धार। राज्याभिषेक और राजतिलक ये सब बातें गुजरे जमाने की हो चुकी हैं। आजादी के पहले जब रियासतों और राजा महाराजाओं के राज हुआ करते थे, तब राजगद्दी पर बैठने से पहले होने वाले राजा का राज्याभिषेक और राजतिलक बड़ी धूमधाम से किया जाता था। आजादी के बाद देश की सारी रियासते और राज्य समाप्त कर दिये गए और इसी के साथ राज्याभिषेक और राजतिलक भी बंद हो गये, लेकिन धार में 90 वर्षों बाद हेमेन्द्रसिंह राजे पंवार का सांकेतिक राज्याभिषेक शाही अंदाज में किया गया और जिसमें कई राजा रजवाड़े भी परंपरागत शाही अंदाज में ही शामिल हुए। साथ ही आम लोगों में भी राज्याभिषेक को लेकर खासा उत्साह दिखाई दिया।
अतीत को देखें तो, धार के महाराजा आनंदराव राजे पंवार का विवाह वड़ोदरा की राकुमारी मृणालिनी देवी के साथ हुआ था। आनंदराव पंवार के निधन के बाद धार की सल्तनत महारानी मृणालिनी देवी राजे पंवार के हाथों में थी। हाल ही मे मृणालिनी देवी का लंबी बिमारी के बाद गुजरात के वड़ोदरा में निधन हो जाने के बाद अब फिर से उनके उत्तराधिकारी को राज गद्दी सौपने का मौका आया था, जिसमें पंवार वंश की परंपरा के अनुसार, परिवार के सबसे छोटे बेटे को राजगद्दी सौपकर राजा बनाया जाता है और इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए धार के दरबार हाल मे हेमेन्द्रसिंह राजे पंवार का राज्याभिषेक शाही अंदाज में किया गया। राज्याभिषेक में शामिल होने के लिए आसपास के राजा रजवाड़े भी अपने शाही अंदाज में ही शामिल हुए। इस दौरान हेमेन्द्रसिंह राजे पंवार ने कहा कि वे धार की जनता के हित मे काम करेंगे, साथ ही राजा और प्रजा के बीच की दूरी को कम करते हुए आपसी भाईचारे से काम किया जाएगा।
राज्याभिषेक को लेकर आम लोगों में भी काफी उत्साह देखा गया। चूंकि आजादी के बाद से ही राज्याभिषेक समाप्त हो चुका है, लिहाजा लोगों में राज्याभिषेक(सांकेतिक: राजा-माहाराजा जैसी पदवियां सरकार खत्म कर चुकी है, और इस राज्याभिषेक का संवैधानिक स्तर पर कोई महत्व नहीं है) को देखने के लिए काफी उत्साह देखा गया। अबतक राज्याभिषेक के कार्यक्रम लोगों ने फिल्मों और सीरियलों में ही देखा था, लेकिन धार मे राज्याभिषेक होते हुए लोगों ने अपनी आंखों से देखा। फर्क सिर्फ इतना था कि पुराने जमाने राजा-महाराजा हाथी, घोडों और पालकी से आते थे, आज वे वीआईपी गाडियों में दिखे। इस दौरान राज्याभिषेक को देखने के लिए राजबाड़ा चौक पर दो एलसीडी भी लगाई गई, जिसमें लोगों ने राज्याभिषेक को देखा। - नवीन मेहर