रायपुर (निप्र)। चिटफंड कंपनियों ने लोगों को झांसा दिया और करोड़ों बंटोरकर निकल गईं। मोटे कमीशन के चक्कर में आए एजेंटों को अब जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वह किसी सजा से कम नहीं है। कंपनियों की काली करतूत ने महिला एजेंटों की जिंदगी बर्बाद कर दी है। जिन महिला एजेंटों का घर बसने जा रहा था, उनके रिश्ते निवेशकों के तगादे और धमकियों ने तोड़ दिए।
बहुत सी महिलाएं पति या ससुराल की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए चिटफंड कंपनियों से जुड़ी थीं। ऐसी महिलाओं से उनके पति और ससुराल वालों ने दूरी बना ली है। कुछ महिलाओं को घर से बाहर कर दिया गया है। पुस्र्ष एजेंटों के परिवार की लड़कियों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। 'नईदुनिया" को चिटफंड कंपनियों के शिकार एजेंटों ने आपबीती बताई।
केस-1 : रिश्ता तय होने के छह माह बाद टूटा
महासमुंद के एक किसान की बेटी ने पिता का सहारा बनने के लिए चिटफंड कंपनी में काम शुरू किया। जनवरी में एक परिवार ने इसे बहू बनाने के लिए रिश्ता तय कर लिया। वह उस परिवार में बहू बनकर पहुंचती, इससे पहले कंपनी भाग गई। इसके बाद निवेशकों का किसान के घर में तगादा शुरू हो गया। यह बात उस परिवार तक पहुंच गई, जो किसान से रिश्तेदारी जोड़ने वाले थे, उन्होंने तत्काल रिश्ता तोड़ दिया।
केस-2 : बहन ने लगा ली फांसी
रायगढ़ के एक युवक ने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान परिवार को आर्थिक मदद देने एचबीएन कंपनी में एजेंट के रूप में काम शुरू किया। कंपनी कारोबार समेटकर भागी तो बड़ी बहन की शादी का रिश्ता टूट गया। हताश होकर उसकी बहन ने फांसी लगा ली। अब युवक के परिवार से गांव के लोगों ने संबंध खत्म कर दिया है।
केस-3 : ससुराल वालों ने किया बाहर
कोरबा की एक विवाहिता को सास-ससुर और पति ने बीते अप्रैल में घर से बाहर कर दिया। दरअसल जब वह चिटफंड कंपनी में एजेंट थी, तब उसके सास-ससुर ने दोगुनी कमाई के लालच में खेत बेचकर 20 लाख स्र्पए कंपनी में जमा कराए थे। कंपनी भागी तो राशि डूब गई। ससुराल की छत छिनने के बाद महिला एजेंट मायके पहुंची तो भाई ने भी मदद से मना कर दिया।
चिटफंड कंपनियों के झांसे का शिकार एजेंट भी हुए हैं। कई एजेंट तगादे की वजह से बेघर हैं। समाज में रहना मुश्किल हो गया है। न केवल उन्हें, बल्कि उनके परिवार के लोगों का भी। यही वजह है कि हम सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं। - गगन कुंभकार, प्रदेश अध्यक्ष,छग अभिकर्ता संघ