#रायपुर #छत्तीसगढ़ आखिरकर नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटले में सफेदपोश चेहेरे का नाम उजागर हो ही गए। इसके बारे में छत्तीसगढ़ विधानसभा ने नाम विलोपित करने की बात कही थी। इसके लिए भाजपा आलाकमान ने सख्त निर्देश दिए थे। इसके बावजूद डायरी के प्रमुख नाम बाहर आ गए है। बताया जा रहा है कि विधानसभा में पेश करने से पहले इस डायरी के नाम बाहर हो गए।
सोशल मीडिया में इन नामों के लिए खासा चर्चा है, एक दैनिक अखबार ने इसके बारे में छाप तक दिया। ये नाम है भाजपा सरकार के दो प्रमुख मंत्री और एक पूर्व मंत्री। खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहले का नाम पीएलएन और गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के लिए आरएसपी जैसे शब्दों का उल्लेख किया गया है।
वहीं, पूर्व गृह एवं सहकारिता मंत्री ननकी राम कंवर के लिए एनके शब्द का उल्लेख है। एसीबी और एंटी करप्शन ब्यूरो के संयुक्त कार्रवाई में नान के डायरेक्टर और खाद्य सचिव आलोक शुक्ला नाम आया था। एसीबी के टीम को अवंती विहार स्थित नान के ऑफिस से यह डायरी मिली थी। इसमें प्रमुख सचिव स्तर के आईएस अधिकारियों के पत्नीयों के ब्यूटी पार्लर तक के लिए पैसे निकालने के बात कही गई है।
इससे प्रदेश के आईएस खेमे में भूचाल मचा हुआ है। इतना ही नहीं मुख्य मंत्री आवास से मंत्रियों के नाम बाहर निकल जाने के बाद उन्हें हिदायत दी गई है कि वे इस मुद्दे में ना कोई बयान दें और ना ही कोई सफाई पेश करें जब तक मामला ठंडा न हो जाए।
इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर मामला तूल पकड़ते जा रहा है। मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का कहन है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है और कोई है जो राजनीतिक साजिश के तहत उनका कद कम करने की कोशिश कर रहा है।
वहीं, पूर्व गृहमत्री ननकी राम कंवर की सफाई है कि कमीशन वाले मसले में उनका नाम जानबूझकर घसीटा जा रहा है और आरोप लगाने वाले पहली अपनी गिरेंबा में झांकें।
इसे पूरे प्रकरण में कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि वे तो कब से कह रहे हैं कि मंत्री और आईएएस अफसर ही नहीं पूरी सरकार इस घोटाले में शामिल हैं। इससे पहले भी वे कई भाजपाई मंत्रियों पर इसमें शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं।
एसीबी के टीम ने इस पूरे घटना क्रम से पर्दा उठाने के लिए हाल ही में 'नान' के 28 जगहों पर छापे मारी की थी जिसमें नान के अधिकारियों पर सरकारी पैसा का गोल माल करने और बेहिसाब संपत्ति बनाने का मसला उठा था। रायपुर धमतरी समेत 28 जगहों पर छापेमारी की गई थी और 7 करोड़ रूपए से ज्यादा का बेहिसाब संपत्ती का खुलासा हुआ था।