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District 100 chit fund company, monthly turnover of 30 million, police Unaware

District 100 chit fund company, monthly turnover of 30 million, police Unaware

सीकर. जिले में करीब 100 फर्जी चिटफंड कंपनी चल रही हैं। ये कंपनी हर महीने करीब 30 करोड़ का कारोबार कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि लक्की ड्रा के नाम से चल रही इन कंपनी के पास किसी भी विभाग का रजिस्ट्रेशन नहीं है। कुछ कंपनी ने तो एजेंट तक बना रखे हैं।



बड़ी बात यह भी है कि जिले की पुलिस को इनकी भनक तक नहीं है। जबकि कुछ कंपनी अब तक कई बार लॉटरी भी निकाल चुकी हैं। इन कंपनियों में जिले के हजारों लोगों ने पैसा भी लगा दिया है। अब अगर ये कंपनी फरार हो जाती हैं तो लोगों की वही हालत होने वाली है जो गोल्ड सुख और प्रिया परिवार के वक्त हुई थी। ज्यादातर कंपनियां लक्की ड्रा में गाड़ियां, बाइक और इलेक्ट्रॉनिक सामान ही उपहार के तौर पर दे रही हैं।


 


अब खतरा ज्यादा बढ़ा क्योंकि आपराधिक प्रवृति के लोग भी जुड़े : कुछ चिटफंड कंपनियों में भूमाफिया और शराबमाफिया भी जुड़े हैं। ये लोगों से संपर्क कर उनको मुनाफे का लालच दे रहे हैं। सदस्य पूरे होने के बाद इनका लक्की ड्रा शुरू होता है। जिसमें हर महीने गाड़ियां, बाइक, फ्रिज, कूलर जैसे इनाम निकालने का दावा किया जा रहा है।




पड़ताल : एक कंपनी ने बना रखे हैं 2500 सदस्य, हर महीने 38.75 लाख ऐंठ रही




दैनिक भास्कर ने यह जानकारी जुटाई कि किस तरह लोगों से रुपए ऐंठे जा रहे हैं। हर महीने ये कंपनी 30 करोड़ का कारोबार कर रही हैं। एक कंपनी 2500 सदस्य बनाकर काम चला रही है और हर सदस्य से हर महीने 1550 रुपए की किश्त ली जा रही है। यह एक कंपनी ही हर महीने 38 लाख 75 हजार रुपए लोगों से ले रही है। कुछ कंपनियां 3000 सदस्य बनाकर सभी से 1000 रुपए हर महीने ले रही हैं तो इनका एक महीने का गणित 30 लाख रुपए का बैठता है। जिले में इस तरह की 100 फर्जी कंपनियां चल रही हैं। इस हिसाब से ये सारी कंपनियां जिले में हर महीने करीब 30 करोड़ रुपए वसूल रही हैं।




नियम : कंपनी चलाने वालों के साथ ही पैसा लगाने वाले भी हैं दोषी




प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बेनिंग एक्ट 1978 के तहत किसी भी तरह की चिटफंड स्कीम चलाना ही अपराध है। इसमें चलाने वालों के साथ साथ वे लोग भी इतने ही दोषी माने जाएंगे जो पैसा लगा रहे हैं। उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। यह भी प्रावधान है कि ऐसी स्कीम चलाने वालों के खिलाफ पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है भले ही उन्होंने किसी के साथ ठगी नहीं भी की हो।




ठगी : 2012 में करोड़ों लेकर हुई थी फरार कई कंपनियां




2012 में प्रिया परिवार, गोल्डसुख, गोल्डन हैलो जैसी कई कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए ठग कर फरार हुई थी। जबकि उन कंपनियों के पास तो रजिस्ट्रेशन भी किसी न किसी रुप में थे। इन कंपनियों के पास ऐसा कुछ नहीं है। इन्होंने केवल ब्रॉशर छपा रखे हैं और आधी से ज्यादा कंपनियों के तो ऑफिस भी नहीं है। ये लोगों को अपने कूपन बांट रही हैं।




पोंजी स्कीम कहते हैं ऐसे घोटालों को




- इटालियन बिजनेसमैन चार्ल्स पोंजी ने यह सिलसिला शुरू किया था। इसलिए इन स्कीमों को पोंजी स्कीम भी कहते हैं।

- 1920 में नॉर्थ अमेरिका में उसने यह काम शुरू किया था। उसके बाद से दुनियाभर में यह काम चलता आ रहा है।


बड़ा सवाल चुप क्यों है पुलिस


जब कंपनियां अपने विज्ञापन के ब्रोशर पूरे जिले में बंटवा रही हैं तो पुलिस को भनक क्यों नहीं है। क्या पुलिस जानबूझकर इस पर पर्दा डाले हुए है। जबकि कंपनियां तो डीडवाना और रतनगढ़ से आकर यहां ब्रोशर बांट रही हैं।


 


कार्रवाई व गिरफ्तारी भी होंगी : एसपी


भास्कर ने इस मामले में एसपी अखिलेश कुमार से भी सवाल किए। उनका कहना है कि अभी तक एेसी कोई शिकायत पुलिस के पास नहीं है। फिर भी अगर चिटफंड कंपनी चल रही हैं तो यह भी अपराध की श्रेणी में आता है। सभी एसएचओ को निर्देश देकर उनके इलाकों में जांच करवाई जाएगी। जो भी इस तरह की फर्जी कंपनी चला रहा है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करेंगे।


पैसा डूब जाए तो क्या करें?


निवेशकों को ऐसी कंपनियों में पैसा लगाना ही नहीं चाहिए। उनके खुद के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। अगर पैसा डूब जाता है तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें। जिससे समय पर कार्रवाई हो सके। ज्यादा मोटी रकम होने पर पैसा वापस मिलने की संभावना न के बराबर रहती है।


 



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  • 16 January, 2016
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