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Cooperation Institutions Like chit fund Lured been providing investment

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सहकारिता संस्थाएं (मल्टी स्टेट क्रेडिट कोअॉपरेटिव सोसायटीज) चिटफंड की तरह लालच देकर ऊंचे ब्याज पर लोगों से निवेश करवा रही हैं। इनकी प्रलोभनकारी योजनाओं से निवेशकों को मुश्किल हो रही है। उन्हें अपनी जमा राशि वापस लेने में परेशानी हो सकती है। लोगों और सदस्यों की जमा राशि का इन संस्थाओं द्वारा अनुपयोगी निवेश किया जा रहा है। इसका खुलासा सहकारिता आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रदेश में की गई जांच में हुआ है।



सहकारिता आयुक्त मनीष श्रीवास्तव ने इंदौर कलेक्टर सहित प्रदेश के अन्य कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वह इन संस्थाओं के संबंध में आई शिकायतों की गंभीरता से जांच करें। इंदौर कलेक्टर पी. नरहरि ने आयुक्त के पत्र के बाद सभी एसडीएम को अपने क्षेत्राधिकार में आ रही इस तरह की शिकायतों की जांच करने के आदेश दिए हैं। आयुक्त ने पत्र में लिखा है कि भोपाल स्तर पर कराई गई जांच में सामने आया है कि सहकारी संस्थाओं की इस तरह की प्रलोभनकारी योजना से जमा हुई राशि और सोसायटी द्वारा इसके अनुपयोगी निवेश करने से निवेशक मुश्किल हैं। उन्हें अपना पैसा वाप लेने में परेशानी होगी। इसलिए इनकी जांच करना जरूरी है, ताकि बाद में दिक्कत न हो।



दुकान की ली है मंजूरी



आयुक्त कार्यालय की जांच में सामने आया है कि इन सोसायटियों द्वारा अपना कार्यालय खोलने की मंजूरी संबंधित संस्था द्वारा दुकान स्थापना एक्ट के तहत ली गई है। अधिकांश सोसायटी के कार्यालय इसी एक्ट के तहत संचालित हो रहे हैं। कलेक्टर को इन सभी कार्यालयों की जानकारी एकत्र कर भोपाल भेजने के भी निर्देश दिए हैं।



मप्र हित निक्षेपक एक्ट के तहत करना है कार्रवाई



चिटफंड व अन्य इस तरह लालच देकर आमजन से निवेश करवाने वाली कंपनियों से बचाव के लिए राज्य शासन ने मप्र हित निक्षेपक एक्ट लागू किया है। आयुक्त श्रीवास्तव ने भी कलेक्टर को इसी एक्ट के तहत कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। इस एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी कलेक्टर होता है, जिसकी रिपोर्ट पर पुलिस प्रकरण दर्ज करती है। संपत्ति जब्त कर अंतरिम कुर्की की जाती है। जिले में कुछ चिटफंड कंपनियों के मामले में प्रशासन यह कार्रवाई कर चुका है।




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  • 13 June, 2016
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