इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के माहिरों की एक अनाम सेना इन दिनों एक नये तरीके का विश्व युद्ध लड़ रही है. उनका यह युद्ध धरती पर नहीं, बल्कि इंटरनेट की दुनिया में चल रहा है, जहां से वे दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस का वजूद मिटाने में जुटे हैं. पिछले कुछ दिनों में ही उन्होंने हजार से अधिक वेबसाइट्स एवं सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक कर उसे तबाह कर दिया है.
उनका मकसद आइएसआइएस का आतंक फैलानेवाले विचारों, तस्वीरों और वीडियो को इंटरनेट की दुनिया से हटा देना है. कैसा है यह संगठन, कौन हैं इसके संचालक, कैसे करता है यह अपना काम आदि जैसे अनेक सवालों के जवाब के साथ प्रस्तुत है आज का नॉलेज..
दिल्ली: यह एक नये तरह का विश्व युद्ध है. इस युद्ध में सिपाही नहीं लड़ रहे, बल्कि यह साइबर वर्ल्ड में लड़ा जा रहा है. इस युद्ध में जहां एक तरफ आतंकी संगठनों की विचाराधारा से जुड़े सफेद कॉलर वाले काफी पढ़े-लिखे (करीब-करीब संभ्रांत किस्म के) और तकनीकी रूप से दक्ष ऐसे लड़ाके हैं, जो दुनिया में आतंकी विचारधारा का समर्थन करते हुए उसे फैलाते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ गुमनाम लोग, जो ‘एनोनिमस हैकिंग ग्रुप’ यानी बेनाम हैकिंग समूह में शामिल हैं. हालांकि, इन दोनों के बीच यह युद्ध करीब एक दशक से छिड़ा हुआ है, लेकिन पिछले माह फ्रांस में प्रसिद्ध काटरून पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ के कार्यालय में आइएसआइएस के आतंकियों द्वारा किये गये हमले के बाद से यह लड़ाई तेज हो गयी है.
टेरेरिज्म एंड होमलैंड डिफेंस जैसे मामलों का विश्लेषण करनेवाली संस्था ‘इन होमलैंड सिक्योरिटी’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ये गुमनाम लोग हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है. दावा किया गया है कि पिछले कुछ दिनों के भीतर ही एनोनिमस हैकिंग ग्रुप (गुमनाम हैकिंग समूह) ने इसलामिक स्टेट से जुड़ी एक हजार से ज्यादा वेबसाइटों को हैक कर लिया है.
ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी आतंकी संगठनों के बड़ी तादाद में एकाउंट है. ‘मिरर डॉट को डॉट यूके’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस गुमनाम समूह ने एक वीडियो मैसेज के माध्यम से दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस को चुनौती दी है और उसकी वेबसाइटों, खातों और इमेल आदि को हैक कर लिया है.
आपको मालूम होगा कि हाल ही में इराक और सीरिया व आसपास के कई देशों में आइएसआइएस (इसलामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) नामक आतंकी संगठन ने एक बड़े इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया है और सोशल मीडिया के माध्यम से इंटरनेट पर अपने विचारों का प्रचार-प्रसार कर रहा है.
गुमनाम समूह की ओर से हाल ही में जारी किये गये एक वीडियो में कहा गया है कि जो आतंकी खुद को इसलामिक स्टेट बता रहे हैं, वे मुसलिम नहीं हैं. उनका कोई मजहब नहीं है. हम आइएसआइएस की साइबर मौजूदगी को पूरी तरह खत्म कर देंगे. उनकी साइटों, खातों, इमेल को उजागर करते हुए हम उसकी असलियत लोगों के सामने रखेंगे. उसे इस बात का एहसास करायेंगे कि ‘ऑनलाइन’ माध्यम उसके लिए सुरक्षित जगह नहीं है. वह एक वायरस की भांति कार्य कर रहा है, तो हमारे पास उसे मिटा देने तरीका मौजूद है.
कौन है यह गुमनाम समूह
ये गुमनाम लोग तकनीकी रूप से बेहद दक्ष, नैतिक रूप से विचारवान, जनवादी विचाराधारा के पोषक और साइबर एक्टिविस्ट हैं, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं. मूल रूप से ये पश्चिमी देशों के निवासी समङो जाते हैं. ये लड़ाके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी विचारों से जुड़े आंदोलन का सूत्रपात कर चुके हैं.
चूंकि इस समूह का कोई मुखिया नहीं है, इसलिए निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि इनकी कौन सी गतिविधियां कानून सम्मत हैं और कौन सी नहीं हैं.
साथ ही इस बारे में भी स्पष्ट नहीं है कि इस समूह का प्रतिनिधि कौन है. तकनीकी रूप से दक्ष कोई भी व्यक्ति ‘हैक्टिविस्ट’ होने का दावा कर सकता है और समूह से संबद्धता हासिल कर सकता है. अन्य संबद्ध लोगों या प्रायोजकों की वचरुअल सहमति के बिना किसी प्रकार की कार्रवाई को अनुचित मानते हुए व्यापक तौर पर निंदा की जाती है.
कैसे हुआ इसका उदय
इस गुमनाम समूह का अस्तित्व वर्ष 2003 में ‘4 चान’ नाम से सामने आया था. इसमें दुनियाभर के अराजक किस्म के बौद्धिकों का ऑनलाइन योगदान माना जाता है. इस गुमनाम समूह में शामिल सदस्यों को अलग प्रकार के मुखौटों के आधार पर चिह्न्ति किया जाता है. इसके आरंभिक काल में इस कॉन्सेप्ट को विकेंद्रित ऑनलाइन समुदाय द्वारा अपनाया गया था. ये गुमनाम लड़ाके किसी अन्य व्यक्ति का एकाउंट और कंप्यूटर नेटवर्क को हैक कर उनका पूरी दक्षता के साथ इस्तेमाल करते हैं. इसलिए इन्हें पहचानना या इन तक पहुंच पाना आसान नहीं है.
टाइम के टॉप 100 में शामिल
इस गुमनाम समूह की कार्रवाइयों और उसके असर का मूल्यांकन बहुत ही व्यापक है. ‘एनोनिमस’ ने कई बार अपने विरोध जताने के तरीके में बदलाव भी किया है. दुनियाभर में इस समूह की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वर्ष 2012 में ‘टाइम’ ने इसे दुनिया के ‘100 सर्वाधिक असरदार लोगों’ में शामिल किया था. 2012 में पब्लिक रेडियो इंटरनेशनल ने कहा था कि एनोनिमस की गतिविधियों को देखते हुए अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी को सतर्क रहना होगा, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया था कि यह समूह इतना सक्षम है कि वह अमेरिकी पावर ग्रिड के कुछ हिस्से को अव्यवस्थित कर सकता है. हालांकि औद्योगिक सुरक्षा विशेषज्ञों के हवाले से सीएनएन ने इसका खंडन करते हुए कहा कि वे इस बात से सहमत नहीं हैं कि एनोनिमस से पावर ग्रिड को बहुत ज्यादा खतरा है. इतना जरूर है कि वे ग्रिड को आंशिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
पॉर्न चाइल्ड वेबसाइटों के खिलाफ
ग्राहम क्लूले नामक एक सिक्योरिटी एक्सपर्ट के हवाले से ‘वीकिपीडिया’ में बताया गया है कि चाइल्ड पॉर्न वेबसाइटों के खिलाफ एनोनिमस द्वारा छेड़ा गया अभियान उपयोगी साबित हो सकता है. उन्होंने यह कहा है कि उनके इरादे नेक हैं और अनैतिक व अनुचित किस्म के वेबसाइटों को हटा कर वे समाज के लिए अच्छा काम कर रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि जो काम प्राधिकरणों को करना चाहिए, उसे यह समूह अंजाम दे रहा है. द ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टिट्यूट के जॉस राइट लिखते हैं कि एनोनिमस के कार्यो को सदस्य खुद गुमनाम तरीके से तय करते हैं, जिनका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता.
वे उन वेबसाइटों को हैक कर लेते हैं या उस पर रोक लगा देते हैं, जिनके विचारों से वे सहमत नहीं होते. मध्य-पूर्व के देशों में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों का समर्थन करने पर जहां विशेषज्ञों ने इस समूह की सराहना की है, वहीं उनका यह भी मानना है कि किसी वेबसाइट से उपभोक्ताओं के आंकड़ों को सार्वजनिक करना सही नहीं है.
इंटरनेट और आतंकी विचारों का फैलाव
क्या आपने सोचा है कि किसी व्यक्ति के भीतर आतंकी बनने का विचार कहां से आता है? या फिर किसी आम आदमी को किस तरह से आतंकी बनने के लिए प्रेरित किया जाता है? इसमें सबसे बड़ा योगदान नकारात्मक विचारों का होता है, जिसे किसी व्यक्ति में कूट-कूट कर भर दिया जाता है. मौजूदा समय में संचार के साधन बेहद तीव्र और सहज तरीके से उपलब्ध हैं. दुनिया के किसी भी कोने से दूसरे कोने तक चंद पलों में संचार कायम किया जा सकता है. इस संचार में इंटरनेट की भूमिका सर्वाधिक व्यापक है. इंटरनेट अब तक दुनिया के करीब-करीब सभी इलाके में पहुंच चुका है और इसके माध्यम से आतंकवाद को पोषित करने का एक नया तरीका सामने आ रहा है.
इस मामले में अब एक नया ट्रेंड सामने आया है कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी आतंकवाद को संरक्षण और पोषण दिया जाने लगा है. विभिन्न आतंकी संगठन और उनके समर्थक या थिंकटैंक सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं और इस माध्यम से अपने विचारों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.
साथ ही इस माध्यम से वे दुनिया को अनेक सूचना भी देते हैं. आपको याद होगा कि हाल ही में बेंगलुरू में एक कंप्यूटर कंपनी में कार्यरत प्रोफे शनल को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उस पर पिछले काफी समय से अन्य देश स्थित एक आतंकी संगठन का ट्विटर हैंडल करने का आरोप लगाया गया है. हालांकि उसकी कार्यशैली उसके कार्यालय में कहीं से भी संदेहास्पद नहीं लगती थी, लेकिन रात के समय वह अपने लैपटॉप से इस गतिविधि को अंजाम देता था.
एनोनिमस से संबंधित अन्य समूह
लुल्ज सिक्योरिटी
मई, 2011 में अनेक छोटे समूहों ने मिल कर ‘लुल्ज सिक्योरिटी’ के नाम से एक हैकर समूह का गठन किया. इसका संक्षिप्त नाम लुल्जसेक है. इस ग्रुप ने सबसे पहले फॉक्स डॉट कॉम पर साइबरर हमला करते हुए अनेक पासवर्ड लीक किये थे. मई, 2011 में यह ग्रुप उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया, जब इसने अमेरिका की पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (पीबीएस) की वेबसाइट को हैक कर लिया था. इन्होंने न केवल वेबसाइट से आंकड़े चुराये बल्कि उस पर कुछ फर्जी किस्से भी डाल दिये.
लुल्जसेक की ओर से उस समय यह कहा गया कि पीबीएस समेत अन्य साइबर अटैक वीकीलिक्स और उसके सूचना प्रदाता चेल्सिया मैनिंग के बचाव के लिए किये गये थे. जून, 2012 में इसके सदस्यों ने सोनी पिक्चर्स के खिलाफ किये गये अटैक की जिम्मेवारी ली, जिसमें हजारों लोगों के नाम, पासवर्ड, इमेल पते, घरों के पते और जन्म तिथि को हैक कर लिया गया था.
पॉर्न के खिलाफ भी इन्होंने अभियान छेड़ा और एक पॉर्नोग्राफी वेबसाइट को भी इन्होंने हैक कर लिया. मिनक्राफ्ट, लीग ऑफ लीजेंड्स समेत आइटी सिक्योरिटी कंपनी फिनफिशर की वेबसाइट को भी इन्होंने हैक कर लिया था. इस समूह ने सरकार से संबद्ध कई वेबसाइटों को भी हैक किया है. इसमें एफबीआइ से जुड़ी एक वेबसाइट भी शामिल है. अमेरिकी सीनेट की वेबसाइट ‘सीनेट डॉट जीओवी’ के कई यूजर्स के इमेल व पासवर्ड को इसने जारी कर दिया था. अमेरिकी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी की पब्लिक वेबसाइट ‘सीआइए डॉट जीओवी’ को भी इसने नहीं छोड़ा.
एंटी सेक
एनोनिमस और लुल्जसेक से जुड़े हैकर्स ने आपसी गठजोड़ करते हुए जून, 2011 में ‘ऑपरेशन एंटीसेक’ के तहत साइबर हमले की कई घटनाओं को अंजाम दिया. 22 जून को इन्होंने ब्राजील सरकार और उसके राष्ट्रपति की वेबसाइट को कुछ समय के लिए हटा दिया. साथ ही उस वेबसाइट से कई जरूरी सूचनाएं हथिया ली गयीं. एंटीसेक के सदस्यों ने विभिन्न कारणों से चंदा हासिल करने के लिए पुलिस अधिकारियों के क्रेडिट कार्ड से सूचनाएं चुरा लीं. इसके अलावा, एक फोन हैकिंग स्कैंडल की प्रतिक्रिया के तौर पर इस समूह ने ब्रिटिश अखबार ‘द सन’ की वेबसाइट को हैक करते हुए उसे तहस-नहस कर दिया था.