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CMD chit fund company, including director, four arrested

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प्रतापपुर। शाइनिंग इंडिया रियल स्टेट एंड डेरी लिमिटेड के नाम से संचालित चिटफंड कंपनी के द्वारा प्रतापपुर क्षेत्र में लगभग 60-70 लाख रुपए की ठगी करने के आरोप में प्रतापपुर पुलिस ने कंपनी के सीएमडी, डायरेक्टर सहित अन्य दो लोगों को गिरफ्तार कर आरोपिरयों के कब्जे से कंप्यूटर, चेकबुक, बांड पेपर आदि जब्त किया है। आरोपियों के पास से नगद राशि बरामद नहीं हो सकी है। विवेचना में आरोपियों द्वारा कुछ स्थानों में 12 एकड़ भूमि क्रय किए जाने की भी जानकारी मिली है।



चिटफंड कंपनी को लेकर प्रतापपुर पुलिस द्वारा की जिले की पहली सफल कार्रवाई के संबंध में जानकारी देते हुए उपनिरीक्षक राममूरत यादव, सहायक उपनिरीक्षक संजय सिंह ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि प्रतापपुर नगर में वर्ष 2012-13 में माइनिंग इंडियन रियल स्टेट एंड डेरी लिमिटेड के नाम से चिटफंड कंपनी का कार्यालय खोलकर क्षेत्र के लोगों के साथ आसपास अन्य सरहदी इलाके के भोले भाले ग्रामीणों को पांच-छह वर्षों में निवेश की रकम दोगुना करने एवं जमीन देने का लालच देकर एजेंटों के माध्यम से करीब 60 से 70 लाख रुपए जमा करा लिया। आरोपियों ने कंपनी के नाम के बांड पेपर एवं चेक ग्रामीणों को दिया था,ताकि लोगों में कंपनी के प्रति विश्वास बन सके। आरोपियों द्वारा लगभग दो वर्षों तक चिटफंड कंपनी के कार्यालय का संचालन बैंक की तरह करने के बाद उन्होंने कार्यालय को अचानक बंद किया और भाग निकले। अचानक बैंक की तरह संचालित कंपनी कार्यालय के बंद होने से ग्र्रामीण कई दिनों तक इसकी तलाश में भटकते रहे,लेकिन कंपनी के लोगों का कोई सुराग नहीं मिला। अंततः ग्राम इंजानी थाना चलगली निवासी दीनानाथ गोंड़ एवं सेंदूर निवासी अजीत कुमार नेताम ने प्रतापपुर थाने में उक्त कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। रिपोर्ट पर प्रतापपुर पुलिस तत्काल हरकत में आई और उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन पर लंबे समय से फरार आरोपियों की तलाश में जुटी थी।





पुलिस द्वारा लगातार दबिश और मुखबिरों से मिली जानकारी पर अंततः पुलिस ने जांजगीर-चांपा,शहडोल सहित अन्य कई स्थानों पर छापा मारकर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। सभी आरोपी बैंक रूपी कार्यालय को बंद करने के बाद से छिपकर रह रहे थे। इन आरोपियों में कंपनी के सीएमडी एवं सरगना अमित कुमार साहू पिता सम्मारलाल साहू 33 वर्ष, कंपनी के डायरेक्टर कन्हैयालाल गोंड़ पिता ननकीराम गोंड़ 34 वर्ष दोनों निवासी ग्राम सोढ़ी थाना बमनीडी जिला जांजगीर-चांपा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने लगातार पूछताछ के बाद प्रतापपुर में संचालित बैंक के फिल्ड मैनेजर रविकांत विश्वकर्मा पिता कांताप्रसाद विश्वकर्मा 33 वर्ष निवासी करकटी थाना खैराह बुढ़ार जिला शहडोल मध्यप्रदेश एवं आपरेटर अमित कुमार सोनपाकर पिता बसंतलाल सोनपाकर 27 वर्ष ग्राम खरबत थाना चरचा जिला कोरिया को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 34 भादवि एवं ईनामी चिट व धन परिचालन स्कीम अधिनियम 1978 की धारा 4, 5, 6 का मामला पंजीबद्घ करते हुए विवेचना कर रही है। इस पूरी कार्रवाई में एसआर्ई रामसूरत यादव, प्रशिक्षु एएसआई ओमप्रकाश कुर्रे, एएसआई संजय सिंह, प्रधान आरक्षक विशाल मिश्रा, आरक्षक हुमराम उरांव सक्रिय रहे।



नौकरी करते हुए बनाई खुद की कंपनी-



सहायक उपनिरीक्षक संजय सिंह ने बताया कि इस मामले में आरोपी व कंपनी का सीएमडी अमित साहू व उसका साथी व डायरेक्टर कन्हैयालाल गोंड़ इसके पूर्व किसी अन्य चिटफंड कंपनी में कार्य करते थे। नौकरी के दौरान ही उक्त दोनों आरोपियों ने स्वयं की कंपनी बनाने की योजना बनाई। इन्होंने योजनाबद्घ तरीके से अपनी कंपनी को मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में संचालित करने के लिए ग्वालियर से कंपनी एक्ट के तहत पंजीयन कराया और कार्य शुरू कर दिया। उन्होंने बिलासपुर में अपनी कंपनी का मुख्यालय बनाया और प्रतापपुर एवं मध्यप्रदेश के अनूपपुर में चिटफंड कंपनी का कार्य आरंभ कर दिया। आरोपियों ने कंपनी का पंजीयन कराने के बाद बैंकिंग कार्य के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति नहीं लेते हुए स्थानीय प्रशासन की भी अनापत्ति भी नहीं ली और धड़ल्ले से बैंक की तरह लोगों का पैसा जमा कराया। प्रतापपुर में आरोपियों द्वारा करीब 60 से 70 लाख रुपए ग्रामीणों से जमा कराए गए हैं और इसके बदले में बाउंड पेपर और चेक देकर उन्हें संतुष्ट करते रहे। इस दौरान बैंक के आपरेटर और आरोपी अमित कुमार सोनपाकर बांड पेपर बनाते थे और इसमें सीएमडी अनिल साहू के साथ खुद हस्ताक्षर करते हुए पेपर ग्रामीणों को थमा देते थे। इस दौरान ग्रामीणों को यह भी झांसा दिया जाता रहा कि उनकी रकम पांच-छह वर्षों में दोगुनी हो जाएगी और राशि के बदले जमीन भी मिलेगी। लोग इसके झांसे में लगभग तीन वर्ष तक कंपनी में लेनदेन करते रहे।



कंपनी बंद होने से हुआ भांडाफोड़-



एएसआई संजय सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 में प्रशासन ने जिले में संचालित चिटफंड कंपनी की जांच के लिए दबाव बनाना शुरू किया तो प्रतापपुर में संचालित कंपनी में कार्यरत फिल्ड मैनेजर रविकांत विश्वकर्मा को कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी का अंदेशा हुआ और उसने कंपनी के सीएमडी अमित कुमार एवं कन्हैयालाल गोंड़ से पूछताछ की। उसके सवाल पर उक्त दोनों आरोपी संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके तो रविकांत विश्वकर्मा ने दिसंबर 2014 में कंपनी छोड़ दी। इधर प्रतापपुर शाखा में पदस्थ आपरेटर अमित सोनपाकर अकेला रह गया। उसके मित्र रविकांत विश्वकर्मा ने कंपनी के गड़बड़झाले से उसे अवगत कराया गया तो आपरेटर अमित सोनपाकर ने भी कुछ माह उपरांत कंपनी की नौकरी छोड़ दी। दोनों आरोपियों के कंपनी छोड़ने पर प्रतापपुर शाखा बंद हो गई। इसके बाद लोगों को गड़बड़ी का अंदेशा हुआ और उन्होंने छानबीन शुरू की। कई लोग बिलासपुर हेड आफिस भी गए परंतु वह भी बंद मिला,तब लोगों को ठगे जाने की जानकारी मिली ओर लोगों ने प्रतापपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।



कंप्यूटर सिस्टम और 12 एकड़ जमीन जब्त-



एएसआई संजय सिंह के अनुसार पुलिस में रिपोर्ट के आधार पर इसकी लगातार पड़ताल से प्रतापपुर बैंक से कंप्यूटर सिस्टम सहित चेकबुक जब्त किए गए हैं। इसके अलावा आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने पर जब उनके बैंक खाते खंगाले गए तो किसी भी खाते में रकम नहीं मिली लेकिन पूछताछ में पता चला कि कंपनी के डायरेक्टर कन्हैयालाल गोंड़ के नाम से अनूपपुर में दस एकड़ एवं फिंगेश्वर में दो एकड़ कुल 12 एकड़ भूमि खरीदी गई है,जिसे जब्त किया गया है। इस जमीन के लिए इस जमीन के लिए संबंधित जिले के प्रशासन के लिए भी पत्र तैयार कर भेजने की तैयारी की जा रही है,ताकि उक्त भूमि की खरीद-बिक्री न हो सके। इसके अलावा कंपनी के बिलासपुर आफिस को भी सील करने के लिए कार्रवाई आरंभ कर दी गई है।



एक अन्य चिटफंड कंपनी बंद,कार्रवाई नहीं-



चिटफंड कंपनी की आड़ में प्रतापपुर नगर में एक अन्य चिटफंड कंपनी संचालित थी,जो पिछले कुछ माह से बंद है। इस कंपनी में भी आसपास क्षेत्र के कई लोगों ने राशि दोगुना हो जाने के नाम पर रकम जमा कराई थी। इस कंपनी में भी काफी राशि जमा होने का अंदेशा है। यह कंपनी पिछले कुछ माह से अचानक बंद हो गई है। इसको लेकर क्षेत्र के ग्रामीण काफी परेशान हैं। चिटफंड कंपनी को लेकर अभी तक किसी भी ग्रामीण ने थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है इसलिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।




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  • 06 June, 2016
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