वाले भी हैं दोषी
प्राइजचिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बेनिंग एक्ट 1978 के तहत किसी भी तरह की चिटफंड स्कीम चलाना ही अपराध है। इसमें चलाने वालों के साथ-साथ वे लोग भी दोषी माने जाएंगे, जो पैसा लगा रहे हैं। उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। प्रावधान यह भी है कि ऐसी स्कीम चलाने वालों के खिलाफ पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है, भले ही उन्होंने किसी के साथ ठगी नहीं की हो।
ठगी: 2012 में करोड़ों लेकर हुई थी फरार कई कंपनियां
2012में प्रिया परिवार, आरएचएस, मानव रिवॉल्यूशन जैसी कई कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए ठग कर फरार हुई थी। जबकि इन कंपनियों के पास तो किसी किसी रुप में रजिस्ट्रेशन थे। इन कंपनियों के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। इन्होंने केवल ब्रॉशर छपा रखे हैं। आधी से ज्यादा कंपनियों के तो ऑफिस भी नहीं है। ये लोगों को अपने स्तर पर ही कूपन बांट रही हैं।
निवेशकों को ऐसी कंपनियों में पैसा लगाना ही नहीं चाहिए। उनके खुद के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। अगर पैसा डूब जाता है तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें। जिससे समय पर कार्रवाई हो सके। ज्यादा मोटी रकम होने पर पैसा वापस मिलने की संभावना के बराबर रहती है।
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